वाराणसी: काशी में ज्येष्ठ मास की तपिश यानी जून की गर्मी से बेहाल भगवान जगन्नाथ सैकड़ों घड़े जल से स्नान कर रहे हैं. ये स्नान वो खुद नहीं बल्कि गर्मी से राहत पाने के लिए उनके भक्त उनका हलाहल जलाभिषेक कर रहे हैं. बड़ी बात यह है कि भक्तों के हठ का मान रखने के लिए भगवान पूरे परिवार के साथ स्नान कर रहे हैं. ये सुन कर आप आश्चर्य में पड़ गए होंगे, लेकिन काशी के तमाम धार्मिक परंपराओं में एक ये भी परम्परा है, जो सदियों से निभाई जा रही है.
काशी में भक्त अनूठे ढंग से बाबा संग कर रहे प्रेम
वाराणसी के अस्सी क्षेत्र में स्थित विशाल जगन्नाथ मंदिर हैं, जहां भगवान जगन्नाथ अपने पूरे परिवार यानी भइया बलभद्र और भगनी सुभद्रा के साथ विराजते हैं. मान्यता है कि जब गर्मी अपने चरम पर होती है तो भगवान जगन्नाथ को स्नान कराने से शीतलता मिलती है और फिर बारिश होती है. हर साल की तरह इस बार भी भक्त ज्येष्ठ मास के पूर्णिमा तिथि पर भगवान जगन्नाथ के मन्दिर पहुंच कर स्नान करवा रहे हैं.
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परंपरा का निर्वहन कर बाबा का कर रहे जलाभिषेक
जगन्नाथ जी का रथयात्रा मेला विश्व प्रसिद्ध है. उसी रीति को बनारस भी आज सदियों से निभाता चला आ रहा है. शास्त्रों के अनुसार गर्मी और शीलता के लिए भगवान को स्नान कराया जाता है. उसके बाद भगवान बीमार पड़ जाते हैं और 15 दिन बाद ठीक हो जाने के बाद वो यात्रा पर निकलते हैं. तब जाकर बारिश होती है. इस रीति को काशी में शिव के भक्त हरि के चरणों में अपनी उपस्थिति बड़े ही हर्षो उल्लास के साथ दर्ज कराते हैं. हाथों में मिट्टी और तांबे के घड़े लिए सुबह से ही भक्त आज के दिन जगन्नाथ जी को स्नान करवा रहे हैं. भक्तों का मानना है कि भगवान इसके बाद शीतलता प्रदान करते हुए सभी बीमारियों से भी निजात दिलाते हैं.
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