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दो विभागों की कछुआ चाल से काशी की गलियां बेहाल

धार्मिक नगरी काशी में दो विभागों का तालमेल नहीं होने से शहर का विकास कछुआ गति से हो रहा है. वाराणसी को स्मार्ट सिटी बनाया जा रहा है लेकिन अभी तक पाइप लीकेज, सीवर खुले होने और कूड़े के अंबार से शहरवासी परेशान हैं.

वाराणसी में विकास कार्य धीमी गति से हो रहा.
वाराणसी में विकास कार्य धीमी गति से हो रहा.
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Published : Dec 30, 2020, 5:09 PM IST

वाराणसीः पीएम नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में गलियों व सड़कों को विकसित कर स्मार्ट बनाने का कार्य किया जा रहा है. लेकिन शहर के कुछ वार्ड ऐसे भी हैं जहां नगर निगम और जलकल विभाग के समन्वय के अभाव का नतीजा यहां के स्थानीय नागरिकों को उठाना पड़ रहा है. दोनों विभागों की तालमेल के अभाव में शहर का विकास कछुआ गति से हो रहा है.

वाराणसी में विकास कार्य धीमी गति से हो रहा.

स्मार्ट सिटी में जनसमस्याओं का अंबार
धार्मिक नगरी काशी मंदिर और परंपराओं, घाटों के अलावा यहां की गलियों से भी जाना जाता है. शहर की आत्मा यहां की गलियों में निवास करती है. इसलिए इसे गलियों का भी शहर कहा जाता है. वर्तमान में इन गलियों में सड़क, पेयजल व्यवस्था और सीवेज काफी जीर्ण-शीर्ण अवस्था में है. इसे ध्यान में रखते हुए वाराणसी स्मार्ट सिटी लिमिटेड की है ओर से 'री-डेवलपमेंट वार्ड ऑफ ओल्ड काशी' परियोजना के तहत नए सिरे से विकसित किया जा रहा है. लेकिन दो विभागों के आपसी तालमेल में गड़बड़ी होने का खामियाजा जनता को भुगतना पड़ रहा है. नगर निगम और जलकल कहने को तो एक भी भाग हैं, लेकिन आपसी तालमेल की वजह से जन समस्याओं का अंबार दोनों ही विभागों के पास है. जलकल लीकेज और अन्य दिक्कतों को ठीक करने के लिए सड़क की कटिंग के एनओसी के लिए नगर निगम पर डिपेंड रहता है.


लोकल स्तर पर नहीं विभागों का तालमेल
हर जिले को स्मार्ट बनाने और साफ सुथरा करने के साथ ही समस्याओं का निस्तारण कर लोगों को समस्याओं से बचाने के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है, लेकिन लोकल स्तर पर विभागों के बीच तालमेल न हो पाने की वजह से कई बार इसका खामियाजा जनता को भुगतना पड़ता है. इसी विभागीय तालमेल का रियलिटी चेक ईटीवी भारत ने शहर के कुछ इलाकों में किया. इस दौरान शहर की गलियों में कूड़े के अंबार से लेकर सीवर के ढक्कन के खुले रहने और पानी लीकेज की समस्या दिखी.

शहर के इन इलाकों में समस्या
शहर के कोतवाली, जैतपुरा सहित सीर गोवर्धन इलाके में समस्याओं का अंबार लगा हुआ है. यहां पानी लीकेज की समस्या को दूर करने के लिए पब्लिक जब शिकायत करती है तो रोड कटिंग के लिए एनओसी लेने के चक्कर में नगर निगम और जलकल आपस में ही कागजी कार्रवाई में उलझ जाता है. वहीं सीर गोवर्धन क्षेत्र में सफाई के दौरान खुले सीवर के ढक्कन तक नहीं लगाए गए. स्थानीय लोगों की मानें तो शिकायत विभागों से की जाती है, लेकिन सुनवाई नहीं होती. इसके बाद हम लोगों को खुद से पैसे इकट्ठा कर अपना काम करवाना पड़ता है. इन समस्याओं के निस्तारण के लिए दो विभागों का आपसी तालमेल कम होना कहीं न कहीं से पब्लिक को परेशानी में डालने और उनकी दिक्कतों को बढ़ाने का काम लगातार कर रहा है.

रोड कटिंग के लिए इंतजार करना मजबूरी
समस्याओं के नाम पर बनारस में सबसे ज्यादा दिक्कतें जलकल और नगर निगम के पास ही है. यह दोनों विभाग सीधे पब्लिक से जुड़े हैं, लेकिन आपसी तालमेल की कमी कहीं न कहीं से इनके लिए परेशानी खड़ी करती है.

शिकायत पर नहीं होती सुनवाई
सीर गोवर्धन क्षेत्र के स्थानीय नागरिक अजय यादव बताते हैं कि यह मार्ग नेशनल हाईवे को जोड़ता है. लेकिन इस मार्ग पर अक्सर सीवर लीकेज के कारण जलजमाव की समस्या बनी रहती है, जिसका खामियाजा यहां से गुजरने वाले नागरिकों को उठाना पड़ता है. कई बार इसकी शिकायत विभागों में की लेकिन आज तक समस्या का कोई ठोस निदान नहीं हो पाया. सीवर लीकेज की समस्या के निदान के लिए कई बार क्षेत्र के लोगों ने आपस में चंदा इकट्ठा कर समस्या को दूर किया.

समय पर नहीं उठाया जाता कूड़ा
भगवानपुर निवासी अकाश वर्मा बताते है कि क्षेत्र में सीवर लीकेज के साथ-साथ लबे सड़क कूड़े का अंबार एक बड़ी समस्या है. इस कूड़े के अंबार से होकर हजारों नागरिक प्रतिदिन गुजरते हैं. नगर निगम द्वारा ठीक समय पर कूड़े का उठान नहीं होने पर यह दिक्कतें बनी रहती है.

अधिकारी बोले- सबकुछ दुरुस्त
जन समस्याओं की वजह से लगातार दो विभागों की तालमेल और खींचतान इसका जीता जागता उदाहरण भले ही देखने को मिल रहा हो लेकिन अधिकारी सब कुछ ठीक-ठाक मान रहे हैं. जलकल के सचिव सिद्धार्थ कुमार का कहना है कि राजस्व से लेकर अन्य संपत्तियों में नगर निगम के परमिशन की जहां जरूरत होती है उनसे लेकर ही काम किया जाता है. दिक्कत कहीं नहीं आती, सब कुछ सामान्य तरीके से आगे बढ़ रहा है.

वाराणसीः पीएम नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में गलियों व सड़कों को विकसित कर स्मार्ट बनाने का कार्य किया जा रहा है. लेकिन शहर के कुछ वार्ड ऐसे भी हैं जहां नगर निगम और जलकल विभाग के समन्वय के अभाव का नतीजा यहां के स्थानीय नागरिकों को उठाना पड़ रहा है. दोनों विभागों की तालमेल के अभाव में शहर का विकास कछुआ गति से हो रहा है.

वाराणसी में विकास कार्य धीमी गति से हो रहा.

स्मार्ट सिटी में जनसमस्याओं का अंबार
धार्मिक नगरी काशी मंदिर और परंपराओं, घाटों के अलावा यहां की गलियों से भी जाना जाता है. शहर की आत्मा यहां की गलियों में निवास करती है. इसलिए इसे गलियों का भी शहर कहा जाता है. वर्तमान में इन गलियों में सड़क, पेयजल व्यवस्था और सीवेज काफी जीर्ण-शीर्ण अवस्था में है. इसे ध्यान में रखते हुए वाराणसी स्मार्ट सिटी लिमिटेड की है ओर से 'री-डेवलपमेंट वार्ड ऑफ ओल्ड काशी' परियोजना के तहत नए सिरे से विकसित किया जा रहा है. लेकिन दो विभागों के आपसी तालमेल में गड़बड़ी होने का खामियाजा जनता को भुगतना पड़ रहा है. नगर निगम और जलकल कहने को तो एक भी भाग हैं, लेकिन आपसी तालमेल की वजह से जन समस्याओं का अंबार दोनों ही विभागों के पास है. जलकल लीकेज और अन्य दिक्कतों को ठीक करने के लिए सड़क की कटिंग के एनओसी के लिए नगर निगम पर डिपेंड रहता है.


लोकल स्तर पर नहीं विभागों का तालमेल
हर जिले को स्मार्ट बनाने और साफ सुथरा करने के साथ ही समस्याओं का निस्तारण कर लोगों को समस्याओं से बचाने के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है, लेकिन लोकल स्तर पर विभागों के बीच तालमेल न हो पाने की वजह से कई बार इसका खामियाजा जनता को भुगतना पड़ता है. इसी विभागीय तालमेल का रियलिटी चेक ईटीवी भारत ने शहर के कुछ इलाकों में किया. इस दौरान शहर की गलियों में कूड़े के अंबार से लेकर सीवर के ढक्कन के खुले रहने और पानी लीकेज की समस्या दिखी.

शहर के इन इलाकों में समस्या
शहर के कोतवाली, जैतपुरा सहित सीर गोवर्धन इलाके में समस्याओं का अंबार लगा हुआ है. यहां पानी लीकेज की समस्या को दूर करने के लिए पब्लिक जब शिकायत करती है तो रोड कटिंग के लिए एनओसी लेने के चक्कर में नगर निगम और जलकल आपस में ही कागजी कार्रवाई में उलझ जाता है. वहीं सीर गोवर्धन क्षेत्र में सफाई के दौरान खुले सीवर के ढक्कन तक नहीं लगाए गए. स्थानीय लोगों की मानें तो शिकायत विभागों से की जाती है, लेकिन सुनवाई नहीं होती. इसके बाद हम लोगों को खुद से पैसे इकट्ठा कर अपना काम करवाना पड़ता है. इन समस्याओं के निस्तारण के लिए दो विभागों का आपसी तालमेल कम होना कहीं न कहीं से पब्लिक को परेशानी में डालने और उनकी दिक्कतों को बढ़ाने का काम लगातार कर रहा है.

रोड कटिंग के लिए इंतजार करना मजबूरी
समस्याओं के नाम पर बनारस में सबसे ज्यादा दिक्कतें जलकल और नगर निगम के पास ही है. यह दोनों विभाग सीधे पब्लिक से जुड़े हैं, लेकिन आपसी तालमेल की कमी कहीं न कहीं से इनके लिए परेशानी खड़ी करती है.

शिकायत पर नहीं होती सुनवाई
सीर गोवर्धन क्षेत्र के स्थानीय नागरिक अजय यादव बताते हैं कि यह मार्ग नेशनल हाईवे को जोड़ता है. लेकिन इस मार्ग पर अक्सर सीवर लीकेज के कारण जलजमाव की समस्या बनी रहती है, जिसका खामियाजा यहां से गुजरने वाले नागरिकों को उठाना पड़ता है. कई बार इसकी शिकायत विभागों में की लेकिन आज तक समस्या का कोई ठोस निदान नहीं हो पाया. सीवर लीकेज की समस्या के निदान के लिए कई बार क्षेत्र के लोगों ने आपस में चंदा इकट्ठा कर समस्या को दूर किया.

समय पर नहीं उठाया जाता कूड़ा
भगवानपुर निवासी अकाश वर्मा बताते है कि क्षेत्र में सीवर लीकेज के साथ-साथ लबे सड़क कूड़े का अंबार एक बड़ी समस्या है. इस कूड़े के अंबार से होकर हजारों नागरिक प्रतिदिन गुजरते हैं. नगर निगम द्वारा ठीक समय पर कूड़े का उठान नहीं होने पर यह दिक्कतें बनी रहती है.

अधिकारी बोले- सबकुछ दुरुस्त
जन समस्याओं की वजह से लगातार दो विभागों की तालमेल और खींचतान इसका जीता जागता उदाहरण भले ही देखने को मिल रहा हो लेकिन अधिकारी सब कुछ ठीक-ठाक मान रहे हैं. जलकल के सचिव सिद्धार्थ कुमार का कहना है कि राजस्व से लेकर अन्य संपत्तियों में नगर निगम के परमिशन की जहां जरूरत होती है उनसे लेकर ही काम किया जाता है. दिक्कत कहीं नहीं आती, सब कुछ सामान्य तरीके से आगे बढ़ रहा है.

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