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देव दीपावली पर काशी में 27 नवंबर को जगमगाएंगे 84 घाट, जानिए महत्व और मान्यता - एनडीआरएफ की न्यूज

वाराणसी में देव दीपावली (Dev Diwali 2023 in Varanasi) पर 27 नवंबर को 84 घाट दीपों से जगमगा उठेंगे. इसके अलावा भी सुरक्षा के लिए कई पुख्ता इंतजाम किए गए हैं. चप्पे-चप्पे पर एनडीआरएफ (NDRF) की टीम मुस्तैद रहेगी.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Nov 25, 2023, 1:50 PM IST

वाराणसीः देव दीपावली का पर्व 27 नवंबर को मनाया जाएगा. वाराणसी में देव दीपावली पर्व (Dev Diwali 2023 in Varanasi) के लिए तैयारियां चल रहीं हैं. 27 नवंबर की रात काशी के 84 घाट दीपों से जगमगा उठेंगे. इस मौके पर बड़ी संख्या में लोग गंगा आरती में भाग लेंगे. श्रद्धालुओं की सुरक्षा के मद्देनजर एनडीआरएफ ने खास तैयारी की है. इस बार भी एनडीआरएफ के जवान सभी प्रमुख घाटों पर तैनात रहेंगे. इसके अतिरिक्त एनडीआरएफ की मेडिकल टीम वाटर एम्बुलेंस के साथ विभिन्न घाटों पर मुस्तैद नजर आएगी.

बता दें कि वाराणसी में देव दीपावली का पर्व काफी धूमधाम से मनाया जाता है. इस पर्व पर जगमगाते घाटों का नजारा देखते ही बनता है. हर तरफ दीपों का प्रकाश भक्तों को आनंदित करता है. इस बार काशी में देव दीपावली का पर्व 27 नवंबर को मनाया जाएगा. काशी के 84 घाटों पर दीप प्रज्जवलन के साथ ही गंगा आरती का कार्यक्रम आकर्षण का केंद्र होगा. इसमें स्थानीय लोगों के साथ बड़ी संख्या में पर्यटक भी भाग लेंगे.

11 एनडीआरएफ के उप महानिरीक्षक मनोज कुमार शर्मा ने बताया कि सभी श्रद्धालुओं से अनुरोध है कि वे सावधानी बरतते हुए दीपदान करें. प्रशासन द्वारा जारी किए गए दिशा-निर्देशों का पालन करें. इस दौरान एनडीआरएफ पूरी मुस्तैदी के साथ तैनात रहेगी. उन्होंने बताया कि एनडीआरएफ की 8 टीमें विभिन्न घाटों जैसे नमो घाट, राज घाट, पंचगंगा घाट, ललीता घाट, दशाश्वमेध घाट, चेतसिंह घाट, अस्सी घाट और नजदीकी घाटों पर तैनात रहेगी. इसके अलावा एनडीआरएफ की मेडिकल टीम वाटर एम्बुलेंस के साथ विभिन्न घाटों पर श्रद्धालुओं के निःशुल्क उपचार के लिए मौजूद रहेगी. भक्तों को कोई असुविधा न हो इसका विशेष ध्यान रखा जाएगा.

देव दीपावली का महत्व
पुराणों में मान्यता है कि देव दीपावली वाले दिन भगवान शंकर ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस को पराजित किया था. इस खुशी में देवों ने धरती पर दीप जलाकर दीवाली मनाई थी. तभी से यह पर्व प्रचलित हुआ है. कार्तिक पूर्णिमा पर तुलसीजी और शालिग्राम विवाह का भी विधान है. इससे कई गुना पुण्य़ मिलता है. इसके साथ ही मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु जल में वास करते हैं, इसलिए पवित्र नदी में भी स्नान का काफी महत्व है. यह पर्व काशी में बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है. इसमें बड़ी संख्या में भाग लेने श्रद्धालु पहुंचते हैं. इस दौरान काशी की गंगा आरती की छटा देखते ही बनती है. इस बार यह पर्व कल यानी रविवार को मनाया जाएगा.


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वाराणसीः देव दीपावली का पर्व 27 नवंबर को मनाया जाएगा. वाराणसी में देव दीपावली पर्व (Dev Diwali 2023 in Varanasi) के लिए तैयारियां चल रहीं हैं. 27 नवंबर की रात काशी के 84 घाट दीपों से जगमगा उठेंगे. इस मौके पर बड़ी संख्या में लोग गंगा आरती में भाग लेंगे. श्रद्धालुओं की सुरक्षा के मद्देनजर एनडीआरएफ ने खास तैयारी की है. इस बार भी एनडीआरएफ के जवान सभी प्रमुख घाटों पर तैनात रहेंगे. इसके अतिरिक्त एनडीआरएफ की मेडिकल टीम वाटर एम्बुलेंस के साथ विभिन्न घाटों पर मुस्तैद नजर आएगी.

बता दें कि वाराणसी में देव दीपावली का पर्व काफी धूमधाम से मनाया जाता है. इस पर्व पर जगमगाते घाटों का नजारा देखते ही बनता है. हर तरफ दीपों का प्रकाश भक्तों को आनंदित करता है. इस बार काशी में देव दीपावली का पर्व 27 नवंबर को मनाया जाएगा. काशी के 84 घाटों पर दीप प्रज्जवलन के साथ ही गंगा आरती का कार्यक्रम आकर्षण का केंद्र होगा. इसमें स्थानीय लोगों के साथ बड़ी संख्या में पर्यटक भी भाग लेंगे.

11 एनडीआरएफ के उप महानिरीक्षक मनोज कुमार शर्मा ने बताया कि सभी श्रद्धालुओं से अनुरोध है कि वे सावधानी बरतते हुए दीपदान करें. प्रशासन द्वारा जारी किए गए दिशा-निर्देशों का पालन करें. इस दौरान एनडीआरएफ पूरी मुस्तैदी के साथ तैनात रहेगी. उन्होंने बताया कि एनडीआरएफ की 8 टीमें विभिन्न घाटों जैसे नमो घाट, राज घाट, पंचगंगा घाट, ललीता घाट, दशाश्वमेध घाट, चेतसिंह घाट, अस्सी घाट और नजदीकी घाटों पर तैनात रहेगी. इसके अलावा एनडीआरएफ की मेडिकल टीम वाटर एम्बुलेंस के साथ विभिन्न घाटों पर श्रद्धालुओं के निःशुल्क उपचार के लिए मौजूद रहेगी. भक्तों को कोई असुविधा न हो इसका विशेष ध्यान रखा जाएगा.

देव दीपावली का महत्व
पुराणों में मान्यता है कि देव दीपावली वाले दिन भगवान शंकर ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस को पराजित किया था. इस खुशी में देवों ने धरती पर दीप जलाकर दीवाली मनाई थी. तभी से यह पर्व प्रचलित हुआ है. कार्तिक पूर्णिमा पर तुलसीजी और शालिग्राम विवाह का भी विधान है. इससे कई गुना पुण्य़ मिलता है. इसके साथ ही मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु जल में वास करते हैं, इसलिए पवित्र नदी में भी स्नान का काफी महत्व है. यह पर्व काशी में बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है. इसमें बड़ी संख्या में भाग लेने श्रद्धालु पहुंचते हैं. इस दौरान काशी की गंगा आरती की छटा देखते ही बनती है. इस बार यह पर्व कल यानी रविवार को मनाया जाएगा.


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