वाराणसीः काशी में देव दीपावली उत्सव के लिए तैयार है. 7 नवंबर को को दिन ढलते ही घंटे घड़ियालों के आवाज के साथ अलौकिक छटा से बनारस के सभी घाट रौशन होंगे, जिसमें 10 लाख दीयों की रोशनी से कोना-कोना जगमगाएगा. काशी के इस महापर्व के हवन में सभी अपने-अपने अंदाज में आहुति दे रहे हैं, जिसमें काशी के कुम्हारों का चमत्कारी शंख भी शोभा बढ़ाएगी. बड़ी बात ये है कि ये शंख अपनी आवाज से नहीं, बल्कि रोशनी से शंखनाद करेंगे.
दरअसल, जिला जहां प्रशासन देव दीपावली के अवसर पर 10 लाख दियों से घाट सजा रही है. इसके लिए दीयों का ऑर्डर बनारस के ही कुम्हारों को दिया भी गया है, जिससे वो आर्थिक रूप से बेहतर हो सकें. तो वहीं दूसरी ओर रोहनिया के परमानंदपुर गांव के रहने वाले विकास प्रजापति ने घाटों को रौशन करने के लिए स्वयं से एक सराहनीय पहल की है.इसके लिए उन्होंने अनोखा मिट्टी का दिया बनाया है.जिसे उन्होंने चमत्कारी दीया का नाम दिया है.
काशी का ये दीया रोशनी से करेगा शंखनाद
इस दीये की खासियत यह है कि यह दीया हुबहू शंख की तरह बनाया गया है और इस शंख को पलटने के बावजूद तेल कहीं से भी नही गिरता है. इसे बनाने वाले विकास ने बताया कि इसमें किसी प्रकार का कैंप नहीं लगाया गया है, बल्कि इसकी कलाकृति बेहद बारीक तरीके से की गई है जो इसे मैजिकल बना रही है. उन्होंने बताया कि इस दीये के पहले पीस को बनाने में उन्हें लगभग 4 महीने लगे हैं. इसके बाद उन्होंने दूसरे दीये को बनाकर ट्रायल किया अब ये आसानी से इसे बना ले रहे हैं. बड़ी बात यह है कि विकास इस अनोखे शंख का आविष्कार करने वाले पहले कुम्हार हैं.
2,000 दीयों से रौशन करेंगे घाट
विकास का कहना है कि देव दीपावली के पर्व पर उनका परिवार इस शंख रूपी दीये में रंग भर रहा है. 7 नवंबर को लगभग 2000 हजार की संख्या में इस दीये से वाराणसी के अस्सी घाट पर सजाया जाएगा, जो खासा आकर्षण का केंद्र होगा. उन्होंने बताया कि इन दीयों को घाट पर लगाने का दो मुख्य उद्देश्य है. पहला तो यह है कि हम अपना योगदान इस महोत्सव में दे पा रहे हैं. दूसरा इसके जरिए लोग इन मैजिकल दीयों के बारे में जान सकेंगे, जिससे अगले बार लोग इसे खरीदेंगे. उन्होंने बताया कि बाजार में इन दीयों की कीमत 100 रुपये प्रति पीस होगी.
एक दिन में तैयार हो रहे 25 दीये
इन दीयों को बनाने में काफी समय लगता है. 5 लोग मिलकर एक दिन में सिर्फ 25 दीये बना पा रहे हैं. उन्होंने बताया कि ऐसे में पिछले 2 हफ्तों में अब तक लगभग 2,000 हजार की संख्या में दीये तैयार हो पाए हैं, जिन्हें वह घाट पर अपनी तरफ से लगाएंगें.
तीन पीढ़ियों से कर रहे दीयों का काम
विकास के पिता बताते हैं कि उनकी तीन पीढ़ियां इस पुश्तैनी काम को कर रही हैं. उनके यहां की युवा पीढ़ी भी इस काम में लगी हुई हैं और विकास उनके पीढ़ी के पहले ऐसे युवा हैं जो अलग-अलग तरीके की आकृति को तैयार कर रहे है. इनकी कलाकृति की सराहना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी की थी, और पुरस्कृत किया गया था.