ETV Bharat / state

इस बार देव दीपावली से पहले वाराणसी नगर निगम के सामने बड़ा चैलेंज, घाटों पर लगा कीचड़ का अंबार

वाराणसी में 7 नवंबर को देव दीपावली मनाई जाएगी. गंगा का जलस्तर बढ़ने से घाट पूरी तरह से जल में डूबे हुए हैं, ऐसे में नगर निगम के सामने बड़ी चुनौती है कि वह घाटों की साफ-सफाई कैसे कराएगी.

etv bharat
वाराणसी में घाट
author img

By

Published : Oct 31, 2022, 6:28 PM IST

वाराणसी: जब पूरे देश में त्योहार खत्म होते हैं, तब धर्मनगरी वाराणसी एक ऐसे त्यौहार की तैयारियों में जुट जाता है, जिसका इंतजार देश ही नहीं बल्कि दुनिया से आने वाले पर्यटकों को रहता है. यह त्यौहार कार्तिक महीने के खत्म होने के साथ ही देवताओं की दीपावली के रूप में जाना जाता है, जिसे देव दिवाली के नाम से एक अलग पहचान मिल चुकी है. वाराणसी में इस पर्व को मनाने के लिए न सिर्फ आम लोग बल्कि बड़े-बड़े वीआईपी भी पहुंचते हैं.. इस श्रेणी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ कई बड़े नाम भी शामिल हैं, जिन्होंने काशी की इस अद्भुत देव दीपावली का आनंद लिया है.

वाराणसी में घाट

इस बार 7 नवंबर को यह त्यौहार मनाया जाएगा, लेकिन इन सबके बीच इस बार वाराणसी नगर निगम प्रशासन के सामने बड़ा चैलेंज है. चैलेंज इसलिए क्योंकि गंगा पहली बार साल में तीन बार बढ़ी घटी और फिर बढ़ी. वर्तमान समय में भी गंगा का जलस्तर अपने वास्तविक स्तर से काफी ऊपर है, जिसकी वजह से कई जगह घाट तक पानी में ही डूबे हुए हैं. इन सबके बीच सबसे बड़ा चैलेंज है गंगा के नीचे जाने के बाद सही समय पर गंगा घाटों पर जमा मिट्टी और सिल्ट की सफाई किया जाना, क्योंकि अस्सी घाट से लेकर गंगा महल, तुलसी घाट, सिंधिया घाट, मणिकर्णिका घाट, राजा घाट, राणा महल घाट, केदार घाट समेत दशाश्वमेध और राजेंद्र प्रसाद घाट के अलावा शीतला घाट के अधिकांश हिस्से अब तक पूरी तरह से गंदगी में डूबे हुए हैं. इसी वजह से इस बार देव दीपावली का महापर्व सकुशल कैसे संपन्न होगा यह बड़ा प्रश्न है.

दरअसल, इस बार 7 नवंबर को देव दीपावली का त्यौहार मनाया जाना सुनिश्चित किया गया है. पहले यह डेट 8 नवंबर की थी, लेकिन 8 नवंबर को चंद्र ग्रहण पड़ने की वजह से देव दीपावली का पर्व 7 तारीख को ही मनाया जाएगा. इन सब के बीच नगर निगम प्रशासन के पास बनारस के घाटों को उनके पुराने और सुंदर रूप में वापस लाने के लिए सिर्फ और सिर्फ 1 सप्ताह का समय बचा है. डाला छठ का पर्व आज तो किसी तरह बीत गया और गंदगी और मिट्टी दलदल के बीच व्रत करने वाली महिला और पुरुषों ने इस व्रत को गंगा घाट पर संपन्न कर लिया, लेकिन सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि जिस देव दीपावली के बल पर काशी की एक अलग पहचान बनी है. देश-विदेश से आने वाले पर्यटक और वीआईपी काशी की घाटों की सुंदरता निहारने के लिए पहुंचते हैं. अगर वही घाट साफ-सुथरे नजर नहीं आएंगे तो फिर देव दीपावली का आनंद कैसे मिलेगा.

इन्हीं सवालों के जवाब के साथ नगर निगम के लिए बड़े चैलेंज के बारे में ईटीवी भारत की टीम ने वाराणसी की महापौर मृदुला जयसवाल से बातचीत की. मृदुला जयसवाल ने बताया कि हमारे लिए कोई भी चैलेंज छोटा नहीं होता. वाराणसी ऐसी नगरी है जहां पर हर चैलेंज बड़ा होता है और इस बार गंगा ऐतिहासिक रूप से एक बार नहीं दो बार नहीं बल्कि 3 बार ऊपर आई और फिर नीचे गई. इसकी वजह से एक गंगा किनारे जमीन मिट्टी को हटाना और साफ सफाई करना बड़ा ही मेहनत का काम हो गया. बार-बार सफाई करने के बाद गंगा का ऊपर आ जाना परेशानी का सबब बना हुआ है. किसी तरह छठ का पर्व तो पूरा कराया गया है और अब कोशिश है कि देव दीपावली का पर्व सकुशल संपन्न करवाया जाए.

इस बार चैलेंज बड़ा इसलिए भी है, क्योंकि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और उनके साथ कई अन्य वीआईपी भी बनारस आ रहे हैं. देव दीपावली के मौके पर इसलिए घाटों की सुंदरता को बरकरार रखते हुए दीपावली के पर्व को सकुशल संपन्न कराने के लिए पूरी ताकत झोंक दी गई है. नगर निगम ने हर घाट पर कम से कम 5 से ज्यादा पंपिंग सेट लगवा कर जमा मिट्टी को हटाने का काम शुरू करवाया है. इसके अतिरिक्त सफाई कर्मियों की लगभग 300 से ज्यादा की टीम को तैनात करते हुए सेक्टर जोन में बांटकर साफ सफाई की व्यवस्था सुनिश्चित करवाई जा रही है. पूरा प्रयास है कि दीपावली से पहले रूप में वापस लाया जाए, जैसे वह दिखाई देते थे, ताकि दिनों की रोशनी में नहाने के बाद घाटों की सुंदरता और भव्यता अलौकिक रूप से दिखाई दे सके.

पढ़ेंः देवताओं का स्वागत करेंगे विदेशी मेहमान, बनारस के घाट फिर से होंगे गुलजार

वाराणसी: जब पूरे देश में त्योहार खत्म होते हैं, तब धर्मनगरी वाराणसी एक ऐसे त्यौहार की तैयारियों में जुट जाता है, जिसका इंतजार देश ही नहीं बल्कि दुनिया से आने वाले पर्यटकों को रहता है. यह त्यौहार कार्तिक महीने के खत्म होने के साथ ही देवताओं की दीपावली के रूप में जाना जाता है, जिसे देव दिवाली के नाम से एक अलग पहचान मिल चुकी है. वाराणसी में इस पर्व को मनाने के लिए न सिर्फ आम लोग बल्कि बड़े-बड़े वीआईपी भी पहुंचते हैं.. इस श्रेणी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ कई बड़े नाम भी शामिल हैं, जिन्होंने काशी की इस अद्भुत देव दीपावली का आनंद लिया है.

वाराणसी में घाट

इस बार 7 नवंबर को यह त्यौहार मनाया जाएगा, लेकिन इन सबके बीच इस बार वाराणसी नगर निगम प्रशासन के सामने बड़ा चैलेंज है. चैलेंज इसलिए क्योंकि गंगा पहली बार साल में तीन बार बढ़ी घटी और फिर बढ़ी. वर्तमान समय में भी गंगा का जलस्तर अपने वास्तविक स्तर से काफी ऊपर है, जिसकी वजह से कई जगह घाट तक पानी में ही डूबे हुए हैं. इन सबके बीच सबसे बड़ा चैलेंज है गंगा के नीचे जाने के बाद सही समय पर गंगा घाटों पर जमा मिट्टी और सिल्ट की सफाई किया जाना, क्योंकि अस्सी घाट से लेकर गंगा महल, तुलसी घाट, सिंधिया घाट, मणिकर्णिका घाट, राजा घाट, राणा महल घाट, केदार घाट समेत दशाश्वमेध और राजेंद्र प्रसाद घाट के अलावा शीतला घाट के अधिकांश हिस्से अब तक पूरी तरह से गंदगी में डूबे हुए हैं. इसी वजह से इस बार देव दीपावली का महापर्व सकुशल कैसे संपन्न होगा यह बड़ा प्रश्न है.

दरअसल, इस बार 7 नवंबर को देव दीपावली का त्यौहार मनाया जाना सुनिश्चित किया गया है. पहले यह डेट 8 नवंबर की थी, लेकिन 8 नवंबर को चंद्र ग्रहण पड़ने की वजह से देव दीपावली का पर्व 7 तारीख को ही मनाया जाएगा. इन सब के बीच नगर निगम प्रशासन के पास बनारस के घाटों को उनके पुराने और सुंदर रूप में वापस लाने के लिए सिर्फ और सिर्फ 1 सप्ताह का समय बचा है. डाला छठ का पर्व आज तो किसी तरह बीत गया और गंदगी और मिट्टी दलदल के बीच व्रत करने वाली महिला और पुरुषों ने इस व्रत को गंगा घाट पर संपन्न कर लिया, लेकिन सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि जिस देव दीपावली के बल पर काशी की एक अलग पहचान बनी है. देश-विदेश से आने वाले पर्यटक और वीआईपी काशी की घाटों की सुंदरता निहारने के लिए पहुंचते हैं. अगर वही घाट साफ-सुथरे नजर नहीं आएंगे तो फिर देव दीपावली का आनंद कैसे मिलेगा.

इन्हीं सवालों के जवाब के साथ नगर निगम के लिए बड़े चैलेंज के बारे में ईटीवी भारत की टीम ने वाराणसी की महापौर मृदुला जयसवाल से बातचीत की. मृदुला जयसवाल ने बताया कि हमारे लिए कोई भी चैलेंज छोटा नहीं होता. वाराणसी ऐसी नगरी है जहां पर हर चैलेंज बड़ा होता है और इस बार गंगा ऐतिहासिक रूप से एक बार नहीं दो बार नहीं बल्कि 3 बार ऊपर आई और फिर नीचे गई. इसकी वजह से एक गंगा किनारे जमीन मिट्टी को हटाना और साफ सफाई करना बड़ा ही मेहनत का काम हो गया. बार-बार सफाई करने के बाद गंगा का ऊपर आ जाना परेशानी का सबब बना हुआ है. किसी तरह छठ का पर्व तो पूरा कराया गया है और अब कोशिश है कि देव दीपावली का पर्व सकुशल संपन्न करवाया जाए.

इस बार चैलेंज बड़ा इसलिए भी है, क्योंकि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और उनके साथ कई अन्य वीआईपी भी बनारस आ रहे हैं. देव दीपावली के मौके पर इसलिए घाटों की सुंदरता को बरकरार रखते हुए दीपावली के पर्व को सकुशल संपन्न कराने के लिए पूरी ताकत झोंक दी गई है. नगर निगम ने हर घाट पर कम से कम 5 से ज्यादा पंपिंग सेट लगवा कर जमा मिट्टी को हटाने का काम शुरू करवाया है. इसके अतिरिक्त सफाई कर्मियों की लगभग 300 से ज्यादा की टीम को तैनात करते हुए सेक्टर जोन में बांटकर साफ सफाई की व्यवस्था सुनिश्चित करवाई जा रही है. पूरा प्रयास है कि दीपावली से पहले रूप में वापस लाया जाए, जैसे वह दिखाई देते थे, ताकि दिनों की रोशनी में नहाने के बाद घाटों की सुंदरता और भव्यता अलौकिक रूप से दिखाई दे सके.

पढ़ेंः देवताओं का स्वागत करेंगे विदेशी मेहमान, बनारस के घाट फिर से होंगे गुलजार

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.