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5 महिलाओं ने याचिका दायर कर ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर पूजा करने की मांग की - वाराणसी की ख़बर

वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर में स्थित मां श्रृंगार गौरी की प्रतिदिन पूजा-अर्चना और परिसर स्थित अन्य देवी-देवताओं के विग्रह की सुरक्षा की मांग सिविल जज सीनियर डिवीजन की आदालत में मांग की गई थी. अब मस्जिद के भीतर मूर्ति रखकर पूजा करने के अधिकार को लेकर याचिका डाली गई है.

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Published : Aug 19, 2021, 7:27 PM IST

वाराणसीः ज्ञानवापी परिसर स्थित मां श्रृंगार गौरी की प्रतिदिन पूजा-अर्चना और परिसर स्थित अन्य देवी - देवताओं के विग्रह की सुरक्षा की मांग सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में मांग की गई थी. वहीं गुरुवार को कोर्ट में पांच हिंदू महिलाओं ने पुराने मंदिर परिसर में मस्जिद के अंदर देवी-देवताओं की मूर्ति रखकर पूजा करने का अधिकार याचिका के माध्यम से मांगा है.

याचिका में महिलाओं का कहना है कि मुगल शासनकाल के दौरान मंदिर को मस्जिद में परिवर्तित कर दिया गया था. इस पर कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार, ज्ञानवापी मस्जिद प्रबंध कमेटी और काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट से जवाब मांगा है. आपत्ति पर विचार किए जाने की तारीख 10 सितंबर की रखी गई है.

वाराणसी कोर्ट में अधिवक्ता हरीशंकर जैन और अधिवक्ता विष्णुशंकर जैन के माध्यम से यह याचिका राखी सिंह की अगुवाई में महिलाओं ने फ़ाइल की है. इस पर सिटी मैजिस्ट्रेट और पुलिस कमिश्नर से वाराणसी सीनियर सिविल जज रवि कुमार दिवाकर ने जवाब मांगा है. याचिका में कहा गया है कि औरंगजेब के शासन काल में मुगलों ने श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के पुराने परिसर को क्षतिग्रस्त कर दिया था. यहां श्रद्धालुओं को देवताओं की पूजा का अधिकार है.

इसे भी पढ़ें- 'हिंदुस्तान में तालिबानी मानसिकता से ग्रस्त लोगों को भेजें अफगानिस्तान' : भाजपा नेता ने PM मोदी को लिखा पत्र

वकील जैन ने कहा कि देवी गौरी के साथ ही भगवान गणेश और हनुमान की मूर्तियों को सजाने के साथ ही मंदिर में नंदी जी की पूजा के वादी के मूलभूत अधिकार में दखल नहीं देना चाहिए. उन्होंने आगे कहा कि वादी की तरफ से एक और एप्लिकेशन फाइल की गई है. जिसमें एडवोकेट कमिश्वर से ऑन द स्पॉट निरीक्षण की रिपोर्ट की दरख्वास्त की गई है.

इसे भी पढ़े- हिंदुस्तान में हिंदुओं के कत्लेआम की तैयारी, 20 वर्ष के अंदर होगा एक गृह युद्ध: वसीम रिजवी

वाराणसीः ज्ञानवापी परिसर स्थित मां श्रृंगार गौरी की प्रतिदिन पूजा-अर्चना और परिसर स्थित अन्य देवी - देवताओं के विग्रह की सुरक्षा की मांग सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में मांग की गई थी. वहीं गुरुवार को कोर्ट में पांच हिंदू महिलाओं ने पुराने मंदिर परिसर में मस्जिद के अंदर देवी-देवताओं की मूर्ति रखकर पूजा करने का अधिकार याचिका के माध्यम से मांगा है.

याचिका में महिलाओं का कहना है कि मुगल शासनकाल के दौरान मंदिर को मस्जिद में परिवर्तित कर दिया गया था. इस पर कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार, ज्ञानवापी मस्जिद प्रबंध कमेटी और काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट से जवाब मांगा है. आपत्ति पर विचार किए जाने की तारीख 10 सितंबर की रखी गई है.

वाराणसी कोर्ट में अधिवक्ता हरीशंकर जैन और अधिवक्ता विष्णुशंकर जैन के माध्यम से यह याचिका राखी सिंह की अगुवाई में महिलाओं ने फ़ाइल की है. इस पर सिटी मैजिस्ट्रेट और पुलिस कमिश्नर से वाराणसी सीनियर सिविल जज रवि कुमार दिवाकर ने जवाब मांगा है. याचिका में कहा गया है कि औरंगजेब के शासन काल में मुगलों ने श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के पुराने परिसर को क्षतिग्रस्त कर दिया था. यहां श्रद्धालुओं को देवताओं की पूजा का अधिकार है.

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वकील जैन ने कहा कि देवी गौरी के साथ ही भगवान गणेश और हनुमान की मूर्तियों को सजाने के साथ ही मंदिर में नंदी जी की पूजा के वादी के मूलभूत अधिकार में दखल नहीं देना चाहिए. उन्होंने आगे कहा कि वादी की तरफ से एक और एप्लिकेशन फाइल की गई है. जिसमें एडवोकेट कमिश्वर से ऑन द स्पॉट निरीक्षण की रिपोर्ट की दरख्वास्त की गई है.

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