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काशी के तुलसी घाट पर मनाई गई कवि तुलसीदास की पुण्यतिथि

वाराणसी में सोमवार को कवि तुलसीदास की पुण्यतिथि मनाई गई. गोस्वामी तुलसीदास का निधन आज की तिथि के दिन काशी में हुआ था.

काशी के तुलसी घाट पर मनाई गई कवि तुलसीदास की पुण्यतिथि
काशी के तुलसी घाट पर मनाई गई कवि तुलसीदास की पुण्यतिथि
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Published : Jul 26, 2021, 5:15 PM IST

वाराणसी : काशी में श्रावण कृष्ण पक्ष के तृतीया तिथि सोमवार को श्रीरामचरितमानस के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास की पुण्यतिथि मनाई गई. कार्यक्रम का आयोजन तुलसीघाट पर स्थित तुलसी मंदिर में संपन्न हुआ. गोस्वामी तुलसीदास की पुण्यतिथि के अवसर पर सुबह सड़के ही तैयारियां शुरु हो गईं. तुलसीदास एवं संकट मोचन मंदिर के महंत प्रोफेसर विशंभर नाथ मिश्र ने गोस्वामी तुलसीदास जी के चित्र पर माल्यार्पण कर वेद मंत्रों के साथ पूजा अर्चना की.

इसके बाद भंडारे का आयोजन किया गया, इस दौरान कोरोना गाइडलाइन का भी पालन किया गया. भंडारे में काशी के ब्राह्मणों, साधु-संतों सहित तमाम लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया. कार्यक्रम के दौरान आईटी बीएचयू के पूर्व निदेशक प्रोफेसर एसएन उपाध्याय, पुष्कर मिश्रा, प्रभु दत्त त्रिपाठी,रामयश मिश्र, अशोक पांडे, विश्वनाथ यादव छेदी, मनोज यादव ,नरेंद्र त्रिपाठी, ज्ञानू पांडे सहित काशी के कई संत-महंत उपस्थित रहे.

प्रोफेसर विशंभर नाथ मिश्र ने बताया कि सावन कृष्ण पक्ष के तृतीया तिथि को गोस्वामी तुलसीदास ने शरीर छोड़ा था. क्योंकि रतिया की हानि होने के कारण सोमवार को ही तृतीया लग गया. इसलिए गोस्वामी जी की पूर्ण तिथि आज मनाई जाती है. गोस्वामी तुलसीदास ने मानव के कल्याण के लिए श्रीरामचरितमानस अमृत ग्रंथ की रचना की. हम सभी को श्रीरामचरितमानस के बताए हुए रास्ते पर चलकर घर समाज और देश को बचाने की संस्कारवान बनाने की आवश्यकता है.

गोस्वामी तुलसीदास का अपनी पत्नी से था अथाह प्रेम

गोस्वामी तुलसीदास को हिंदी साहित्य जगत का प्रथम कवि माना जाता है. कवि तुलसीदास का जन्म बांदा जनपद के गांव राजापुर में हुआ था. इनके पिता आत्माराम दुबे तथा माता का नाम हुलसी था. इनके पिता एक ब्राह्मण परिवार से ताल्लुक रखते थे. तुलसीदास के संबंध में कई बातें प्रचलित हैं. कहा जाता है कि जन्म के समय तुलसीदास के मुख में पूरे 32 दांत थे. मान्यता है कि तुलसीदास को भगवान राम के साक्षात दर्शन प्राप्त हुए थे. तुलसीदास को अपनी पत्नी से अपार प्रेम था. एक बार की बात है तुलसीदास अपनी पत्नी से मिलने रात के अंधेरे में ससुराल चले गए. जिसके बाद तुलसीदास की पत्नी ने उन्हें फटकार लगाई और बापस घर लौट जाने के लिए कहा. उसके बाद तुलसीदास ने पत्नी रत्नावली को अपने साथ ले जाने की जिद करने लगे. तुलसीदास की जिद से खीझकर रत्नावली ने इन्हें एक दोहे के माध्यम से शिक्षा दी, जिसके बाद वह घर लौट गए. कहा जाता है कि उसके बाद से तुलसीदास की भगवान के प्रति आस्था बढ़ गई. जिसके बाद उन्होंने संस्कृत में श्रीरामचरितमानस ग्रंथ की रचना की.

इसे पढ़ें- यादव बंधुओं ने किया काशी विश्वनाथ का जलाभिषेक, 1932 से चली आ रही परंपरा

वाराणसी : काशी में श्रावण कृष्ण पक्ष के तृतीया तिथि सोमवार को श्रीरामचरितमानस के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास की पुण्यतिथि मनाई गई. कार्यक्रम का आयोजन तुलसीघाट पर स्थित तुलसी मंदिर में संपन्न हुआ. गोस्वामी तुलसीदास की पुण्यतिथि के अवसर पर सुबह सड़के ही तैयारियां शुरु हो गईं. तुलसीदास एवं संकट मोचन मंदिर के महंत प्रोफेसर विशंभर नाथ मिश्र ने गोस्वामी तुलसीदास जी के चित्र पर माल्यार्पण कर वेद मंत्रों के साथ पूजा अर्चना की.

इसके बाद भंडारे का आयोजन किया गया, इस दौरान कोरोना गाइडलाइन का भी पालन किया गया. भंडारे में काशी के ब्राह्मणों, साधु-संतों सहित तमाम लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया. कार्यक्रम के दौरान आईटी बीएचयू के पूर्व निदेशक प्रोफेसर एसएन उपाध्याय, पुष्कर मिश्रा, प्रभु दत्त त्रिपाठी,रामयश मिश्र, अशोक पांडे, विश्वनाथ यादव छेदी, मनोज यादव ,नरेंद्र त्रिपाठी, ज्ञानू पांडे सहित काशी के कई संत-महंत उपस्थित रहे.

प्रोफेसर विशंभर नाथ मिश्र ने बताया कि सावन कृष्ण पक्ष के तृतीया तिथि को गोस्वामी तुलसीदास ने शरीर छोड़ा था. क्योंकि रतिया की हानि होने के कारण सोमवार को ही तृतीया लग गया. इसलिए गोस्वामी जी की पूर्ण तिथि आज मनाई जाती है. गोस्वामी तुलसीदास ने मानव के कल्याण के लिए श्रीरामचरितमानस अमृत ग्रंथ की रचना की. हम सभी को श्रीरामचरितमानस के बताए हुए रास्ते पर चलकर घर समाज और देश को बचाने की संस्कारवान बनाने की आवश्यकता है.

गोस्वामी तुलसीदास का अपनी पत्नी से था अथाह प्रेम

गोस्वामी तुलसीदास को हिंदी साहित्य जगत का प्रथम कवि माना जाता है. कवि तुलसीदास का जन्म बांदा जनपद के गांव राजापुर में हुआ था. इनके पिता आत्माराम दुबे तथा माता का नाम हुलसी था. इनके पिता एक ब्राह्मण परिवार से ताल्लुक रखते थे. तुलसीदास के संबंध में कई बातें प्रचलित हैं. कहा जाता है कि जन्म के समय तुलसीदास के मुख में पूरे 32 दांत थे. मान्यता है कि तुलसीदास को भगवान राम के साक्षात दर्शन प्राप्त हुए थे. तुलसीदास को अपनी पत्नी से अपार प्रेम था. एक बार की बात है तुलसीदास अपनी पत्नी से मिलने रात के अंधेरे में ससुराल चले गए. जिसके बाद तुलसीदास की पत्नी ने उन्हें फटकार लगाई और बापस घर लौट जाने के लिए कहा. उसके बाद तुलसीदास ने पत्नी रत्नावली को अपने साथ ले जाने की जिद करने लगे. तुलसीदास की जिद से खीझकर रत्नावली ने इन्हें एक दोहे के माध्यम से शिक्षा दी, जिसके बाद वह घर लौट गए. कहा जाता है कि उसके बाद से तुलसीदास की भगवान के प्रति आस्था बढ़ गई. जिसके बाद उन्होंने संस्कृत में श्रीरामचरितमानस ग्रंथ की रचना की.

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