वाराणसी: लोक और आस्था के महापर्व डाला छठ की शुरुवात हो चुकी है. दीपावली के बाद पड़ने वाले इस महापर्व की शुरुआत नहाए खाए के साथ होती है और आज खरना के साथ ही व्रती महिलाओं का कठिन व्रत भी शुरू हो चुका है. बिहार के इस महापर्व की अद्भुत छटा पूरे देश में फैल गई है.
देश के अलग-अलग हिस्सों में श्रद्धाभाव के साथ मनाए जाने वाले डाला छठ पर्व पर भगवान भास्कर को अर्पित करने की सामग्री अलग-अलग होती है, लेकिन इनमें सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है वह सूप जिसमें फल-सब्जियां और अनाज सभी रखकर भगवान भास्कर को समर्पित किया जाता है. बिना सूप के यह पूजा पूरी ही नहीं होती, लेकिन अब बदलते वक्त के साथ बांस से बनने वाले सूप की जगह पीतल के सूप की डिमांड बढ़ती जा रही है. सबसे बड़ी बात यह है कि पीतल का यह सूप बनारस के कुछ विशेष इलाकों में ही तैयार होता है. इसकी डिमांड सिर्फ बिहार ही नहीं, बल्कि दूसरे राज्यों में भी होती है.
बनारस के काशीपुरा और भुलेटन यह वह इलाके हैं, जहां पीतल के सूप को तैयार करने का काम डाला छठ के लगभग 4 महीने पहले से ही शुरू हो जाता है. डाला छठ 10 नवंबर को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने के साथ शुरू होगा और 11 नवंबर को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देकर इस महापर्व का समापन होगा, लेकिन इसके पहले अब बाजार में रौनक दिखने लगी है. सूप की खरीदारी भी जोरों पर है.
परंपरा के अनुसार बांस के पुराने सूप पूजा में रखे जाते हैं, लेकिन पानी में इनके खराब होने का खतरा तो रहता ही है साथ में इस्तेमाल के बाद इधर-उधर कर देने से दोष भी लगता है. यही वजह है कि अब बनारस में तैयार होने वाले पीतल के यह खास सूप लोगों को खूब पसंद आ रहे हैं. बनारस में बिहार की बड़ी आबादी बसती है और बनारस के चौक, ठठेरी बाजार, काशीपुरा समेत तमाम इलाकों में पीतल के यह सूप डाला छठ के मौके पर बिकते हुए आपको आसानी से मिल जाएंगे.
बिहार समेत कई राज्यों में है डिमांड
बनारस में बिकने वाले यह सूप सिर्फ बनारस ही नहीं, बल्कि आसपास के जिलों के अलावा बिहार के कई जिलों के साथ ही उत्तर प्रदेश के कई जिलों और मध्य प्रदेश, हरियाणा, उत्तराखंड तक जाते हैं. इसे तैयार करने वाले कारीगरों का कहना है कि इस सूप की डिमांड समय के साथ बढ़ती जा रही है. बीते 10 सालों में यह सूप सिर्फ बिहार ही नहीं, बल्कि देश के अलग-अलग राज्यों में बड़ी मात्रा में भेजा जा रहा है.
क्योंकि पीतल है शुभ
डाला छठ के मौके पर परंपरा के साथ इस सूप की मौजूदगी पवित्रता का भी संदेश देती है, क्योंकि पीतल में लक्ष्मी का वास माना गया है और लोग भगवान भास्कर की आराधना के दौरान लक्ष्मी का आशीर्वाद लेने के उद्देश्य से भी इस सूप को पूजा में शामिल करते हैं. अलग-अलग डिजाइन के यह सूट मार्केट में 350 से 400 रुपये में आसानी से मिल जाते हैं. हर साल इन्हें इस्तेमाल भी किया जा सकता है.
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भगवान भास्कर, केले के खंभों और छठी मैया की जय जैसे चित्र के साथ यह सूप दिखने में बेहद आकर्षक नजर आते हैं. इसकी वजह से यह लोगों को खूब भा रहे हैं. लोगों का कहना है कि भगवान भास्कर जीवंत देवता हैं और उनसे निकलने वाली किरण जब पीतल, तांबा या फिर चांदी समेत किसी भी धातु पर पड़ती है तो उसका महत्व और भी ज्यादा हो जाता है. इसलिए पीतल को पवित्र मानकर इस रूप में भगवान भास्कर को सभी चीजें समर्पित की जाती हैं.