वाराणसी: जिले में सोमवार को जलकल विभाग में ठेकेदारी करने वाले ठेकेदार विनय कुमार श्रीवास्तव ने घर में जहर खाकर जान देने की कोशिश की, जिसके बाद उसे गंभीर हालत में बीएचयू स्थित सर सुंदरलाल अस्पताल में भर्ती कराया गया. ठेकेदार का कहना है कि लंबे वक्त से उसके लगभग 10 लाख रुपये से ज्यादा का भुगतान न किए जाने और उसे ब्लैक लिस्टेड किए जाने की वजह से उसने यह कदम उठाया.
क्या है पूरा मामला
उत्तर प्रदेश में सरकारी विभागों की तरफ से काम कराए जाने के बाद लंबे वक्त तक पेमेंट न मिलने से परेशान ठेकेदार अब जानलेवा कदम उठाने लगे हैं. बीते दिनों लखनऊ सचिवालय के पास एक ठेकेदार ने खुद को आग लगाकर जान देने की कोशिश की, तो वहीं वाराणसी में पीडब्ल्यूडी के बकाए से परेशान होकर एक ठेकेदार ने खुद को गोली मारकर सुसाइड कर ली. सोमवार को नया मामला सामने आया.
ठेकेदार ने खाया विषाक्त पदार्थ
वाराणसी जलकल विभाग में ठेकेदारी करने वाले ठेकेदार विनय कुमार श्रीवास्तव ने अपने कमरे में विषाक्त पदार्थ खा लिया. जब घर के लोगों को इस बात की जानकारी हुई तो आनन-फानन में उसे कबीरचौरा स्थित मंडलीय अस्पताल लेकर पहुंचे, जहां हालत बिगड़ने पर डॉक्टरों ने उसे बीएचयू के लिए रेफर कर दिया.
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जलकल विभाग से नहीं हुआ भुगतान
बीएचयू स्थित सर सुंदरलाल अस्पताल के इमरजेंसी में विनय का इलाज फिलहाल जारी है. विनय ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि जलकल विभाग से उसका लगभग 10 से 15 लाख रुपये का भुगतान नहीं हुआ है. बार-बार दौड़ने के बाद उसके पैसे का भुगतान नहीं किया जा रहा है. अधिकारी उसे परेशान कर रहे हैं. जिसकी वजह से वह डिप्रेशन में था और उसने यह कदम उठाया.
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10 महीने से नहीं मिला ठेका
विनय के के पिता और चाचा ने बताया कि विनय बीके इंटरप्राइजेज नाम से ठेके लेने का काम करता था. जलकल विभाग में लंबे वक्त से सीवर सफाई का ठेका लेकर ईमानदारी से काम कर रहा था, लेकिन बीते आठ से 10 महीनों से नए अधिकारियों के आने के बाद से उसे ठेका मिल ही नहीं रहा था और बकाया पैसे का भुगतान भी उसका नहीं किया जा रहा था.
अधिकारियों से भुगतान के लिए लगाई गुहार
उन्होंने बताया कि इतना ही नहीं उसे ब्लैक लिस्ट कर दिया गया, जिससे वह मानसिक रूप से काफी परेशान था. इससे तंग आकर उसने कई बार नगर आयुक्त, जलकल जीएम, राज्य मंत्री समेत कई अन्य अधिकारियों से अपने भुगतान के लिए गुहार लगाई, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. जिससे आज उसने यह जानलेवा कदम उठाया. वहीं इस पूरे मामले में न ही पुलिस और न ही प्रशासनिक कोई अधिकारी कुछ बोलने को तैयार है.