वाराणसी: एक ओर जहां उत्तर भारत में कड़ाके की ठंड पड़ रही है तो वहीं दूसरी ओर से इस ठंड का सहारा लेकर के लोगों के घरों में एक साइलेंट किलर भी प्रवेश कर रहा है. जो नींद में लोगों को मौत की नींद सुला दे रहा है. हैरान करने वाली बात यह है कि यह कभी एक सदस्य का तो कभी पूरे परिवार का शिकार कर रहा है. यह किलर कोई और नहीं बल्की ठंड में सहारा बनी अंगीठी है.
धर्म नगरी काशी में भी 'साइलेंट किलर' की दहशत देखने को मिल रही है. इसने अब तक चार लोगों की जान ले ली है. रोहनिया थाना क्षेत्र में कमरे में जलाई गई अंगीठी के धुएं से दम घुटने से मासूम की मौत हो गई. तीन लोग अचेत हो गए, जिन्हें मंडलीय अस्पताल में भर्ती कराया गया. ऐसे ही कई मामले हो रहे हैं, जिनमें मौत की सूचना सामने आ रही है.
मंडलीय अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक डॉक्टर शशि भूषण उपाध्याय ने बताया कि कार्बन मोनोऑक्साइड बहुत ही जगरीली गैस होती है. ऑक्सीजन का प्रयोग हमारे शरीर में हीमोग्लोबिन को बाइंड करके होता है. वहीं, कार्बन मोनोऑक्साइड ऑक्सीजन से कई गुना ज्यादा हीमोग्लोबिन से बाइंड करती है. यह गैस ऐसा बॉन्ड बनाती है कि शरीर में ऑक्सीजन सप्लाई बाधित हो जाती है.
शरीर में 5 गुना तेजी से फैलती है यह गैस
उन्होंने बताया कि हम देखते हैं कि ग्रामीण इलाकों में कमरे को गरम करने के लिए अंगीठी जलाकर लोग सो जाते हैं. इससे कार्बन मोनोऑक्साइड का उत्सर्जन होता है. इंसान सोया रहता है. कार्बन मोनोऑक्साइड इंसान के ब्लड में 5 गुना तेजी से बाइंड कर देता है. इससे शरीर में ऑक्सीजन की कमी होने लगती है, जिसकी वजह से सांस लेने में दिक्कत होने लगती है.
बच्चों के लिए बहुत खतरनाक है यह गैस
डॉक्टर शशि भूषण उपाध्याय ने बताया कि इस गैस के कारण सिर दर्द शुरू हो जाता है. हालांकि, बच्चों में हीमोग्लोबिन पर्याप्त मात्रा में होता है. यह बच्चों के लिए बहुत ही घातक होता है. एक घटना सामने आई थी, जिसमें अंगठी जलाकर परिवार सोया था. इसमें बच्चे की मौत हो गई थी. इसलिए सबसे बड़ी सावधानी यह बरतनी है कि बंद कमरे में किसी भी प्रकार की लकड़ी जलाकर न रखी जाए.
अंगीठी से स्वास्थ्य को होने वाला नुकसान
घटता है ऑक्सीजन का स्तर
बंद कमरे में लकड़ी या कोयले की अंगीठी को जलाने से कमरे में मोनोऑक्साइड का स्तर बढ़ जाता है, जो सीधे इंसान के दिमाग पर असर डालता है. इसके साथ ही कमरे में ऑक्सीजन का स्तर घटता है. इसी वजह से इंसान की नींद में ही मौत हो जाने का खतरा अधिक रहता है.
खून को पहुंचता है नुकसान
बंद कमरे में रखी अंगीठी फेफड़ों को नुकसान पहुंचाती है. इससे निकलने वाली कार्बन मोनोऑक्साइड गैस सांस के जरिए फेफड़ों तक पहुंचती है. मोनोऑक्साइड फेफड़ों में पहुंचने के बाद सीधे खून में मिल जाती है, जिससे शरीर का हीमोग्लोबिन लेवल घट जाता है.
आंखों के लिए है हानिकारक
लकड़ी, कोयले आदि को जलाने से इससे निकलने वाला धुआं आंखों को नुकसान पहुंचाता है. लगातार धुएं के संपर्क में रहने से आंखों में सूखेपन की समस्या हो सकती है. ऐसे में धुएं से आंखों को बचाए रखना बेहद जरूरी है.
वाराणसी में अब तक चार लोगों की हो चुकी मौत
बता दें कि वाराणसी में अब तक चार लोगों की मौत हो चुकी है. पहली घटना वाराणसी के आदमपुर थाना क्षेत्र की है, जहां पूरे परिवार की मौत अंगीठी के कारण हुई थी. वहीं, दूसरी घटना रोहनिया थाना क्षेत्र की है. यहां एक बच्चे की मौत हो गई थी. वहीं, परिवार के दो लोग गंभीर रूप से घायल हो गए हैं, जिनका मंडलीय अस्पताल में इलाज चल रहा है.
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