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वाराणसी: बैंड बाजे की धुन पर बच्चों ने कोरोना योद्धा का किया स्वागत

उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले में कोरोना संक्रमितों की सेवा में लगे डॉक्टर निरंजन श्रीवास्तव 14 दिन का क्वारंटाइन पीरियड पूरा कर वापस घर आ गए. इस दौरान बच्चों ने बैंड बाजे के साथ उनका स्वागत कर उत्साहवर्धन किया.

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Published : Jun 1, 2020, 5:42 PM IST

corona warrior.
कोरोना योद्धा का भव्य स्वागत.

वाराणसी: कोरोना महामारी के इस दौर में डॉक्टर, पुलिसकर्मी और सफाईकर्मी दिन रात ड्यूटी कर लोगों की सेवा में लगे हुए हैं. ऐसे कोरोना योद्धाओं को हर कोई सम्मानित कर रहा है. इसी क्रम में रविवार को जिले में 14 दिन क्वारंटाइन की अवधि पूरी कर वापस आए कोरोना योद्धा का भव्य स्वागत किया गया.

कोरोना योद्धा का भव्य स्वागत
कोरोना संक्रमितों के संपर्क में रहने वाले पंडित दीनदयाल उपाध्याय जिला अस्पताल के वरिष्ठ लैब टेक्नीशियन डॉक्टर निरंजन श्रीवास्तव अपनी सेवाओं को देने के बाद सरकारी आदेश पर 14 दिन तक क्वारंटाइन थे. उनकी जांच रिपोर्ट निगेटिव आने पर रविवार को उन्हें घर जाने की अनुमति मिली.

14 दिनों बाद जब वह घर पहुंचे तो उनकी कॉलोनी के बच्चों के साथ ही विशाल भारत संस्थान के बच्चों और लोगों ने उनका बड़े ही भव्य तरीके से स्वागत किया. बैंड बाजे के साथ उन्हें सलामी दी गई और साथ ही लोगों ने उनका उत्साहवर्धन किया.

डॉ. निरंजन श्रीवास्तव ने बताया कि कोरोना संक्रमितों की सेवा करते हुए भले ही जिन्दगी और मौत से जंग हो रही थी, लेकिन सबसे ज्यादा याद अपने लोगों की ही आती थी. कोरोना संक्रमितों की सेवा करने के बावजूद स्वस्थ होकर वापस आया हूं तो उसमें बाबा विश्वनाथ का आशीर्वाद और हजारों लोगों की दुआ शामिल है.

वाराणसी: कोरोना महामारी के इस दौर में डॉक्टर, पुलिसकर्मी और सफाईकर्मी दिन रात ड्यूटी कर लोगों की सेवा में लगे हुए हैं. ऐसे कोरोना योद्धाओं को हर कोई सम्मानित कर रहा है. इसी क्रम में रविवार को जिले में 14 दिन क्वारंटाइन की अवधि पूरी कर वापस आए कोरोना योद्धा का भव्य स्वागत किया गया.

कोरोना योद्धा का भव्य स्वागत
कोरोना संक्रमितों के संपर्क में रहने वाले पंडित दीनदयाल उपाध्याय जिला अस्पताल के वरिष्ठ लैब टेक्नीशियन डॉक्टर निरंजन श्रीवास्तव अपनी सेवाओं को देने के बाद सरकारी आदेश पर 14 दिन तक क्वारंटाइन थे. उनकी जांच रिपोर्ट निगेटिव आने पर रविवार को उन्हें घर जाने की अनुमति मिली.

14 दिनों बाद जब वह घर पहुंचे तो उनकी कॉलोनी के बच्चों के साथ ही विशाल भारत संस्थान के बच्चों और लोगों ने उनका बड़े ही भव्य तरीके से स्वागत किया. बैंड बाजे के साथ उन्हें सलामी दी गई और साथ ही लोगों ने उनका उत्साहवर्धन किया.

डॉ. निरंजन श्रीवास्तव ने बताया कि कोरोना संक्रमितों की सेवा करते हुए भले ही जिन्दगी और मौत से जंग हो रही थी, लेकिन सबसे ज्यादा याद अपने लोगों की ही आती थी. कोरोना संक्रमितों की सेवा करने के बावजूद स्वस्थ होकर वापस आया हूं तो उसमें बाबा विश्वनाथ का आशीर्वाद और हजारों लोगों की दुआ शामिल है.

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