वाराणसी: वर्तमान समय में वायरल बीमारियों ने हर किसी को परेशान किया है. इसने बच्चों को भी खासा प्रभावित किया है. यही वजह है कि ओपीडी में लगातार वायरल से ग्रसित बच्चों की संख्या बढ़ती जा रही है. सामान्य ओपीडी में 250 बच्चे प्रतिदिन वायरल बीमारी से ग्रसित होकर पहुंच रहे हैं. ऐसे में बच्चों में जहां वायरल की समस्या बनी हुई है तो वहीं पोस्ट वायरल बीमारी के भी लक्षण नजर आ रहे हैं, जिससे नैनिहाल खासा परेशान हैं. इन लक्षणों में कमजोरी से लेकर बच्चों के हाथ पैर में दर्द की भी शिकायत है. जानते हैं कि किस तरीके से बच्चों की देखभाल करनी है और इसके क्या-क्या (symptoms of post viral fever ) सिम्टम्स हैं.
वाराणसी में डेंगू और वायरल बुखार: वाराणसी में इन दिनों डेंगू और वायरल बुखार के मरीजों की संख्या काफी बढ़ी है. लगातार इन मरीजों के इलाज की प्रक्रिया की जा रही है. जिले का स्वास्थ्य महकमा गलियों-वार्डों में साफ-सफाई करा रहा है. इसके साथ ही डेंगू से बचाव के लिए केमिकल्स का छिड़काव भी कराया जा रहा है. हालात ये हैं कि अभी भी डेंगू के मामलों पर नियंत्रण उतना नहीं लाया जा सका है, जबकि वायरल फीवर के मरीजों की भी संख्या बनी हुई है. वहीं अगर बात बच्चों की करें तो कई मामलों में बच्चों को भी डेंगू हुआ है. वायरल से संक्रमित बच्चों की संख्या भी अधिक है. इन बच्चों में बुखार के दौरान काफी परेशानियां देखने को मिल रही हैं.
10 से 15 फीसदी बच्चों में हाई ग्रेड का फीवर: कबीरचौरा के नवजात शिशु और बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. सीपी गुप्ता इस बारे में बताते हैं कि वायरल सामान्य रूप से बुखार के साथ दिखाई देता है. अधिकतकर बच्चों में यह बहुत ही कम मात्रा में रहता है. लेकिन, आंकड़ों की बात करें तो 10 से 15 फीसदी बच्चों में यह हाई ग्रेड का रहता है. ऐसे में बुखार, खासी, लूज मोशन, पेट में दर्द रहता है. डॉ. गुप्ता कहते हैं कि अधिकतर मामलों प्रदूषण और कीट जनित बीमारियां होती हैं. ऐसे में बच्चों को मच्छर से बचाकर रखना है. घर के आस-पास पानी न इकट्ठा होने पाए. पानी को अच्छे से उबालकर रखें और वही पानी पिलाएं.
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इस बार बदले हुए स्वरूप में है वायरल फीवर: बच्चों के डेंगू संक्रमित होने को लेकर डॉ. सीपी गुप्ता ने कहा कि इसके मामले बच्चों को लेकर काफी कम आए हैं. लेकिन, वायरल और डेंगू के सिम्टम्स एक ही होते हैं. इसमें बुखार, जोड़ों में दर्द, शरीर में दर्द और सिर दर्द रहता है. वायरल की अपेक्षा डेंगू के मामले काफी कम हैं. इस बार बच्चों में वायरल का बुखार काफी दिनों से देखा जा रहा है. डॉ. गुप्ता ने कहा पहले वायरल होते थे तो 3-5 दिन में नॉर्मल हो जाता है. लेकिन, इस समय एक हफ्ते तक यह मरीज में बना रहता है. ऐसा भी देखने को मिल रहा है कि बुखार की दवा दे रहे हैं, फिर भी बुखार नहीं उतर रहा है. ओपीडी में लगभग 250 बच्चे आ रहे हैं.
पोस्ट वायरल में बच्चों को काफी परेशानी: डॉ. गुप्ता ने कहा कि अगर बच्चों के परिजन बुखार की दवा दे रहे हैं और फिर भी बुखार नहीं उतर रहा है तो बच्चों का पूरा शरीर गीले कपड़े से पोछते रहना है. तब तक पोछते रहें जब तक बच्चों का बुखार नॉर्मल नहीं हो जाता. वहीं अगर पोस्ट वायरल इफेक्ट की बात करें तो बुखार के बाद जब बच्चा उबरता है तो कमजोरी बनी रही है, भूख न लगने की समस्या होती है. वहीं कुछ-कुछ बच्चों में कोहनी, कलाई, घुटने जैसे ज्वाइंट्स में दर्द की समस्या रहती है. लेकिन, बड़े लोगों से ज्यादा तकलीफ बच्चों में नहीं हो रही है. पैरासिटॉमॉल या किसी दर्द की दवा से वह नॉर्मल हो जा रहा है. हालांकि सभी बच्चे रिकवरी कर रहे हैं.
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