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फुलवरिया फोरलेन एप्रोच रोड पर दरार मामले की जांच करने पहुंची केंद्रीय जांच टीम, स्वायल टेस्ट की तैयारी - वाराणसी फुलवरिया फोरलेन एप्रोच रोड

वाराणसी फुलवरिया फोरलेन एप्रोच रोड पर दरार मामले की जांच करने केंद्रीय जांच टीम सोमवार को मौके पर पहुंची. टीम ने सड़क पर दरारें पड़ने और धंसने की वजह जानने की कोशिश की. टीम जांच करने के बाद लौट गई.

केंद्रीय जांच टीम
केंद्रीय जांच टीम
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Published : Aug 30, 2022, 8:25 AM IST

वाराणसी: निर्माणाधीन फुलवरिया-लहरतारा फोर लेन पर इमिलियाघाट पुल के पास सड़क धंसने और दरारें पड़ने व भ्रष्टाचार की जांच के लिए सोमवार को केंद्रीय जांच टीम मौके पर पहुंची. तीन सदस्यीय टीम और दो स्थानीय अधिकारियों के साथ इमिलिया घाट पहुंची टीम ने सड़क पर दरारें पड़ने और धंसने की वजह जानने की कोशिश की. करीब एक घंटे तक जांच के बाद टीम लौट गई. टीम में सेतु निगम के संयुक्त परियोजना निदेशक राकेश सिंह, जनरल मैनेजर क्वालिटी कंट्रोल रविदत्त और मुख्य परियोजना प्रबंधक संतराज के साथ दो स्थानीय अधिकारी रहे.

टीम में शामिल सेतु निगम के संयुक्त परियोजना निदेशक राकेश सिंह ने आसपास के लोगों से पूछा कि उन्होंने क्या देखा, वहां मीडिया के लोग भी मौजूद थे. लोगों ने टीम को बताया कि दरारें कहां और कितनी मोटाई और गहराई तक पड़ी थीं. यह भी बताया गया कि सेतु निगम ने पुल के पास बनी सड़क के किनारे मिट्टी का बहाव रोकने के लिए कोई प्रबंध नहीं किया था. न तो बोल्डर डाले गए थे और न ही सीमेंट की दीवार खड़ी की गई थी.

टीम के सदस्यों ने पुल के दोनों किनारों के निर्माण कार्य को देखा. निरीक्षण के दौरान वरूणा में बाढ़ का पानी दिखाई दे रहा था. क्षतिग्रस्त सड़क निर्माण कार्य में मजदूर लगे रहे. इसके अलावा पुल के पूर्वी हिस्से, जिस तरफ की सड़क पर दरारें आई थीं वहां बाढ़ के पानी में बालू की बोरियां डाली जा रही थीं. जांच के दौरान संयुक्त परियोजना निदेशक राकेश सिंह ने बताया कि वह तकनीकी पहलुओं की जांच करने आए हैं. प्रथम द्रष्टया यह मामला बारिश और बाढ़ के पानी से मिट्टी के दरकने का लग रहा है. इस लापरवाही के लिए जो भी जिम्मेदार होंगे उनकी जिम्मेदारी तय की जाएगी.

उन्होंने कहा कि वाराणसी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र है. इसलिए यहां के लोगों को कोई दिक्कत न हो इसके लिए काम चालू करा दिया गया है. अभी सड़क को एक मीटर गहरा खोदकर स्वायल टेस्ट कराया जाएगा. उसके लिए टीम आने वाली है. पूरे मामले की विस्तृत जांच होगी और इसकी रिपोर्ट जल्द ही सरकार को भेज दी जाएगी. उन्होंने यह भी कहा कि अन्य जांचों की तरह इसमें विलम्ब नहीं होने वाला है. परियोजना के बजट के सवाल पर उन्होंने कहा कि इसके बारे में हम कुछ नहीं कह सकते. करीब एक घंटे तक जांच के बाद टीम लौट गई. इससे पहले टीम ने सर्किट हाउस में सेतु निगम व प्रशासनिक अफसरों के साथ बैठक की थी. इसके बाद इमिलिया घाट पहुंची.

यह भी पढ़ें: काशी में गंगा घाटों पर होने वाली पारंपरिक आरती में प्रशासनिक हस्तक्षेप से धार्मिक संस्थाएं नाराज

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के फुलवरिया-लहरतारा फोर लेन परियोजना में लापरवाही बरतने के मामले में शनिवार को बड़ी कार्रवाई की गई थी. मुख्यमंत्री के आदेश पर लोक निर्माण मंत्री जितिन प्रसाद ने राजकीय सेतु निगम के सहायक अभियंता ज्ञानेंद्र वर्मा और अवर अभियंता राजेश कुमार को निलम्बित कर दिया था. इसके साथ ही मामले की जांच के आदेश दिए थे. इस मामले में 3 सदस्य टीम गठित की गई है और जांच के बाद कई अन्य अभियंताओं पर भी कार्रवाई की तैयारी की जा रही है. माना जा रहा है कि इस जांच के पूरे होने के बाद विभाग में लगभग चार से पांच अन्य अधिकारियों पर गाज गिरना तय है.

वाराणसी: निर्माणाधीन फुलवरिया-लहरतारा फोर लेन पर इमिलियाघाट पुल के पास सड़क धंसने और दरारें पड़ने व भ्रष्टाचार की जांच के लिए सोमवार को केंद्रीय जांच टीम मौके पर पहुंची. तीन सदस्यीय टीम और दो स्थानीय अधिकारियों के साथ इमिलिया घाट पहुंची टीम ने सड़क पर दरारें पड़ने और धंसने की वजह जानने की कोशिश की. करीब एक घंटे तक जांच के बाद टीम लौट गई. टीम में सेतु निगम के संयुक्त परियोजना निदेशक राकेश सिंह, जनरल मैनेजर क्वालिटी कंट्रोल रविदत्त और मुख्य परियोजना प्रबंधक संतराज के साथ दो स्थानीय अधिकारी रहे.

टीम में शामिल सेतु निगम के संयुक्त परियोजना निदेशक राकेश सिंह ने आसपास के लोगों से पूछा कि उन्होंने क्या देखा, वहां मीडिया के लोग भी मौजूद थे. लोगों ने टीम को बताया कि दरारें कहां और कितनी मोटाई और गहराई तक पड़ी थीं. यह भी बताया गया कि सेतु निगम ने पुल के पास बनी सड़क के किनारे मिट्टी का बहाव रोकने के लिए कोई प्रबंध नहीं किया था. न तो बोल्डर डाले गए थे और न ही सीमेंट की दीवार खड़ी की गई थी.

टीम के सदस्यों ने पुल के दोनों किनारों के निर्माण कार्य को देखा. निरीक्षण के दौरान वरूणा में बाढ़ का पानी दिखाई दे रहा था. क्षतिग्रस्त सड़क निर्माण कार्य में मजदूर लगे रहे. इसके अलावा पुल के पूर्वी हिस्से, जिस तरफ की सड़क पर दरारें आई थीं वहां बाढ़ के पानी में बालू की बोरियां डाली जा रही थीं. जांच के दौरान संयुक्त परियोजना निदेशक राकेश सिंह ने बताया कि वह तकनीकी पहलुओं की जांच करने आए हैं. प्रथम द्रष्टया यह मामला बारिश और बाढ़ के पानी से मिट्टी के दरकने का लग रहा है. इस लापरवाही के लिए जो भी जिम्मेदार होंगे उनकी जिम्मेदारी तय की जाएगी.

उन्होंने कहा कि वाराणसी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र है. इसलिए यहां के लोगों को कोई दिक्कत न हो इसके लिए काम चालू करा दिया गया है. अभी सड़क को एक मीटर गहरा खोदकर स्वायल टेस्ट कराया जाएगा. उसके लिए टीम आने वाली है. पूरे मामले की विस्तृत जांच होगी और इसकी रिपोर्ट जल्द ही सरकार को भेज दी जाएगी. उन्होंने यह भी कहा कि अन्य जांचों की तरह इसमें विलम्ब नहीं होने वाला है. परियोजना के बजट के सवाल पर उन्होंने कहा कि इसके बारे में हम कुछ नहीं कह सकते. करीब एक घंटे तक जांच के बाद टीम लौट गई. इससे पहले टीम ने सर्किट हाउस में सेतु निगम व प्रशासनिक अफसरों के साथ बैठक की थी. इसके बाद इमिलिया घाट पहुंची.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के फुलवरिया-लहरतारा फोर लेन परियोजना में लापरवाही बरतने के मामले में शनिवार को बड़ी कार्रवाई की गई थी. मुख्यमंत्री के आदेश पर लोक निर्माण मंत्री जितिन प्रसाद ने राजकीय सेतु निगम के सहायक अभियंता ज्ञानेंद्र वर्मा और अवर अभियंता राजेश कुमार को निलम्बित कर दिया था. इसके साथ ही मामले की जांच के आदेश दिए थे. इस मामले में 3 सदस्य टीम गठित की गई है और जांच के बाद कई अन्य अभियंताओं पर भी कार्रवाई की तैयारी की जा रही है. माना जा रहा है कि इस जांच के पूरे होने के बाद विभाग में लगभग चार से पांच अन्य अधिकारियों पर गाज गिरना तय है.

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