वाराणसी: उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री नंद गोपाल नंदी वाराणसी पहुंचे. जहां मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि आज मंत्री अनिल राजभर जी के विधानसभा में प्रबुद्ध वर्ग सम्मेलन है. वहां पर प्रबुद्ध समाज के जो भी गणमान्य लोग उपस्थित होंगे उनको संबोधित करना है. प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में देश में 'सबका साथ सबका विकास और सबका विश्वास' ये सिर्फ नारा नहीं है बल्कि उद्देश्य है और इसी के तहत कार्य हो रहा है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री जी एक कर्म योगी मुख्यमंत्री की तरह प्रदेश में काम कर रहे हैं. उनका उद्देश्य है कि अंतिम गांव तक विकास की रोशनी पहुंचे, प्रदेश के अंतिम व्यक्ति तक सरकार की योजनाओं का लाभ मिले और इसके लिए लगातार कार्य किए जा रहे हैं.
कैबिनेट मंत्री नंद गोपाल नंदी ने पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पर तीखा जुबानी हमला किया. उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने लायक नहीं थे. उन्हें तो पिताजी की विरासत मिली है. अखिलेश यादव ने ऐसे-ऐसे मूर्खतापूर्णं तमाम बयान दिए जो कि सुर्खियों में रहे हैं. उनकी ऐसे बड़े पद पर बैठकर छोटी हरकतें करना मकान की टोंटी उखाड़ लेना ये सब चीजें चर्चा में रही हैं. उन्होंने कहा था कि ये भाजपा की वैक्सीन है हम नहीं लगाएंगे. नंद गोपाल नंदी ने कहा मैं आदरणीय मुलायम सिंह यादव जी को धन्यवाद देना चाहता हूं कि उन्होंने इस देश के वैज्ञानिकों पर भरोसा जताया, इस देश के डॉक्टरों का सम्मान किया और वैक्सीन लगवाई और अपने बेटे द्वारा फैलाए गए भ्रम की स्थित को नकारते हुए लोगों को प्रेरित किया कि कोविड की वैक्सीन लगवाएं.
मंत्री नंद गोपाल नंदी ने कहा कि अखिलेश यादव पर तंज कसते हुए कहा कि अखिलेश यादव ने ऐसी बहुत सारी चीजें की हैं, चाहे वह पप्पू का साथ रहा हो या बुआ का साथ रहा हो, पिता जी की बनाई जमीन पर जिसको गद्दी मिल गई वो वीडियो गेम खेलने में और मोबाइल, ट्विटर पर ही कार्य करते है. ऐसे लोग कभी सड़क पर संघर्ष करते नजर नहीं आए. अरविंद केजरीवाल को लेकर उन्होंने कहा कि अगर हम ये कहें कि केजरीवाल झूठ नहीं झूठ का पेड़ है तो यह गलत नहीं होगा. उन्होंने कहा झूठ तो एक होता है वह अनेक तरह के झूठ बोलने का कार्य करते है. उन्होंने कहा अरविंद केजरीवाल ही नहीं मायावती, अखिलेश यादव, मुलायाम सिंह यादव जी रहे हों इन सब लोगों ने जिस तरह से ढोंग किया है. जो लोग रोजा इफ्तार करते थे, टोपी लगाकर मजार पर दर्शन करते थे, लेकिन उन्हें मंदिर जाने में डर लगता था. आज वही लोग जनेऊ निकालकर दिखाने का काम कर रहे हैं.