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दुष्कर्म मामले में बरी होने वाले बीएसपी सांसद अतुल राय का ये है राजनीतिक इतिहास - BSP MP Atul Rai acquitted

बसपा के सांसद अतुल राय को वाराणसी एमपी एमएलए कोर्ट ने बाइज्जत बरी कर दिया है. पीड़िता के वकील सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता ज्योति शंकरउपाध्याय का कहना है कि वह हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे.

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सांसद अतुल राय
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Published : Aug 6, 2022, 4:32 PM IST

Updated : Aug 6, 2022, 7:36 PM IST

वाराणसी: बहुजन समाजवादी पार्टी के सांसद अतुल राय को शनिवार को वाराणसी एमपी एमएलए कोर्ट ने बाइज्जत बरी कर दिया है, लेकिन अभी अतुल राय की मुश्किलें कम होने वाली नहीं है, क्योंकि पीड़िता की तरफ से उनके वकील और सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी ज्योति शंकर उपाध्याय ने इस मामले में हाईकोर्ट से गुहार लगाने की बात कही है. इतना ही नहीं अतुल राय पर अभी लगभग 30 मुकदमे दर्ज हैं, जिनमें 2009 में पहला रंगदारी का मामला अतुल राय पर दर्ज किया गया था.

इस दौरान पीड़िता के वकील सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी ज्योति शंकर उपाध्याय से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की. उन्होंने साफ तौर पर कहा कि इस मामले में हाईकोर्ट की शरण में वह लोग जाएंगे, क्योंकि जितने भी साक्ष्य हैं, वह प्रयागराज में ही न्यायालय के सामने रखे गए थे. उसके बाद वाराणसी के एमपी एमएलए कोर्ट में चीजें उस तरह से नहीं रखी जा सके, जिस तरह से जरूरत थी. इस वजह से अब वह हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे और इस प्रकरण में जो भी आगे की रणनीति होगी उस पर विचार करेंगे.

बता दें कि वैसे वाराणसी में पढ़ाई के बाद जरायम की दुनिया में कदम रखने के बाद सीधे राजनीति में कूदने वाले अतुल राय का विवादों से कोई नया नाता नहीं रहा है. मुख्तार अंसारी के करीबी रहने वाले अतुल लाए अचानक से मुख्तार के विरोधी बन गए और फिर देखते ही देखते पूर्वांचल की अपराधी पृष्ठभूमि से राजनैतिक पृष्ठभूमि पर एक नए रूप में सामने आने लगे अतुल राय पर पूर्वांचल के अलग-अलग जिलों में कुल 28 से भी ज्यादा मुकदमे दर्ज हैं, जिनमें 2009 में पहला मामला रंगदारी का दर्ज हुआ था. मऊ जिले की घोसी लोकसभा से बसपा सांसद अतुल राय इस समय प्रयागराज के नैनी सेंट्रल जेल में बंद है, लेकिन उनके अपराधों की फेयर लिस्ट अभी भी कम नहीं है. भले ही उनको एक मामले में आज कोर्ट ने बाइज्जत बरी कर दिया हो लेकिन अभी भी दर्जनों मामले उनके ऊपर दर्ज हैं और 120 बी के रेप पीड़िता के आत्मदाह के मामले में अभी उनको जमानत मिलना भी बाकी है. इसलिए उनका बड़ी होने के बाद भी जेल से बाहर आना मुश्किल है.

जानकारी देते हुए सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता ज्योति शंकर उपाध्याय

यह भी पढ़ें- शादी का झांसा देकर रेप करने के मामले में दारोगा सस्पेंड, एसओ और एसीपी पर भी गाज

अतुल राय पर यदि मुकदमों की बात की जाए तो दिल्ली में सुप्रीम कोर्ट के मामले में अतुल राय पर 120b का मुकदमा दर्ज है. इसके अतिरिक्त लगभग 28 अन्य मुकदमे जिनमें हत्या, हत्या के प्रयास रंगदारी के मामले भी दर्ज किए गए हैं. यह मुकदमे वाराणसी मऊ और गाजीपुर में दर्ज हैं हालांकि 2019 में अतुल जब लोकसभा चुनाव लड़ रहे थे तब दोनों ने अपने शपथ पत्र में अपने कुल 13 मुकदमे दर्ज होने की बात लिखी थी, लेकिन उस वक्त अत उल्ला पर कुल 24 मुकदमे दर्ज थे. शपथ पत्र में गलत जानकारी देने के मामले में भी अतुल के खिलाफ उस वक्त मऊ की शहर कोतवाली में केस दर्ज किया गया था.

गाजीपुर जिले के भावरकोल थाना के बीरपुर गांव के रहने वाले अतुल राय के पिता भारत सिंह डीएलडब्ल्यू में कर्मचारी रहे. इसलिए अतुल्य की प्रारंभिक शिक्षा वाराणसी से ही हुई और मैदागिन स्थित हरिशचंद्र पीजी कॉलेज से 2004 में अतुल ने बीएससी की पढ़ाई कंप्लीट की. यहां से पढ़ाई कंप्लीट करने के बाद अपराध जगत के ग्लैमर ने अतुल को अपनी तरफ खींचना शुरू कर दिया और अतुल का झुकाव मऊ के सदर विधायक मुख्तार अंसारी की तरफ बढ़ता चला गया. जिसकी वजह से मुख्तार के साथ में मिलकर पूर्वांचल में सक्रिय होने लगा. अतुल के खिलाफ पहला मुकदमा रंगदारी मांगने और धमकाने सहित कई अन्य आरोपों में साल 2009 में मंडुवाडीह थाने में दर्ज किया गया था.

वाराणसी के थाने में पहला मुकदमा दर्ज होने के बाद अतुल के ऊपर एक के बाद एक कई मुकदमे दर्ज हुए 2020 तक वाराणसी में ही अतुल के खिलाफ 14 मुकदमे दर्ज हो चुके थे. इसके बाद गाजीपुर और मऊ में भी हत्या, हत्या के प्रयास और रंगदारी के कई मामले दर्ज किए गए. अतुल राय ने कम समय में ही पूर्वांचल में एक अलग मुकाम हासिल करने की कोशिश शुरू कर दी थी. मुख्तार अंसारी का साथ लेकर अतुल ने मुख्तार को ही दरकिनार कर 2019 में लोकसभा चुनाव लड़ा और मुख्तार का टिकट कटने के बाद इन दोनों के बीच की खाई और भी गहरी होती चली गई. अपने मैनेजमेंट और पूर्वांचल के युवाओं को साधने की अच्छी पकड़ रखने वाले अतुल राय ने मुख्तार के ही इशारे पर बनारस के मोबाइल टावर में डीजल सप्लाई का काम शुरू किया. मुख्तार गिरोह के ठेके अतुल की देखरेख में संचालित होना शुरू हो गए. अतुल ने अपने स्वामित्व वाली फर्म स्थापित करने के बाद खुद की पहचान रेलवे के बड़े ठेकेदार के तौर पर बनाना शुरू कर दिया और धीरे-धीरे मुख्तार और अतुल के बीच दूरी बढ़ना भी शुरू हो गई.

वहीं, 2019 घोसी लोकसभा से मुख्तार अंसारी अपने बेटे को बसपा का प्रत्याशी बनाना चाहते थे. उसी समय बसपा ने अतुल को मैदान में उतार दिया, जिसके बाद दोनों के बीच की करीबी दूरी में तब्दील हो गई. प्रत्याशी घोषित होने के बाद से ही अतुल की मुश्किलें भी बढ़ना शुरू हो गई थी, लेकिन सांसद बनने के बाद इधर उधर भाग रहे तो लाइन में सरेंडर किया और तब से अतुल राय जेल में ही है. फिलहाल अतुल को एक मामले में तो बाइज्जत बरी किया गया है. लेकिन अब भी लगभग 30 मामलों में अतुल राय कि मुश्किल है बढ़ सकती हैं और जेल से बाहर आने के लिए उन्हें इंतजार करना पड़ सकता है.

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वाराणसी: बहुजन समाजवादी पार्टी के सांसद अतुल राय को शनिवार को वाराणसी एमपी एमएलए कोर्ट ने बाइज्जत बरी कर दिया है, लेकिन अभी अतुल राय की मुश्किलें कम होने वाली नहीं है, क्योंकि पीड़िता की तरफ से उनके वकील और सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी ज्योति शंकर उपाध्याय ने इस मामले में हाईकोर्ट से गुहार लगाने की बात कही है. इतना ही नहीं अतुल राय पर अभी लगभग 30 मुकदमे दर्ज हैं, जिनमें 2009 में पहला रंगदारी का मामला अतुल राय पर दर्ज किया गया था.

इस दौरान पीड़िता के वकील सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी ज्योति शंकर उपाध्याय से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की. उन्होंने साफ तौर पर कहा कि इस मामले में हाईकोर्ट की शरण में वह लोग जाएंगे, क्योंकि जितने भी साक्ष्य हैं, वह प्रयागराज में ही न्यायालय के सामने रखे गए थे. उसके बाद वाराणसी के एमपी एमएलए कोर्ट में चीजें उस तरह से नहीं रखी जा सके, जिस तरह से जरूरत थी. इस वजह से अब वह हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे और इस प्रकरण में जो भी आगे की रणनीति होगी उस पर विचार करेंगे.

बता दें कि वैसे वाराणसी में पढ़ाई के बाद जरायम की दुनिया में कदम रखने के बाद सीधे राजनीति में कूदने वाले अतुल राय का विवादों से कोई नया नाता नहीं रहा है. मुख्तार अंसारी के करीबी रहने वाले अतुल लाए अचानक से मुख्तार के विरोधी बन गए और फिर देखते ही देखते पूर्वांचल की अपराधी पृष्ठभूमि से राजनैतिक पृष्ठभूमि पर एक नए रूप में सामने आने लगे अतुल राय पर पूर्वांचल के अलग-अलग जिलों में कुल 28 से भी ज्यादा मुकदमे दर्ज हैं, जिनमें 2009 में पहला मामला रंगदारी का दर्ज हुआ था. मऊ जिले की घोसी लोकसभा से बसपा सांसद अतुल राय इस समय प्रयागराज के नैनी सेंट्रल जेल में बंद है, लेकिन उनके अपराधों की फेयर लिस्ट अभी भी कम नहीं है. भले ही उनको एक मामले में आज कोर्ट ने बाइज्जत बरी कर दिया हो लेकिन अभी भी दर्जनों मामले उनके ऊपर दर्ज हैं और 120 बी के रेप पीड़िता के आत्मदाह के मामले में अभी उनको जमानत मिलना भी बाकी है. इसलिए उनका बड़ी होने के बाद भी जेल से बाहर आना मुश्किल है.

जानकारी देते हुए सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता ज्योति शंकर उपाध्याय

यह भी पढ़ें- शादी का झांसा देकर रेप करने के मामले में दारोगा सस्पेंड, एसओ और एसीपी पर भी गाज

अतुल राय पर यदि मुकदमों की बात की जाए तो दिल्ली में सुप्रीम कोर्ट के मामले में अतुल राय पर 120b का मुकदमा दर्ज है. इसके अतिरिक्त लगभग 28 अन्य मुकदमे जिनमें हत्या, हत्या के प्रयास रंगदारी के मामले भी दर्ज किए गए हैं. यह मुकदमे वाराणसी मऊ और गाजीपुर में दर्ज हैं हालांकि 2019 में अतुल जब लोकसभा चुनाव लड़ रहे थे तब दोनों ने अपने शपथ पत्र में अपने कुल 13 मुकदमे दर्ज होने की बात लिखी थी, लेकिन उस वक्त अत उल्ला पर कुल 24 मुकदमे दर्ज थे. शपथ पत्र में गलत जानकारी देने के मामले में भी अतुल के खिलाफ उस वक्त मऊ की शहर कोतवाली में केस दर्ज किया गया था.

गाजीपुर जिले के भावरकोल थाना के बीरपुर गांव के रहने वाले अतुल राय के पिता भारत सिंह डीएलडब्ल्यू में कर्मचारी रहे. इसलिए अतुल्य की प्रारंभिक शिक्षा वाराणसी से ही हुई और मैदागिन स्थित हरिशचंद्र पीजी कॉलेज से 2004 में अतुल ने बीएससी की पढ़ाई कंप्लीट की. यहां से पढ़ाई कंप्लीट करने के बाद अपराध जगत के ग्लैमर ने अतुल को अपनी तरफ खींचना शुरू कर दिया और अतुल का झुकाव मऊ के सदर विधायक मुख्तार अंसारी की तरफ बढ़ता चला गया. जिसकी वजह से मुख्तार के साथ में मिलकर पूर्वांचल में सक्रिय होने लगा. अतुल के खिलाफ पहला मुकदमा रंगदारी मांगने और धमकाने सहित कई अन्य आरोपों में साल 2009 में मंडुवाडीह थाने में दर्ज किया गया था.

वाराणसी के थाने में पहला मुकदमा दर्ज होने के बाद अतुल के ऊपर एक के बाद एक कई मुकदमे दर्ज हुए 2020 तक वाराणसी में ही अतुल के खिलाफ 14 मुकदमे दर्ज हो चुके थे. इसके बाद गाजीपुर और मऊ में भी हत्या, हत्या के प्रयास और रंगदारी के कई मामले दर्ज किए गए. अतुल राय ने कम समय में ही पूर्वांचल में एक अलग मुकाम हासिल करने की कोशिश शुरू कर दी थी. मुख्तार अंसारी का साथ लेकर अतुल ने मुख्तार को ही दरकिनार कर 2019 में लोकसभा चुनाव लड़ा और मुख्तार का टिकट कटने के बाद इन दोनों के बीच की खाई और भी गहरी होती चली गई. अपने मैनेजमेंट और पूर्वांचल के युवाओं को साधने की अच्छी पकड़ रखने वाले अतुल राय ने मुख्तार के ही इशारे पर बनारस के मोबाइल टावर में डीजल सप्लाई का काम शुरू किया. मुख्तार गिरोह के ठेके अतुल की देखरेख में संचालित होना शुरू हो गए. अतुल ने अपने स्वामित्व वाली फर्म स्थापित करने के बाद खुद की पहचान रेलवे के बड़े ठेकेदार के तौर पर बनाना शुरू कर दिया और धीरे-धीरे मुख्तार और अतुल के बीच दूरी बढ़ना भी शुरू हो गई.

वहीं, 2019 घोसी लोकसभा से मुख्तार अंसारी अपने बेटे को बसपा का प्रत्याशी बनाना चाहते थे. उसी समय बसपा ने अतुल को मैदान में उतार दिया, जिसके बाद दोनों के बीच की करीबी दूरी में तब्दील हो गई. प्रत्याशी घोषित होने के बाद से ही अतुल की मुश्किलें भी बढ़ना शुरू हो गई थी, लेकिन सांसद बनने के बाद इधर उधर भाग रहे तो लाइन में सरेंडर किया और तब से अतुल राय जेल में ही है. फिलहाल अतुल को एक मामले में तो बाइज्जत बरी किया गया है. लेकिन अब भी लगभग 30 मामलों में अतुल राय कि मुश्किल है बढ़ सकती हैं और जेल से बाहर आने के लिए उन्हें इंतजार करना पड़ सकता है.

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Last Updated : Aug 6, 2022, 7:36 PM IST
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