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विधानसभा चुनावों में टिकट बंटवारे में महिलाओं को दी जाएगी तवज्जोः गीता शाक्य - यूपी विधानसभा में महिलाएं

यूपी विधानसभा चुनाव 2022 (Up Assembly Election 2022) बेहद नजदीक है और हर राजनैतिक दल टिकट बंटवारे को लेकर भी अब तैयारियां शुरु कर चुके हैं. इसी के तहत बीजेपी की महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष गीता शाक्य (BJP Mahila Morcha State President Geeta Shakya) ने ईटीवी से बातचीत की. उन्होंने कहा कि पिछले साल की तहर इस साल भी भाजपा महिलाओं को ज्यादा से ज्यादा टिकट देगी.

भाजपा महिला मोर्चा प्रदेश अध्यक्ष गीता शाक्य.
भाजपा महिला मोर्चा प्रदेश अध्यक्ष गीता शाक्य.
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Published : Aug 27, 2021, 10:25 PM IST

वाराणसी: बीजेपी महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष गीता शाक्य (BJP Mahila Morcha State President Geeta Shakya) का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी अन्य दलों से ज्यादा महिलाओं को वरीयता देती है. 2017 में भी महिलाओं का टिकट बढ़ाया गया. लोकसभा चुनाव में भी महिलाओं को ज्यादा से ज्यादा टिकट दिया गया और सदन में भी बीजेपी से सबसे ज्यादा महिलाएं पहुंची हैं. बीजेपी हमेशा महिलाओं को सम्मान देती है.

टिकट बंटवारे को लेकर बीजेपी की रणनीति के सवाल पर गीता शाक्य ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी टिकट बंटवारे को लेकर शीर्ष नेतृत्व निर्धारित करेगा, लेकिन बीजेपी महिलाओं को टिकट देती चली आई है और इस बार भी देगी. वहीं कैबिनेट विस्तार में महिलाओं को तवज्जो दिए जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि बीजेपी ने 11 महिलाओं को केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किया गया और वह महिलाएं हर जाति, दलित समाज, ओबीसी समाज से हैं. शिक्षा मंत्रालय, स्वास्थ्य मंत्रालय, विदेश मंत्रालय जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालय महिलाओं को सौंपे गए हैं. इसलिए बीजेपी की कथनी और करनी में कोई फर्क नहीं है.

भाजपा महिला मोर्चा प्रदेश अध्यक्ष गीता शाक्य से बातचीत.

विपक्ष अपने समय को न भूले

बीजेपी की सरकार में महिलाओं के साथ हो रहे अपराध और खराब व्यवहार को लेकर विपक्ष के सवालों का जवाब देते हुए गीता शाक्य ने कहा कि, इन पार्टियों को अपने दिन याद रखना चाहिए. इनकी सरकार थी तो महिलाओं के साथ क्या होता था. महिओं को किस तरह यह लोग नोचते थे. यह लोग भूल गए हैं. भाजपा सरकार ने दोनों नेतृत्व केंद्र और प्रदेश सरकार ने महिलाओं के प्रति संवेदनशीलता दिखाई है और दिखाएंगे.

इसे भी पढ़ें- UP Assembly Election 2022: उत्तर प्रदेश की सत्ता का यहां से खुलता है द्वार, 50 सालों से है तमगा बरकरार

उन्होंने कहा कि मिशन शक्ति के रूप में चाहे किसी भी क्षेत्र में हो, किसी भी हिस्से में हो, उनको सम्मानित करने का काम किया जा रहा है. पीएम मोदी ने अपने मन की बात कार्यक्रम में भी कहा कि कोविड-19 महामारी के समय महिलाओं ने किसी भी तरह से पुरुषों से अपने को पीछे नहीं रखा. मोदी के प्रधानमंत्री बनने से पहले 2 करोड़ 33 लाख स्वयं सहायता समूह जोड़े गए थे, लेकिन अब पौने आठ करोड़ समूह बनाए हैं, जो अधिकांश महिलाओं के लिए हैं. सरकार महिलाओं के लिए प्रयासरत है कि महिलाएं कैसे आत्मनिर्भर बनें और कैसे काम करें. आधी आबादी भारतीय जनता पार्टी के साथ है और रहेगी.

एक नजर आंकड़ों पर

2017 के विधानसाभ चुनाव में महिलाओं को टिकट देने में सभी दलों का औसत 8 प्रतिशत तक रहा. एसपी (SP) और बीएसपी (BSP) ने महिलाओं को टिकट देने में सबसे अधिक दरियादिली दिखाई थी. इन्होंने 8 प्रतिशत महिलाओं को टिकट दिया. वहीं कांग्रेस ने 4 प्रतिशत जबकि बीजेपी ने 3 प्रतिशत महिला प्रत्याशियों को टिकट दिया था.

पिछले विधानसभा चुनाव में यूपी में कुल 445 महिलाएं चुनावी रेस में थीं, जिनमें से 40 ने जीत दर्ज की. वहीं जीत का परचम लहराने वाली महिलाओं में सर्वाधिक 34 बीजेपी से रहीं. जबकि कांग्रेस और बसपा की 2-2, वहीं सपा और अपना दल से भी एक-एक महिला उम्मीदवारों ने जीत हासिल की है. 2012 के विधानसभा चुनाव में जहां 36 महिला विधायक जीतीं थीं. इनमें 19 महिलाएं सपा के टिकट पर जीती थीं. जबकि बीजेपी से 6, कांग्रेस और बीएसपी से 1-1 महिला विधायक चुनी गईं थीं. वहीं 2017 के विधानसभा चुनाव में 40 महिलाओं ने जीत हासिल की थी. भाजपा ने 2017 विधानसभा चुनाव में 43 सीटों पर महिला प्रत्याशियों को चुनावी मैदान में उतारा था.

इसे भी पढे़ं- 41 सालों से 'रामपुर खास' पर प्रमोद तिवारी का कब्जा, 2022 में 'मोना' लगाएंगी जीत की हैट्रिक!

बीएसपी ने 2017 विधानसभा चुनाव के दौरान केवल 20 महिलाओं को प्रत्याशी बनाया, जबकि साल 2012 में 33 महिलाओं को टिकट दिए थे. जबकि समाजवादी पार्टी ने 22 और कांग्रेस ने 11 महिलाओं को साल 2017 में उम्मीदवार बनाया था. सपा ने 2012 में 34 महिलाओं को टिकट दिए थे. जिनमें से 19 ने जीत हासिल की थी.

चुनाव आयोग के रिकॉर्ड को देखें तो पता चलता है कि साल 1985 में 31 महिलाएं चुनाव जीती थीं. 1989 में यह आंकड़ा घटकर 18 रह गया. 1991 में और घटकर 10 पर जा पहुंचा. साल 1993 में 14 महिलाएं चुनाव जीतीं, जबकि 1996 में 20 और 2002 में 26 महिलाओं ने चुनाव जीता. साल 2007 में महिलाओं की संख्या घटकर 3 रह गई. हालांकि मायावती नेता सदन थीं. साल 2012 में 36 महिलाएं चुनाव में विजयी रहीं और 2017 में यह आंकड़ा 40 तक पहुंच गया. अब देखने वाली बात होगी की आगामी विधानसभा चुनाव में महिलाएं कितनी सीट जीत पाती हैं.

वाराणसी: बीजेपी महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष गीता शाक्य (BJP Mahila Morcha State President Geeta Shakya) का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी अन्य दलों से ज्यादा महिलाओं को वरीयता देती है. 2017 में भी महिलाओं का टिकट बढ़ाया गया. लोकसभा चुनाव में भी महिलाओं को ज्यादा से ज्यादा टिकट दिया गया और सदन में भी बीजेपी से सबसे ज्यादा महिलाएं पहुंची हैं. बीजेपी हमेशा महिलाओं को सम्मान देती है.

टिकट बंटवारे को लेकर बीजेपी की रणनीति के सवाल पर गीता शाक्य ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी टिकट बंटवारे को लेकर शीर्ष नेतृत्व निर्धारित करेगा, लेकिन बीजेपी महिलाओं को टिकट देती चली आई है और इस बार भी देगी. वहीं कैबिनेट विस्तार में महिलाओं को तवज्जो दिए जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि बीजेपी ने 11 महिलाओं को केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किया गया और वह महिलाएं हर जाति, दलित समाज, ओबीसी समाज से हैं. शिक्षा मंत्रालय, स्वास्थ्य मंत्रालय, विदेश मंत्रालय जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालय महिलाओं को सौंपे गए हैं. इसलिए बीजेपी की कथनी और करनी में कोई फर्क नहीं है.

भाजपा महिला मोर्चा प्रदेश अध्यक्ष गीता शाक्य से बातचीत.

विपक्ष अपने समय को न भूले

बीजेपी की सरकार में महिलाओं के साथ हो रहे अपराध और खराब व्यवहार को लेकर विपक्ष के सवालों का जवाब देते हुए गीता शाक्य ने कहा कि, इन पार्टियों को अपने दिन याद रखना चाहिए. इनकी सरकार थी तो महिलाओं के साथ क्या होता था. महिओं को किस तरह यह लोग नोचते थे. यह लोग भूल गए हैं. भाजपा सरकार ने दोनों नेतृत्व केंद्र और प्रदेश सरकार ने महिलाओं के प्रति संवेदनशीलता दिखाई है और दिखाएंगे.

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उन्होंने कहा कि मिशन शक्ति के रूप में चाहे किसी भी क्षेत्र में हो, किसी भी हिस्से में हो, उनको सम्मानित करने का काम किया जा रहा है. पीएम मोदी ने अपने मन की बात कार्यक्रम में भी कहा कि कोविड-19 महामारी के समय महिलाओं ने किसी भी तरह से पुरुषों से अपने को पीछे नहीं रखा. मोदी के प्रधानमंत्री बनने से पहले 2 करोड़ 33 लाख स्वयं सहायता समूह जोड़े गए थे, लेकिन अब पौने आठ करोड़ समूह बनाए हैं, जो अधिकांश महिलाओं के लिए हैं. सरकार महिलाओं के लिए प्रयासरत है कि महिलाएं कैसे आत्मनिर्भर बनें और कैसे काम करें. आधी आबादी भारतीय जनता पार्टी के साथ है और रहेगी.

एक नजर आंकड़ों पर

2017 के विधानसाभ चुनाव में महिलाओं को टिकट देने में सभी दलों का औसत 8 प्रतिशत तक रहा. एसपी (SP) और बीएसपी (BSP) ने महिलाओं को टिकट देने में सबसे अधिक दरियादिली दिखाई थी. इन्होंने 8 प्रतिशत महिलाओं को टिकट दिया. वहीं कांग्रेस ने 4 प्रतिशत जबकि बीजेपी ने 3 प्रतिशत महिला प्रत्याशियों को टिकट दिया था.

पिछले विधानसभा चुनाव में यूपी में कुल 445 महिलाएं चुनावी रेस में थीं, जिनमें से 40 ने जीत दर्ज की. वहीं जीत का परचम लहराने वाली महिलाओं में सर्वाधिक 34 बीजेपी से रहीं. जबकि कांग्रेस और बसपा की 2-2, वहीं सपा और अपना दल से भी एक-एक महिला उम्मीदवारों ने जीत हासिल की है. 2012 के विधानसभा चुनाव में जहां 36 महिला विधायक जीतीं थीं. इनमें 19 महिलाएं सपा के टिकट पर जीती थीं. जबकि बीजेपी से 6, कांग्रेस और बीएसपी से 1-1 महिला विधायक चुनी गईं थीं. वहीं 2017 के विधानसभा चुनाव में 40 महिलाओं ने जीत हासिल की थी. भाजपा ने 2017 विधानसभा चुनाव में 43 सीटों पर महिला प्रत्याशियों को चुनावी मैदान में उतारा था.

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बीएसपी ने 2017 विधानसभा चुनाव के दौरान केवल 20 महिलाओं को प्रत्याशी बनाया, जबकि साल 2012 में 33 महिलाओं को टिकट दिए थे. जबकि समाजवादी पार्टी ने 22 और कांग्रेस ने 11 महिलाओं को साल 2017 में उम्मीदवार बनाया था. सपा ने 2012 में 34 महिलाओं को टिकट दिए थे. जिनमें से 19 ने जीत हासिल की थी.

चुनाव आयोग के रिकॉर्ड को देखें तो पता चलता है कि साल 1985 में 31 महिलाएं चुनाव जीती थीं. 1989 में यह आंकड़ा घटकर 18 रह गया. 1991 में और घटकर 10 पर जा पहुंचा. साल 1993 में 14 महिलाएं चुनाव जीतीं, जबकि 1996 में 20 और 2002 में 26 महिलाओं ने चुनाव जीता. साल 2007 में महिलाओं की संख्या घटकर 3 रह गई. हालांकि मायावती नेता सदन थीं. साल 2012 में 36 महिलाएं चुनाव में विजयी रहीं और 2017 में यह आंकड़ा 40 तक पहुंच गया. अब देखने वाली बात होगी की आगामी विधानसभा चुनाव में महिलाएं कितनी सीट जीत पाती हैं.

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