वाराणसी : प्रधानमंत्री मोदी बीजेपी के लिए वह चेहरा है जो किसी भी सियासी खेल को बदल सकते हैं. ऐसे कई उदाहरण सियासी गलियारों में देखे जाते रहे हैं. बनारस की सियासत की बात करें तो 2017 में पीएम मोदी का जादू कुछ ऐसा चला कि पहली बार वाराणसी के सभी विधानसभा क्षेत्रों पर बीजेपी का परचम लहराया.
वहीं, 2017 में सभी राजनीतिक पंडितों ने ये दावा किया था कि बीजेपी बनारस में अधिक से अधिक 4 सीटें जीत पाएगी लेकिन धर्म और जाति का समीकरण उस वक्त धराशायी हो गया जब पीएम मोदी तीन दिवसीय दौरे पर वाराणसी पहुंचे और उन्होंने यहां रोड शो किया. इसका नतीजा देश के सामने आया.
अब एक बार फिर से पीएम मोदी 2022 के विधानसभा चुनाव के सातवें चरण के प्रचार के लिए वाराणसी का रुख कर चुके हैं. जहां वह वाराणसी की 8 सीटों के साथ ही पूर्वांचल की तमाम सीटों पर जीत की रणनीति बनाएंगे. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या 2019 के बाद मोदी मैजिक दोबारा चलेगा. इस बार मोदी के चौके से बीजेपी क्लीन स्वीप कर पाएगी या विकेट गिरेगा.
वरिष्ठ पत्रकार रत्नेश राय की मानें तो काशी में 2014, 2017, 2019 के चुनाव में नरेंद्र मोदी का मैजिक चला था. प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र की 5 और जिले की 8 विधानसभा सीटों पर भाजपा और उसके गठबंधन दलों ने अपना पर्चम लहराया था.
बड़ी बात यह थी कि सपा-कांग्रेस का गढ़ होने के बाद भी यहां किसी अन्य पार्टी का खाता नहीं खुला था. कहा जाता है कि 2014 में जितना पीएम का जादू चला, उस से बढ़कर 2017 के विधानसभा चुनाव में काशी में चला. यहां के लोगों ने पीएम पर विश्वास करके 2019 में भी उन्हें फिर से लोकसभा में विजयी बनाया.
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इस बार भी बीजेपी आत्मविश्वास से हैं लबरेज़
उन्होंने बताया कि चुनावी परिणाम दोहराया जा सकता है क्योंकि विकास का जो पैमाना बनारस में बीजेपी ने सेट किया और जो जातीय समीकरण साधे है, वह इस बार भी बीजेपी को क्लीन स्वीप दिला सकती है. हालांकि इस बार शहर दक्षिणी में थोड़ी टक्कर जरूर दिखाई दे रही लेकिन चुनाव में ये बहुत बड़ी तब्दीली नहीं लाएगा. दक्षिणी में बीजेपी का विकास और विश्वनाथ कॉरिडोर बीजेपी की बड़ी उपलब्धि हैं.
उन्होंने बताया कि बीजेपी के आत्मविश्वास का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस बार सेवापुरी में उन्होंने गठबंधन की सीट पर नहीं बल्कि बीजेपी के सीट व सिंबल पर वहां के विधायक को चुनावी मैदान में उतारा है जबकि 2017 में बीजेपी वहां पर गठबंधन के सिंबल से चुनाव लड़ी थी और जीती थी.
ग़ौरतलब है कि वाराणसी व उसके आसपास के 5 जिले जौनपुर, गाजीपुर, चंदौली, मिर्जापुर, भदोही की विधानसभा सीट यूपी के चुनाव को ज्यादा प्रभावित करती हैं. इन जिलों में कुल 36 विधानसभा सीटें हैं जिनमें वाराणासी की आठ विधानसभा सीटें सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती हैं. बीते चुनाव से इन सीटों को पीएम मोदी का गढ़ माना जाता है.
कहा जाता है कि जिसने भी बनारस के साथ इन सीटों पर अपना परचम लहरा दिया, उत्तर प्रदेश में सरकार उसकी ही बनती है. 2007 में जब मायावती के नेतृत्व में बीएसपी की सरकार बनी थी तो 36 में से 20 सीटों पर बीएसपी का कब्जा था. वहीं 2012 के चुनाव में यहां पर समाजवादी पार्टी को 21 सीटें मिली थी. उसके बाद 2017 के चुनाव में 36 में से 21 सीटें बीजेपी को मिली. इसके बाद बहुमत से प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनी.
इसको लेकर के राजनीतिक पंडित भी मानते हैं कि 2022 के चुनाव में भी इन सभी विधानसभा सीटों पर बीजेपी की नजर रहेगी और निश्चित तौर पर बीजेपी यहां क्लीन स्वीप करने की कोशिश करेगी.जिसको लेकर बीजेपी के दिग्गजों का जमावड़ा भी पूर्वांचल में शुरू हो गया है.