वाराणसी : नगर निकाय चुनावों को लेकर मतगणना जारी है. शहर की सरकार किस पार्टी की बनेगी और कौन पीछे रह जाएगा, यह शाम तक स्पष्ट हो जाएगा. वहीं बनारस को हमेशा से ही भारतीय जनता पार्टी का मजबूत गढ़ माना जाता रहा है. भारतीय जनता पार्टी के मेयर पद पर पार्टी की प्रत्याशी मृदुला जायसवाल ने 2017 में बड़ी जीत हासिल की थी. उन्होंने कांग्रेस की प्रत्याशी शालिनी यादव को लगभग 78843 वोटों से हराया था, जबकि समाजवादी पार्टी प्रत्याशी साधना गुप्ता उस वक्त तीसरे नंबर पर रहीं थीं.
भारतीय जनता पार्टी ने अपने ही पुराने नेता अशोक तिवारी पर दांव खेला है. कांग्रेस ने काफी पुराने नेता और कई बार विधायक का चुनाव लड़ चुके अनिल श्रीवास्तव पर भरोसा जताया है. समाजवादी पार्टी ने पार्षद रह चुके ओमप्रकाश सिंह को मैदान में उतारा है. शाम तक पूरी तस्वीर साफ हो जाएगी. फिलहाल अभी वाराणसी के मेयर पद की सीट पर त्रिकोणीय संघर्ष माना जा रहा है. एक तरफ जहां बीजेपी अपने पुराने वोटर को बांधे रखने में सफल मानी जा रही है तो वहीं मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में सपा और कांग्रेस के बीच वोट के बंदरबांट के बाद चीजें किसके पक्ष में होंगी, नतीजे तय करने में यह बेहद अहम माने जा रहे हैं.
दरअसल पिछले निकाय चुनावों में वाराणसी में 90 वार्ड शामिल थे. जिनमें से 37 वार्डों में भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशियों ने जीत हासिल की थी. वहीं राम नगर पालिका परिषद रामनगर में कांग्रेस की बागी प्रत्याशी रेखा शर्मा को जीत मिली थी. हालांकि बाद में रेखा शर्मा फिर से कांग्रेस में शामिल हो गईं थीं. उन्होंने समाजवादी पार्टी के आलोक कुमार गुप्ता को शिकस्त दी थी. नगर पंचायत गंगापुर में कांग्रेस प्रत्याशी दिलीप सेठ में 1862 वोट पाकर समाजवादी पार्टी से यह सीट छीन ली थी. रामनगर और गंगापुर में टिकट बंटवारे में गड़बड़ी उस वक्त बीजेपी की हार का बड़ा कारण मानी जा रही थी, लेकिन इस बार सिनेरियो बदला है. रामनगर सीमा में शामिल होने के बाद सिर्फ गंगापुर नगर पंचायत सीट पर ही चुनाव हो रहा है. इसमें बीजेपी को ही मजबूत माना जा रहा है.
फिलहाल आज हो रही मतगणना में ऊंट किस करवट बैठता है यह तो तय ही हो जाएगा. कयासों के बीच बीजेपी मजबूत दिखाई दे रही है, जबकि दूसरे नंबर पर कांग्रेस और तीसरे नंबर पर समाजवादी पार्टी बढ़त बनाए हुए है. वाराणसी की सीट को हमेशा से बीजेपी का मजबूत किला माना जाता रहा है. नगर महापालिका के अस्तित्व में रहने के दौरान नगर प्रमुख का चुनाव सभासद करते थे. उस वक्त तो शहर के लोगों को यह जिम्मेदारी मिल जाती थी लेकिन पहली बार 1960 में नगर प्रमुख का चुनाव हुआ और 1 फरवरी 1966 से 4 जुलाई 1970 और 1 जुलाई 1973 से 11 फरवरी 1989 तक महापालिका प्रशासकीय नियंत्रण में रही.
1995 में पहली बार हुए आम चुनावों में महापौर पद पर भाजपा की सरोज सिंह को जीत मिली थी. इसके बाद लगातार बीते 28 सालों से यह कुर्सी बीजेपी के ही कब्जे में है. सरोज सिंह के बाद 2005 तक अमरनाथ यादव 2012 तक कौशलेंद्र सिंह 2017 तक रामगोपाल मोहले और 2023 तक मृदुला जयसवाल ने इस सीट पर अपना कब्जा जमाए रखा.
2017 के वोट प्रतिशत पर गौर करें तो भाजपा की मृदुला जायसवाल को 42.63 प्रतिशत वोट मिले थे. प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस की प्रत्याशी शालिनी यादव को 25.08 प्रतिशत वोट पड़े थे. इसके अलावा 21.97 प्रतिशत वोट अन्य उम्मीदवारों को मिले थे. 1.18 प्रतिशत नोटा वोट पड़े थे.
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पिछले बार कुछ इस तरह मिले थे वोट
भाजपा | मृदुला जायसवाल | 1,92, 188 |
कांग्रेस | शालिनी यादव | 1, 13,345 |
भासपा | आरती पटेल | 8,082 |
सपा | साधना गुप्ता | 99,272 |
बसपा | सुधा चौरसिया | 28,959 |
निर्दल प्रत्याशी | --------- | 4,756 |
नोटा | ----------- | 5335 |