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वाराणसी के नए महापौर बने अशोक तिवारी, क्या पहले के बीजेपी मेयर की तरह होगा हश्र, रहा है ये इतिहास - नगर निगम चुनाव 2023

नगर निकाय चुनाव में भाजपा ने प्रदेश की 17 मेयर सीटों पर जीत हासिल की. वहीं, वाराणसी में भी एक बार फिर भाजपा ने अपना परचम लहराया. वाराणसी नगर निगम से अशोक तिवारी ने जीत हासिल की. लेकिन, जीत के साथ ही वाराणसी में एक नई सुगबुगाहट शुरू हो गई है, जिसका इतिहास वर्षों से भाजपा दोहराती रही है.

BJP Ashok Tiwari
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Published : May 14, 2023, 7:51 AM IST

वाराणसीः नगर निगम चुनाव का परिणाम शनिवार को आ गया. एक बार फिर भाजपा ने वाराणसी नगर निगम मेयर की कुर्सी पर कब्जा जमाया. भाजपा के उम्मीदवार अशोक तिवारी ने भारी वोटों के अंतर से जीत हासिल की. इस जीत के साथ ही भाजपा ने एक और रिकॉर्ड कायम कर लिया. लगातार मेयर की सीट पर काबिज रहने का रिकॉर्ड. आइए जानते हैं कि कौन हैं वारणसी के नए मेयर अशोक तिवारी.

वाराणसी में साल 1995 से नगर निगम का चुनाव शुरू हुआ. तब से लेकर आजतक भाजपा ही मेयर की कुर्सी पर काबिज रही है. ऐसे में एक बार फिर जीत हासिल करना अपने आप में एक नया रिकॉर्ड है. जिसे कायम रखने में भाजपा के उम्मीदवार अशोक तिवारी की महत्वपूर्ण भूमिका रही. भाजपा ने इस बार ब्राह्मण चेहरे पर दांव लगाया था. ऐसी उम्मीद की जा रही थी कि भाजपा इस बार कमजोर साबित होगी. लेकिन, बीजेपी ने सारी उम्मीदों और आशांकाओं से ऊपर उठते हुए विजय रथ को बरकरार रखा.

भाजपा के पुराने कार्यकर्ता हैं अशोक तिवारी: बता दें कि अशोक तिवारी भाजपा के पुराने कार्यकर्ता हैं. वह सालों से पार्टी की हर गतिविधियों से जुड़े रहे हैं. अशोक तिवारी वाराणसी में क्षेत्रीय टीम में दो बार मंत्री रह चुके हैं. इसके साथ ही इन्हें बड़े दायित्वों का भार भी सौंपा जा चुका है. अशोक साल 2014 के पहले से ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए रैलियों के आयोजन की जिम्मेदारी संभालते रहे हैं. इन रैलियों में अशोक तिवारी की अहम भूमिका होती थी.

दक्षिणी सीट पर मानी गई थी मजबूत दावेदारी: अशोक तिवारी को वाराणसी में जमीन से जुड़ा और पार्टी में ऊंची पहुंच वाला नेता माना जाता है. वाराणसी में इनकी लोगों के बीच काफी अच्छी पकड़ रही है. वाराणसी दक्षिणी सीट के लिए भी इनकी दावेदारी मानी जाती रही थी. लेकिन, फिर बाद में राजनीतिक समीकरण बदलता देख पार्टी ने यहां की जिम्मेदारी नीलकंठ तिवारी को सौंप दी थी. नीलकंठ उस समय विधायक थे और पार्टी ने उन्हें दक्षिणी सीट से दोबारा मौका दिया था. इसके बाद से ही यह कयास लगाए जा रहे थे कि अशोक को पार्टी में अहम जिम्मेदारी दी सकती है.

मेयर का रहा है राजनीतिक भविष्य: हालांकि, गौर करने वाली बात यह भी है कि वाराणसी में जितनी बार भी निकाय चुनाव हुए. हर पार्टी ने नए उम्मीदवारों को मौंका दिया और सभी ने जीत भी हासिल की है. लेकिन, ऐसा कहा जाता है कि यहां से जो एक मेयर बन गया, पार्टी ने फिर उन्हें कोई भी बड़ी जिम्मेदारी नहीं दी. जैसे लखनऊ के मेयर रहे दिनेश शर्मा का कद बढ़ाते हुए पार्टी ने उन्हें डिप्टी सीएम बना दिया. ऐसा संयोग कभी वाराणसी में देखने को नहीं मिला.

इस बार का चुनाव परिणाम: भाजपा के अलावा सपा से ओमप्रकाश सिंह और कांग्रेस की तरफ से अनिल श्रीवास्तव इस बार चुनाव मैदान में थे. नगर निगम में हुए चुनाव में अशोक तिवारी ने सभी को पीछे छोड़ते हुए 291852 वोट हासिल किए हैं, जबकि समाजवादी पार्टी के ओमप्रकाश सिंह 158715 को वोट मिले हैं. वहीं, कांग्रेस की तरफ से उतरे प्रत्याशी अनिल श्रीवास्तव के खाते में 94288 वोट आए हैं.

ये भी पढ़ेंः जीत की हैट्रिक पर बोले भाजपा प्रत्याशी, संगठन की स्वीकृति पर बागी विजेताओं की होगी घर वापसी

वाराणसीः नगर निगम चुनाव का परिणाम शनिवार को आ गया. एक बार फिर भाजपा ने वाराणसी नगर निगम मेयर की कुर्सी पर कब्जा जमाया. भाजपा के उम्मीदवार अशोक तिवारी ने भारी वोटों के अंतर से जीत हासिल की. इस जीत के साथ ही भाजपा ने एक और रिकॉर्ड कायम कर लिया. लगातार मेयर की सीट पर काबिज रहने का रिकॉर्ड. आइए जानते हैं कि कौन हैं वारणसी के नए मेयर अशोक तिवारी.

वाराणसी में साल 1995 से नगर निगम का चुनाव शुरू हुआ. तब से लेकर आजतक भाजपा ही मेयर की कुर्सी पर काबिज रही है. ऐसे में एक बार फिर जीत हासिल करना अपने आप में एक नया रिकॉर्ड है. जिसे कायम रखने में भाजपा के उम्मीदवार अशोक तिवारी की महत्वपूर्ण भूमिका रही. भाजपा ने इस बार ब्राह्मण चेहरे पर दांव लगाया था. ऐसी उम्मीद की जा रही थी कि भाजपा इस बार कमजोर साबित होगी. लेकिन, बीजेपी ने सारी उम्मीदों और आशांकाओं से ऊपर उठते हुए विजय रथ को बरकरार रखा.

भाजपा के पुराने कार्यकर्ता हैं अशोक तिवारी: बता दें कि अशोक तिवारी भाजपा के पुराने कार्यकर्ता हैं. वह सालों से पार्टी की हर गतिविधियों से जुड़े रहे हैं. अशोक तिवारी वाराणसी में क्षेत्रीय टीम में दो बार मंत्री रह चुके हैं. इसके साथ ही इन्हें बड़े दायित्वों का भार भी सौंपा जा चुका है. अशोक साल 2014 के पहले से ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए रैलियों के आयोजन की जिम्मेदारी संभालते रहे हैं. इन रैलियों में अशोक तिवारी की अहम भूमिका होती थी.

दक्षिणी सीट पर मानी गई थी मजबूत दावेदारी: अशोक तिवारी को वाराणसी में जमीन से जुड़ा और पार्टी में ऊंची पहुंच वाला नेता माना जाता है. वाराणसी में इनकी लोगों के बीच काफी अच्छी पकड़ रही है. वाराणसी दक्षिणी सीट के लिए भी इनकी दावेदारी मानी जाती रही थी. लेकिन, फिर बाद में राजनीतिक समीकरण बदलता देख पार्टी ने यहां की जिम्मेदारी नीलकंठ तिवारी को सौंप दी थी. नीलकंठ उस समय विधायक थे और पार्टी ने उन्हें दक्षिणी सीट से दोबारा मौका दिया था. इसके बाद से ही यह कयास लगाए जा रहे थे कि अशोक को पार्टी में अहम जिम्मेदारी दी सकती है.

मेयर का रहा है राजनीतिक भविष्य: हालांकि, गौर करने वाली बात यह भी है कि वाराणसी में जितनी बार भी निकाय चुनाव हुए. हर पार्टी ने नए उम्मीदवारों को मौंका दिया और सभी ने जीत भी हासिल की है. लेकिन, ऐसा कहा जाता है कि यहां से जो एक मेयर बन गया, पार्टी ने फिर उन्हें कोई भी बड़ी जिम्मेदारी नहीं दी. जैसे लखनऊ के मेयर रहे दिनेश शर्मा का कद बढ़ाते हुए पार्टी ने उन्हें डिप्टी सीएम बना दिया. ऐसा संयोग कभी वाराणसी में देखने को नहीं मिला.

इस बार का चुनाव परिणाम: भाजपा के अलावा सपा से ओमप्रकाश सिंह और कांग्रेस की तरफ से अनिल श्रीवास्तव इस बार चुनाव मैदान में थे. नगर निगम में हुए चुनाव में अशोक तिवारी ने सभी को पीछे छोड़ते हुए 291852 वोट हासिल किए हैं, जबकि समाजवादी पार्टी के ओमप्रकाश सिंह 158715 को वोट मिले हैं. वहीं, कांग्रेस की तरफ से उतरे प्रत्याशी अनिल श्रीवास्तव के खाते में 94288 वोट आए हैं.

ये भी पढ़ेंः जीत की हैट्रिक पर बोले भाजपा प्रत्याशी, संगठन की स्वीकृति पर बागी विजेताओं की होगी घर वापसी

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