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वाराणसी: काशी हिंदू विश्वविद्यालय के दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय पुरा छात्र समागम का हुआ समापन - two-day international students meet

उत्तर प्रदेश के वाराणसी में दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय पूरा छात्र समागम का शनिवार को काशी हिंदू विश्वविद्यालय में समापन हुआ. कार्यक्रम में विश्वविद्यालय को नई ऊंचाइयों पर किस तरह ले जाया जाए इस पर भी चर्चा की गई.

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दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय पूरा छात्र समागम का हुआ समापन.
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Published : Jan 18, 2020, 10:35 PM IST

वाराणसी: जिले में काशी हिंदू विश्वविद्यालय में दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय पूरा छात्र समागम का शनिवार को समापन हुआ. समापन में मुख्य अतिथि केंद्रीय मंत्री डॉक्टर महेंद्र नाथ पांडेय रहे. देश के कोने-कोने से आए मानस पुत्रों ने कार्यक्रम में शिरकत किया.

विदेशों में भी हो रहा है विश्वविद्यालय का नाम
काशी हिंदू विश्वविद्यालय के मानस पुत्रों ने देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी माहामना का नाम ऊंचा किया है. ऐसे में अंतरराष्ट्रीय पूरा छात्र समागम में सभी ने एक स्वर में एकात्मक और विश्वविद्यालय को नई ऊंचाइयों पर कैसे ले जाए इस पर चर्चा भी की है.

दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय पूरा छात्र समागम का हुआ समापन.
नई और पुरानी पीढ़ी का होता है मेल
डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय ने बताया ऐसे आयोजन विश्वविद्यालय में होने चाहिए. यहां पर आने से पुराने साथियों से मुलाकात होती है, जिससे बहुत ही अच्छा लगता है. इस तरह नई और पुरानी पीढ़ी का मेल होता है. मैं जब भी विश्वविद्यालय में आता हूं एक बार फिर से खुद को ऊर्जा से भरा पाता हूं. यह सौभाग्य की बात है कि मैं महामना का मानस पुत्र हूं.

दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय पूरातन छात्रों का समागम रहा. हमें बहुत ही अच्छा लगा क्योंकि मैं 2007 से विश्वविद्यालय का छात्र रहा हूं. अपने गुरुजनों से मिला और साथ ही गुरुजनों ने भी हम लोगों को अपने गुरुजनों से मिलाया. गुरु शिष्य परंपरा का यह एक उदाहरण रहा है.
-डॉ. एकात्म देव, असिस्टेंट प्रोफेसर, इलाहाबाद यूनिवर्सिटी

वाराणसी: जिले में काशी हिंदू विश्वविद्यालय में दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय पूरा छात्र समागम का शनिवार को समापन हुआ. समापन में मुख्य अतिथि केंद्रीय मंत्री डॉक्टर महेंद्र नाथ पांडेय रहे. देश के कोने-कोने से आए मानस पुत्रों ने कार्यक्रम में शिरकत किया.

विदेशों में भी हो रहा है विश्वविद्यालय का नाम
काशी हिंदू विश्वविद्यालय के मानस पुत्रों ने देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी माहामना का नाम ऊंचा किया है. ऐसे में अंतरराष्ट्रीय पूरा छात्र समागम में सभी ने एक स्वर में एकात्मक और विश्वविद्यालय को नई ऊंचाइयों पर कैसे ले जाए इस पर चर्चा भी की है.

दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय पूरा छात्र समागम का हुआ समापन.
नई और पुरानी पीढ़ी का होता है मेल
डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय ने बताया ऐसे आयोजन विश्वविद्यालय में होने चाहिए. यहां पर आने से पुराने साथियों से मुलाकात होती है, जिससे बहुत ही अच्छा लगता है. इस तरह नई और पुरानी पीढ़ी का मेल होता है. मैं जब भी विश्वविद्यालय में आता हूं एक बार फिर से खुद को ऊर्जा से भरा पाता हूं. यह सौभाग्य की बात है कि मैं महामना का मानस पुत्र हूं.

दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय पूरातन छात्रों का समागम रहा. हमें बहुत ही अच्छा लगा क्योंकि मैं 2007 से विश्वविद्यालय का छात्र रहा हूं. अपने गुरुजनों से मिला और साथ ही गुरुजनों ने भी हम लोगों को अपने गुरुजनों से मिलाया. गुरु शिष्य परंपरा का यह एक उदाहरण रहा है.
-डॉ. एकात्म देव, असिस्टेंट प्रोफेसर, इलाहाबाद यूनिवर्सिटी

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स्पेशल

सर्व विद्या की राजधानी कहे जाने वाले काशी हिंदू विश्वविद्यालय में दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय पूरा छात्र समागम का आज समापन हुआ। समापन में मुख्य अतिथि केंद्रीय मंत्री डॉक्टर महेंद्र नाथ पांडेय। देश के कोने-कोने से आए मामला के मानस पुत्रों ने कार्यक्रम में शिरकत किया और विश्वविद्यालय की नई ऊंचाइयों पर किस तरह लिया जाए इस पर चर्चा हुआ।


Body:महामना के मानस पुत्रों ने देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी मामला का नाम ऊंचा किया है।ऐसे में अंतरराष्ट्रीय पूरा छात्र समागम में सभी ने एक स्वर में एकात्मक और विश्वविद्यालय नहीं ऊंचाइयों पर कैसे जाए। इस पर चर्चा किया।


Conclusion:डॉ महेंद्र नाथ पांडेय ने बताया ऐसे आयोजन विश्वविद्यालय में होने चाहिए यहां पर आने से पुराने साथियों से मुलाकात होती है। बहुत ही अच्छा लगता है।इस तरह नई और पुरानी पीढ़ी का मेल होता है।मैं जब भी विश्वविद्यालय में आता हूं एक बार फिर से खुद को ऊर्जा से भरा पाता हूं। यह सौभाग्य की बात है कि मैं महामना का मानस पुत्र हूं।

बाईट :-- डॉ महेंद्र नाथ पांडेय, केंद्रीय मंत्री भारत सरकार।

डॉ एकात्म देव ने बताया यह दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय पूरा छात्र समागम रहा। हमें बहुत ही अच्छा लगा क्योंकि में 2007 से विश्वविद्यालय का छात्र रहा हूं। अपने गुरुजनों से मिला और साथ ही गुरुजनों ने भी हम लोगों को अपने गुरुजनों से मिलाया तो इतना उर्जा लगा। गुरु शिष्य परंपरा का यह एक उदाहरण रहा है। विश्वविद्यालय आज चीजों को स्वयं देख कर बहुत ही आनंद की प्राप्ति हुई।

बाईट :-- डॉ एकात्म देव, असिस्टेंट प्रोफेसर इलाहाबाद यूनिवर्सिटी

आशुतोष उपाध्याय
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