वाराणसीः काशी हिंदू विश्वविद्यालय में स्टूडेंट प्रोग्राम ऑर्गेनाइजिंग कमेटी बीएचयू, ओबीसी एससी-एसटी संघर्ष समिति के छात्रों का प्रदर्शन एक बार फिर शुरू हो गया है. 6 अगस्त को प्रदर्शन करने के बाद गुरुवार को भी बीएचयू सेंट्रल के अंदर कुलपति कार्यालय के बाहर छात्रों का प्रदर्शन जारी हैं. उनका कहना है कि एनी बेसेंट फेलोशिप में संवैधानिक आरक्षण तथा यूजीसी के नियमों का पालन नहीं किया गया. मांग को लेकर दर्जनों की संख्या में छात्र प्रदर्शन कर रहे है. छात्रों का आरोप है कि विश्वविद्यालय प्रशासन और यहां के प्रोफेसरों द्वारा छात्रों को धमकाया जा रहा है, ताकि वो जल्द से जल्द अपना प्रदर्शन खत्म करें.
छात्रों द्वारा 6 अगस्त को भी इसी मुद्दे को लेकर प्रदर्शन किया गया था जिसके बाद छात्रों को 1 हफ्ते का समय दिया गया था. आज एक हफ्ता पूरा होने के बाद छात्र एक बार फिर कुलपति कार्यालय के बाहर धरने पर बैठ गए हैं.
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छात्रों की प्रमुख मांगें
- एनी बेसेंट फैलोशिप मैं संवैधानिक आरक्षण नियमों के तहत लागू किया जाए ताकि ओबीसी और एससी-एसटी छात्रों का लाभ मिल सके.
- टॉप 5 परसेंटाइल नियमों का आरक्षित वर्गों के लिए दिए जाने वाले संवैधानिक आरक्षण एससी-एसटी और ओबीसी के अनुरूप अलग-अलग कैटेगरी में परसेंटाइल किया जाए.
- टॉप 5 परसेंटाइल में भी आरक्षित वर्गों को अवसरों (जैसे एडमिशन और नौकरी में आयु) आदि में योग्यता में दी जाने वाली 5% की छूट तरह इसमें भी प्रावधान किया जाए.
- RET न्यूनतम अंको में अधिकतम क्वालीफाइंग नबंर की अनिवार्यता खत्म किया जाए.
- बीएचयू प्रशासन द्वारा एनी बेसेंट फैलोशिप हेतु जारी किया गया अन्याय तथा भेदभाव आदेश को तुरंत वापस लिया जाए और इसकी समस्त प्रक्रिया निरस्त की जाए.
शिक्षा मंत्रालय प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को लिखेंगे पत्रः छात्र अजय भारती ने बताया कि कुलपति द्वारा एनिमेशन फेलशिप शुरू की गई है, यह बहुत स्वागत योग्य है पोस्ट ग्रेजुएशन के बाद पीएचडी में छात्र को काफी मदद मिलेगी. इसमें यूजीसी की गाइडलाइन नहीं मानी जा रही है. इसमें ओबीसी और एससी-एसटी को आरक्षण नहीं मिलता है. इस संबंध में हम लोगों ने 6 अगस्त को ज्ञापन दिया था लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई. आज हम लोग कुलपति कार्यालय के बाहर प्रदर्शन कर रहे हैं जब तक हमारी मांग पूरी नहीं होगी. यह प्रदर्शन जारी रहेगा इस संदर्भ में हम लोग ओबीसी कमिशन और एससी कमिशन को पत्र लिखेंगे साथ ही शिक्षा मंत्रालय, राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भी पत्र लिखा जाएगा.
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