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बीएचयू में संगीत शास्त्र विभाग से संस्कृत शिक्षा को खत्म करने के विरोध में छात्र उग्र - काशी हिंदू विश्वविद्यालय

यूपी के वाराणसी में बीएचयू के संगीत मंच कला संकाय के संगीत शास्त्र विभाग से संस्कृत की शिक्षा को खत्म किया गया है, जिसे लेकर छात्रों में आक्रोश है.आक्रोशित छात्रों ने शुक्रवार को बीएचयू के कुलपति को ज्ञापन सौंपा है.

बीएचयू मेें छात्रों का प्रदर्शन.
बीएचयू में छात्रों का प्रदर्शन.
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Published : Sep 25, 2020, 3:50 PM IST

वाराणसी: जिले के काशी हिंदू विश्वविद्यालय के संगीत मंच कला संकाय के संगीत शास्त्र विभाग से संस्कृत की शिक्षा को खत्म कर दिया गया, जिसे लेकर छात्रों में आक्रोश है. शुक्रवार को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए छात्रों ने इस पूरे मामले को लेकर बीएचयू के कुलपति प्रोफेसर राकेश भटनागर को ज्ञापन सौंपा. साथ ही अपनी बात उनके सामने रखी.

ओंकार नाथ ठाकुर ने की थी स्थापना
महामना के निर्देशन पर पंडित ओंकारनाथ ठाकुर ने विश्वविद्यालय के कुल गीत को राग बंद किया था. उन्हीं के द्वारा स्थापित संगीत व मंच कला संकाय में विशेष रूप से संगीत शास्त्र विभाग की आधारशिला रखी थी. उसमें गुणवत्तापूर्ण संगीत शिक्षा हेतु संस्कृत शिक्षक भी नियुक्त किए गए, ताकि विश्वविद्यालय में कला के साथ शास्त्र में भी छात्र निपुण हो सकें. साथ ही संगीत के सभी ग्रंथ जैसे नाट्यशास्त्र, वहददेशी, नारदीय शिक्षा, सुधाकलश, संगीत रत्नाकर आदि, जिसे शुक्रवार को भी उत्तर व दक्षिण संगीत का आधार ग्रंथ माना जाता है, जो कि सभी संस्कृत भाषा में है. इसकी नीव से ही हिंदुस्तानी व कर्नाटक संगीत को संपूर्ण विश्व में एक अलग पहचान मिली है.

छात्रों ने विश्वविद्यालय पर आरोप लगाते हुए कहा कि साजिश के तहत संगीत से संस्कृत को खत्म किया जा रहा है. अभी लगभग 3 वर्षों से पद रिक्त चल रहा था. 2019-1920 के विज्ञापन में आवेदन भी मांगे गए, लेकिन साक्षात्कार नहीं हुआ. अचानक 2020 और 21 के विज्ञापन में इसे सदा के लिए हटा दिया गया. यह दुर्भाग्यपूर्ण है.

संगीत मंच कला संकाय के छात्रों ने देश ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी अपना लोहा मनवाया है. महामना के मानस पुत्रों के रूप में यहां से संगीत की शिक्षा ग्रहण करके वे देश-विदेश में नाम रोशन कर रहे हैं. ऐसे में अगर इस पद को समाप्त कर दिया गया, तो छात्र केवल संगीत की शिक्षा ले पाएंगे और जो की मूल ज्ञान संस्कृत है, उससे अनभिज्ञ रहेंगे.

शोध छात्र जितेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि बीएचयू के संगीत मंच कला संकाय से संस्कृत शास्त्र का पद खत्म कर दिया. इस मामले को लेकर हम लोगों ने बीएचयू कुलपति महोदय को ज्ञापन सौंपा है. छात्र ने आरोप लगाते हुए कहा कि यह साजिश के तहत किया जा रहा है. संकाय के कुछ लोग नहीं चाहते कि छात्र अच्छे से पढ़ें, क्योंकि संस्कृत संगीत की आत्मा है. ऐसे में जब छात्र संस्कृत का ज्ञान नहीं जान पाएगा, तो वह संगीत का ज्ञान भी नहीं जान पाएगा. हमें डिग्री तो मिल जाएगी, लेकिन ज्ञान नहीं मिलेगा.

वाराणसी: जिले के काशी हिंदू विश्वविद्यालय के संगीत मंच कला संकाय के संगीत शास्त्र विभाग से संस्कृत की शिक्षा को खत्म कर दिया गया, जिसे लेकर छात्रों में आक्रोश है. शुक्रवार को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए छात्रों ने इस पूरे मामले को लेकर बीएचयू के कुलपति प्रोफेसर राकेश भटनागर को ज्ञापन सौंपा. साथ ही अपनी बात उनके सामने रखी.

ओंकार नाथ ठाकुर ने की थी स्थापना
महामना के निर्देशन पर पंडित ओंकारनाथ ठाकुर ने विश्वविद्यालय के कुल गीत को राग बंद किया था. उन्हीं के द्वारा स्थापित संगीत व मंच कला संकाय में विशेष रूप से संगीत शास्त्र विभाग की आधारशिला रखी थी. उसमें गुणवत्तापूर्ण संगीत शिक्षा हेतु संस्कृत शिक्षक भी नियुक्त किए गए, ताकि विश्वविद्यालय में कला के साथ शास्त्र में भी छात्र निपुण हो सकें. साथ ही संगीत के सभी ग्रंथ जैसे नाट्यशास्त्र, वहददेशी, नारदीय शिक्षा, सुधाकलश, संगीत रत्नाकर आदि, जिसे शुक्रवार को भी उत्तर व दक्षिण संगीत का आधार ग्रंथ माना जाता है, जो कि सभी संस्कृत भाषा में है. इसकी नीव से ही हिंदुस्तानी व कर्नाटक संगीत को संपूर्ण विश्व में एक अलग पहचान मिली है.

छात्रों ने विश्वविद्यालय पर आरोप लगाते हुए कहा कि साजिश के तहत संगीत से संस्कृत को खत्म किया जा रहा है. अभी लगभग 3 वर्षों से पद रिक्त चल रहा था. 2019-1920 के विज्ञापन में आवेदन भी मांगे गए, लेकिन साक्षात्कार नहीं हुआ. अचानक 2020 और 21 के विज्ञापन में इसे सदा के लिए हटा दिया गया. यह दुर्भाग्यपूर्ण है.

संगीत मंच कला संकाय के छात्रों ने देश ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी अपना लोहा मनवाया है. महामना के मानस पुत्रों के रूप में यहां से संगीत की शिक्षा ग्रहण करके वे देश-विदेश में नाम रोशन कर रहे हैं. ऐसे में अगर इस पद को समाप्त कर दिया गया, तो छात्र केवल संगीत की शिक्षा ले पाएंगे और जो की मूल ज्ञान संस्कृत है, उससे अनभिज्ञ रहेंगे.

शोध छात्र जितेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि बीएचयू के संगीत मंच कला संकाय से संस्कृत शास्त्र का पद खत्म कर दिया. इस मामले को लेकर हम लोगों ने बीएचयू कुलपति महोदय को ज्ञापन सौंपा है. छात्र ने आरोप लगाते हुए कहा कि यह साजिश के तहत किया जा रहा है. संकाय के कुछ लोग नहीं चाहते कि छात्र अच्छे से पढ़ें, क्योंकि संस्कृत संगीत की आत्मा है. ऐसे में जब छात्र संस्कृत का ज्ञान नहीं जान पाएगा, तो वह संगीत का ज्ञान भी नहीं जान पाएगा. हमें डिग्री तो मिल जाएगी, लेकिन ज्ञान नहीं मिलेगा.

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