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भीषण गर्मी से जल्द मिलेगी राहत, जानिए कब आएगा आपके यहां मानसून - मानसून

देश में मानसून बहुत पहले दस्तक दे चुका है, लेकिन अभी भी कई राज्यों को इसका बेसब्री से इंतजार है. बीएचयू मौसम विभाग के एक प्रोफेसर के मुताबिक अगले एक हफ्ते में उत्तर प्रदेश के शेष हिस्सों में मानसून पहुंच सकता है. प्रोफेसर ने यह भी बताया कि मौसम किस तरह आपके जिले में पहुंचेगा. आगे पढ़ें...

मानसून
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Published : Jul 11, 2021, 6:15 PM IST

वाराणसी: उत्तर प्रदेश में मानसून (Monsoon in Uttar Pradesh) न आने के कारण लोगों को भीषण गर्मी का सामना करना पड़ रहा है. गर्मी से लोगों का जीना बेहाल है. लोग जानना चाह रहे हैं कि इस बार मानसून कहां खो गया है. कब तक बरसात होने की उम्मीद है, तो अब उनके लिए खुशी की बात है. मौसम विभाग (Meteorological Department) के जानकारों का कहना है कि एक हफ्ते में मानसून आने की संभावना है. एक हफ्ते में लो प्रेशर बनने की संभावना है. बंगाल की खाड़ी (Bay of Bengal) में लो प्रेशर नहीं बन पा रहा है, जिससे बरसात नहीं हो रही है.

पढ़ें- बंगाल की खाड़ी में बना कम दबाव का क्षेत्र, इन राज्यों में भारी बारिश के आसार

पढ़ें- Weather Forecast: उत्तर-पश्चिमी राज्यों में जमकर बरसेंगे बदरा, जानें कब होगा ऐसा


प्रदेश में तेज गर्मी और उमस की मार झेल रहे प्रदेशवासियों को मानसून (Monsoon) न आने के कारण कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. अब इनके लिए राहत भरी खबर है. बीएचयू (BHU) के मौसम विभाग के प्रो. जीपी सिंह ने बताया कि पश्चिम बंगाल की खाड़ी में जितना लो प्रेशर बनता है, उतना ही अधिक मानसून बनता है. उतनी ही क्षेत्र में बरसात होती है. जून के महीने में लो प्रेशर बना था, जिससे बरसात हुई थी. इस बार नार्थ साइड में मानसून बना है. पूर्वी एवं पश्चिमी एरिया में मानसून बन नहीं रहा है, जिससे बरसात नहीं हो रही है. एक सप्ताह के अंदर मानसून आने की उम्मीद लग रही है.

मानसून के बारे में जानकारी देते बीएचयू मौसम विभाग के प्रोफेसर.


पढ़ें- हवा प्रणालियों के पूर्वानुमान में मुश्किल के कारण उत्तर भारत के लिए आईएमडी की भविष्य में खामी

बीएचयू के मौसम विभाग के प्रो. जीपी सिंह ने बताया कि उत्तरी नॉर्थ ईस्ट भाग में बहुत ज्यादा बादल छाए हुए हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश में कोई बादल की स्थिति नहीं बनी हुई है. बिहार का कुछ भाग है. बिहार से कुछ सटा हुआ भाग है, जो पूर्वी उत्तर प्रदेश का है. यहां थोड़ा पश्चिम दिशा में है. यहां मानसून आने में 1 हफ्ते का समय लगेगा.


पढ़ें- जुलाई में मानसून हुआ कमजोर, पूर्वी यूपी में हुई हल्की बारिश

जीपी सिंह ने बताया कि हम लोग जो मानसून की बात करते हैं, तो यह इस पर निर्भर करता है कि जो बंगाल की खाड़ी में लो प्रेशर एरिया बनता है, वह कितना बना रहा है. वह ज्यादा एरिया संख्या में बनता है, तो उतना ही क्षेत्र में बरसात होती है. इसका एक ही सिस्टम बना है. वह सिस्टम लोकलाइज एरिया में जो बरसात होती है, उसको रेनफॉल कहते हैं. टोटल यह निर्भर करता है कि लो प्रेशर एरिया का नंबर कितना है. अगर ज्यादा बनेगा, तो बरसात में गैप कम होगा. जून के महीने में लो प्रेशर एरिया ज्यादा बने हैं, अभी लो प्रेशर एरिया नहीं बन रहा है. उम्मीद है कि अगले हफ्ते तक लो प्रेशर एरिया बननी चाहिए.


पढ़ें-उत्तर भारत में गर्मी का प्रकोप जारी, दिल्ली में 10 जुलाई तक पहुंचेगा मानसून

उन्होंने बताया कि गर्मी ज्यादा होने से लोगों को इसके दुष्परिणाम का असर देखने को मिलता है. मानव शरीर का वेट बल्ब टेंपरेचर जो 30 पर होता है, हम पसीना छोड़ते हैं, तो शरीर को कूलिंग मिलती है. लेकिन जब टेंपरेचर 35 के पार चला जाता है, तो पसीना आना बंद हो जाता है और ठंडी भी नहीं लगती है, जिससे हीटस्ट्रोक होता है, जिससे कई आदमी मर भी जाते हैं. हालांकि वाराणसी जैसे क्षेत्रों में वेट बल्ब तापमान 30 के आस-पास है. इससे हम लोगों पर असर नहीं पड़ेगा.


पढ़ें- अगले पांच सालों में तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ने की संभावना

इसी साल जून माह में विश्व मौसम विज्ञान संगठन (World Meteorological Organization) (WMO) ने जलवायु अपडेट किया था. इससे यह पता चला कि वार्षिक औसत वैश्विक तापमान (annual average global temperature) अस्थाई रूप से पूर्व-औद्योगिक स्तर (pre-industrial level) से 1.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक होने की लगभग 40% संभावना है. यह अगले पांच वर्षों में से कम से कम एक बार निश्चित रूप से होगा.

पढ़ें-आर्कटिक वार्मिंग: दुनिया के अन्य हिस्सों की तुलना में तेज क्यों है?

वाराणसी: उत्तर प्रदेश में मानसून (Monsoon in Uttar Pradesh) न आने के कारण लोगों को भीषण गर्मी का सामना करना पड़ रहा है. गर्मी से लोगों का जीना बेहाल है. लोग जानना चाह रहे हैं कि इस बार मानसून कहां खो गया है. कब तक बरसात होने की उम्मीद है, तो अब उनके लिए खुशी की बात है. मौसम विभाग (Meteorological Department) के जानकारों का कहना है कि एक हफ्ते में मानसून आने की संभावना है. एक हफ्ते में लो प्रेशर बनने की संभावना है. बंगाल की खाड़ी (Bay of Bengal) में लो प्रेशर नहीं बन पा रहा है, जिससे बरसात नहीं हो रही है.

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प्रदेश में तेज गर्मी और उमस की मार झेल रहे प्रदेशवासियों को मानसून (Monsoon) न आने के कारण कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. अब इनके लिए राहत भरी खबर है. बीएचयू (BHU) के मौसम विभाग के प्रो. जीपी सिंह ने बताया कि पश्चिम बंगाल की खाड़ी में जितना लो प्रेशर बनता है, उतना ही अधिक मानसून बनता है. उतनी ही क्षेत्र में बरसात होती है. जून के महीने में लो प्रेशर बना था, जिससे बरसात हुई थी. इस बार नार्थ साइड में मानसून बना है. पूर्वी एवं पश्चिमी एरिया में मानसून बन नहीं रहा है, जिससे बरसात नहीं हो रही है. एक सप्ताह के अंदर मानसून आने की उम्मीद लग रही है.

मानसून के बारे में जानकारी देते बीएचयू मौसम विभाग के प्रोफेसर.


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बीएचयू के मौसम विभाग के प्रो. जीपी सिंह ने बताया कि उत्तरी नॉर्थ ईस्ट भाग में बहुत ज्यादा बादल छाए हुए हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश में कोई बादल की स्थिति नहीं बनी हुई है. बिहार का कुछ भाग है. बिहार से कुछ सटा हुआ भाग है, जो पूर्वी उत्तर प्रदेश का है. यहां थोड़ा पश्चिम दिशा में है. यहां मानसून आने में 1 हफ्ते का समय लगेगा.


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जीपी सिंह ने बताया कि हम लोग जो मानसून की बात करते हैं, तो यह इस पर निर्भर करता है कि जो बंगाल की खाड़ी में लो प्रेशर एरिया बनता है, वह कितना बना रहा है. वह ज्यादा एरिया संख्या में बनता है, तो उतना ही क्षेत्र में बरसात होती है. इसका एक ही सिस्टम बना है. वह सिस्टम लोकलाइज एरिया में जो बरसात होती है, उसको रेनफॉल कहते हैं. टोटल यह निर्भर करता है कि लो प्रेशर एरिया का नंबर कितना है. अगर ज्यादा बनेगा, तो बरसात में गैप कम होगा. जून के महीने में लो प्रेशर एरिया ज्यादा बने हैं, अभी लो प्रेशर एरिया नहीं बन रहा है. उम्मीद है कि अगले हफ्ते तक लो प्रेशर एरिया बननी चाहिए.


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उन्होंने बताया कि गर्मी ज्यादा होने से लोगों को इसके दुष्परिणाम का असर देखने को मिलता है. मानव शरीर का वेट बल्ब टेंपरेचर जो 30 पर होता है, हम पसीना छोड़ते हैं, तो शरीर को कूलिंग मिलती है. लेकिन जब टेंपरेचर 35 के पार चला जाता है, तो पसीना आना बंद हो जाता है और ठंडी भी नहीं लगती है, जिससे हीटस्ट्रोक होता है, जिससे कई आदमी मर भी जाते हैं. हालांकि वाराणसी जैसे क्षेत्रों में वेट बल्ब तापमान 30 के आस-पास है. इससे हम लोगों पर असर नहीं पड़ेगा.


पढ़ें- अगले पांच सालों में तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ने की संभावना

इसी साल जून माह में विश्व मौसम विज्ञान संगठन (World Meteorological Organization) (WMO) ने जलवायु अपडेट किया था. इससे यह पता चला कि वार्षिक औसत वैश्विक तापमान (annual average global temperature) अस्थाई रूप से पूर्व-औद्योगिक स्तर (pre-industrial level) से 1.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक होने की लगभग 40% संभावना है. यह अगले पांच वर्षों में से कम से कम एक बार निश्चित रूप से होगा.

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