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गंगा की गोद में संचालित हो रहा ब्यूटी पार्लर - बोट में ब्यूटी पार्लर

यूपी के वाराणसी में गंगा नदी पर बोट में ब्यूटी पार्लर का संचालन हो रहा है. यहां पर गंगा किनारे रहने वाली लड़कियों को आत्मनिर्भर बनने की ट्रेनिंग दी जा रही है. साथ ही गंगा प्रहरी को तैयार कर गंगा की सुरक्षा भी की जा रही है.

गंगा नदी पर बोट में ब्यूटी पार्लर का संचालन
गंगा नदी पर बोट में ब्यूटी पार्लर का संचालन
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Published : Mar 22, 2021, 5:31 PM IST

वाराणसी: आपने हर स्थान पर अलग-अलग तरह के ब्यूटी पार्लर देखे होंगे, लेकिन यदि कहा जाए कि गंगा की गोद में भी ब्यूटी पार्लर संचालित हो रहा है, तो थोड़ा आश्चर्य जरूर होगा. जी हां काशी की बेटियां इस आश्चर्य को धरातल पर उतार रही है. नमामि गंगे योजना के तहत आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा लेने के बाद काशी की बेटियां लोगों को आत्मनिर्भर बना रही हैं. साथ ही वह गंगा प्रहरी को तैयार कर गंगा की सुरक्षा भी कर रही हैं.

नमामि गंगे योजना के तहत दिया जा रहा प्रशिक्षण
नमामि गंगे योजना के तहत अलग-अलग क्रियाकलापों द्वारा लोगों को आत्मनिर्भर होने का प्रशिक्षण दिया जाता है, जिससे कि लोग अपना जीविकोपार्जन कर सकें. साथ ही गंगा घाट किनारे रहने वाले लोगों को गंगा प्रहरी के रूप में तैयार किया जाता है, जिससे वह आत्मनिर्भर बनने के साथ-साथ मां गंगा की सेवा भी कर सकें. इसी योजना के तहत वाराणसी की मीरा और सुमन ने ब्यूटी पार्लर के कोर्स की शिक्षा लेकर गंगा की गोद में जलज बोट में ब्यूटी पार्लर खोला. जहां पर वह घाट किनारे रहने वाली बच्चियों को प्रशिक्षित कर रही हैं. साथ ही नौका विहार करके आने वाले पर्यटकों को ब्यूटी पार्लर की अन्य सेवाएं देकर धन अर्जन भी कर रही हैं.

गंगा नदी पर बोट में ब्यूटी पार्लर का संचालन

सीखने के बाद चलाएंगी अपना पार्लर
कोर्स करने आने वाली निधि ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि वह इस योजना के तहत 21 दिन का कोर्स सीखने आई थीं. यहां सीखने के बाद वह अपना खुद का पार्लर खोलेंगी और पैसे अर्जित करेंगी. यहां पर उन्हें निशुल्क सिखाया जाता है, जिससे वह बेहद खुश हैं और अब अपना भविष्य संवार सकेंगी.

घाट किनारे के बच्चियों को दे रहीं प्रशिक्षण
पार्लर संचालिका मीरा ने बताया कि उन्हें नमामि गंगे योजना के तहत शहर के सारनाथ में कौशल प्रशिक्षण दिया गया. जिसमें अलग-अलग चीजें सिखाई गईं. इसके बाद उन्हें जलज बोट दी गई, जिसमें उन्होंने पार्लर खोला. मीरा ने बताया कि यहां पर सभी हर्बल सामान का प्रयोग होता है और वह वाराणसी के सभी घाटों पर जा कर वहां गंगा किनारे रहने वाले बच्चों को प्रशिक्षण देती हैं, जिससे कि वह आगे बढ़ सकें. मीरा ने बताया कि अब तक उन्होंने काफी बच्चों को प्रशिक्षित किया है.

घाट प्रहरी को तैयार कर गंगा को कर रहीं संरक्षित
पार्लर संचालिका सुमन ने बताया कि वह यहां पर पार्लर चलाने के साथ-साथ घाट किनारे रहने वाले लोगों को गंगा प्रहरी के रूप में शपथ ग्रहण कराती हैं और गंगा को स्वच्छ रखती हैं. उन्होंने बताया कि पहली प्राथमिकता यही होती है कि गंगा में कोई गंदगी न करें. वह पार्लर में आने वाले लोगों से भी अपील करते हैं कि वह गंगा को स्वच्छ रखें और घाट के माध्यम से गंगा को सुरक्षित भी रखने का प्रयास कर रही हैं.

गंगा को संरक्षित रखने के लिए बनाई गई है योजना
नमामि गंगे योजना से जुड़ी सुनीता रावत ने बताया कि सरकार की ओर से गंगा को सुरक्षित रखने के लिए योजना बनाई गई है. इसके तहत नदी के किनारे पड़ने वाले कस्बों के लोगों को जागरूक किया जा रहा है. उन्हें प्रशिक्षण दिया जा रहा है, जिससे वह आत्मनिर्भर बन सकें. इसके साथ ही गंगा का संरक्षण भी कर सकें. क्योंकि गंगा प्रहरी यदि गंगा को स्वच्छ रखने के लिए प्रशिक्षण लेंगे तो उनका भी जीविकोपार्जन चलना चाहिए और उनके जीविकोपार्जन के लिए उन्हें कौशल सिखाए जाते हैं जिससे वह आत्मनिर्भर बन सके. उन्होंने बताया कि इस योजना का मुख्य उद्देश्य गंगा को संरक्षित रखना है और लोगों को आत्मनिर्भर बनाना है.

वाराणसी: आपने हर स्थान पर अलग-अलग तरह के ब्यूटी पार्लर देखे होंगे, लेकिन यदि कहा जाए कि गंगा की गोद में भी ब्यूटी पार्लर संचालित हो रहा है, तो थोड़ा आश्चर्य जरूर होगा. जी हां काशी की बेटियां इस आश्चर्य को धरातल पर उतार रही है. नमामि गंगे योजना के तहत आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा लेने के बाद काशी की बेटियां लोगों को आत्मनिर्भर बना रही हैं. साथ ही वह गंगा प्रहरी को तैयार कर गंगा की सुरक्षा भी कर रही हैं.

नमामि गंगे योजना के तहत दिया जा रहा प्रशिक्षण
नमामि गंगे योजना के तहत अलग-अलग क्रियाकलापों द्वारा लोगों को आत्मनिर्भर होने का प्रशिक्षण दिया जाता है, जिससे कि लोग अपना जीविकोपार्जन कर सकें. साथ ही गंगा घाट किनारे रहने वाले लोगों को गंगा प्रहरी के रूप में तैयार किया जाता है, जिससे वह आत्मनिर्भर बनने के साथ-साथ मां गंगा की सेवा भी कर सकें. इसी योजना के तहत वाराणसी की मीरा और सुमन ने ब्यूटी पार्लर के कोर्स की शिक्षा लेकर गंगा की गोद में जलज बोट में ब्यूटी पार्लर खोला. जहां पर वह घाट किनारे रहने वाली बच्चियों को प्रशिक्षित कर रही हैं. साथ ही नौका विहार करके आने वाले पर्यटकों को ब्यूटी पार्लर की अन्य सेवाएं देकर धन अर्जन भी कर रही हैं.

गंगा नदी पर बोट में ब्यूटी पार्लर का संचालन

सीखने के बाद चलाएंगी अपना पार्लर
कोर्स करने आने वाली निधि ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि वह इस योजना के तहत 21 दिन का कोर्स सीखने आई थीं. यहां सीखने के बाद वह अपना खुद का पार्लर खोलेंगी और पैसे अर्जित करेंगी. यहां पर उन्हें निशुल्क सिखाया जाता है, जिससे वह बेहद खुश हैं और अब अपना भविष्य संवार सकेंगी.

घाट किनारे के बच्चियों को दे रहीं प्रशिक्षण
पार्लर संचालिका मीरा ने बताया कि उन्हें नमामि गंगे योजना के तहत शहर के सारनाथ में कौशल प्रशिक्षण दिया गया. जिसमें अलग-अलग चीजें सिखाई गईं. इसके बाद उन्हें जलज बोट दी गई, जिसमें उन्होंने पार्लर खोला. मीरा ने बताया कि यहां पर सभी हर्बल सामान का प्रयोग होता है और वह वाराणसी के सभी घाटों पर जा कर वहां गंगा किनारे रहने वाले बच्चों को प्रशिक्षण देती हैं, जिससे कि वह आगे बढ़ सकें. मीरा ने बताया कि अब तक उन्होंने काफी बच्चों को प्रशिक्षित किया है.

घाट प्रहरी को तैयार कर गंगा को कर रहीं संरक्षित
पार्लर संचालिका सुमन ने बताया कि वह यहां पर पार्लर चलाने के साथ-साथ घाट किनारे रहने वाले लोगों को गंगा प्रहरी के रूप में शपथ ग्रहण कराती हैं और गंगा को स्वच्छ रखती हैं. उन्होंने बताया कि पहली प्राथमिकता यही होती है कि गंगा में कोई गंदगी न करें. वह पार्लर में आने वाले लोगों से भी अपील करते हैं कि वह गंगा को स्वच्छ रखें और घाट के माध्यम से गंगा को सुरक्षित भी रखने का प्रयास कर रही हैं.

गंगा को संरक्षित रखने के लिए बनाई गई है योजना
नमामि गंगे योजना से जुड़ी सुनीता रावत ने बताया कि सरकार की ओर से गंगा को सुरक्षित रखने के लिए योजना बनाई गई है. इसके तहत नदी के किनारे पड़ने वाले कस्बों के लोगों को जागरूक किया जा रहा है. उन्हें प्रशिक्षण दिया जा रहा है, जिससे वह आत्मनिर्भर बन सकें. इसके साथ ही गंगा का संरक्षण भी कर सकें. क्योंकि गंगा प्रहरी यदि गंगा को स्वच्छ रखने के लिए प्रशिक्षण लेंगे तो उनका भी जीविकोपार्जन चलना चाहिए और उनके जीविकोपार्जन के लिए उन्हें कौशल सिखाए जाते हैं जिससे वह आत्मनिर्भर बन सके. उन्होंने बताया कि इस योजना का मुख्य उद्देश्य गंगा को संरक्षित रखना है और लोगों को आत्मनिर्भर बनाना है.

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