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युवाओं के दूसरे शौक से बनारसी पान को लग रहा चूना, कारोबारियों को लाखों का नुकसान

एक दौर में बनारसी पान का खास रुतबा हुआ करता था, बदलते दौर के साथ इसकी अहमियत भी कम होती जा रही है. इससे पान की बिक्री भी प्रभावित होने लगी है. विक्रेता भी इससे चिंतित नजर आ रहे हैं.

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Published : Jun 18, 2023, 5:13 PM IST

पान की बिक्री पर पड़ रहा असर.
पान की बिक्री पर पड़ रहा असर.
बनारस का पान कारोबार प्रभावित.

वाराणसी : बनारसी पान को यहां की शान कहा जाता है. यही वजह है कि देश-विदेश से जो भी काशी आता है, यहां के पान का स्वाद जरूर लेता है. बदलते परिवेश में अब पान के जायके पर ग्रहण लगने लगा है. इसका सबसे ज्यादा असर पान कारोबारियों पर नजर आ रहा है. कारोबारियों का कहना है कि बदलते परिवेश में पान-मसाले की दौड़ में पान का कारोबार पीछे होता जा रहा है. इससे कारोबार को करोड़ों का नुकसान हो रहा है.

वाराणसी के पान का जिक्र हर जगह होता है. सिर्फ वाराणसी और आस-पास के जिलों में ही नहीं बल्कि अन्य राज्यों के लोगों में भी इसका जिक्र हमेशा रहता है. आपने वो गाना तो सुना ही होगा 'खाइके पान बनारस वाला'. ये पान वाराणसी की शान रहा है. आज भी लोग जब वाराणसी आते हैं तो यहां का पान खाकर ही जाते हैं. मगर आज के माहौल में इनकी बिक्री उतनी नहीं रह गई है, जितनी की पहले रहा करती थी. इसकी वजह है गुटखा और सिगरेट की लत का बढ़ना.

वाराणसी में आते थे 20 से 25 ट्रक पान : पान कारोबारी घनश्याम चौरसिया ने बताया कि आज से लगभग 10 से 15 साल पहले पान की बिक्री वाराणसी में अधिक थी. उस वक्त सप्ताह में कम से कम 20 से 25 ट्रक पान गिरता था. गुटखा, सिगरेट की वजह से पान का कारोबार बहुत ज्यादा प्रभावित हो चुका है. आज के 70-80 साल पहले बैलगाड़ी से पान आता था. फिर रेलगाड़ियों से पान आने लगा. इसके बाद ट्रकों से पान आने लगा. सुविधाओं के बढ़ने के साथ ही कारोबार बढ़िया होता चला गया.

पान की बिक्री पर पड़ रहा असर.
पान की बिक्री पर पड़ रहा असर.

गुटखा-सिगरेट से पान के व्यापार पर पड़ा 80 फीसदी प्रभाव : पान कारोबारी ने बताया कि अब गुटखा और पान की वजह से जो पान बेचने वाले व्यापारी हैं, उनका व्यापार बुरी तरह से प्रभावित हो गया है. सिगरेट और गुटखा की वजह से लोग पान खाना बंद कर दिए हैं. इसकी वजह से वाराणसी में पान के कारोबार पर लगभग 80 फीसदी प्रभाव पड़ा है. पहले यहां से पान दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, लखनऊ, आगरा जाता था. अब यहां से पान का निर्यात न के बराबर रह गया है. 2 से 10 टोकरी पान ही बाहर जाता है. बंगाल में अब जहां से उत्पादन है वहीं से जाता है.

यूपी में 3.40 करोड़ पुरुष खा जाते हैं गुटखा : नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के मुताबिक 2022 में उत्तर प्रदेश में यहां के पुरुषों से सबसे अधिक गुटखा खाया था. सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक 28 फीसदी पुरुष गुटखा का सेवन करते हैं. इनको अगर संख्या में देखा जाए तो करीब 3.40 करोड़ पुरुष गुटखा खाने वाले हैं. गुटखा खाने में महिलाएं भी कम नहीं है. ग्रामीण क्षेत्रों में 4 फीसदी महिलाएं तो शहरी क्षेत्रों में तीन फीसदी महिलाएं गुटखा का सेवन करती हैं. इनकी संख्या देखी जाए तो लगभग 35 लाख महिलाएं गुटखा का सेवन करती हैं.

पान खाने से शरीर को कुछ फायदे भी होते हैं : पान का सेवन यूं ही नहीं किया जाता है. आपको अगर याद हो तो शादियों में खाना खाने के बाद पान दिया जाता है. दरअसल पान खाने के कुछ फायदे भी बताए गए हैं. इसे खाने से सर्दी-खांसी की जकड़न साफ होती है, पान के पत्तों से बदबू, कैविटी, प्लाक बिल्डअप जैसी दांत की समस्याओं से निजात मिलता है. पान के पत्तों में मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी यौगिक जोड़ों के दर्द में सहायक होता है. आयुर्वेद के अनुसार पान खाने से कब्ज की समस्या दूर होती है. अपच और डायरिया में भी इसे लोग खाते हैं.

यह भी पढ़ें : खतरनाक जर्जर भवनों का अब तक नहीं हुआ सर्वे न जारी हुआ नोटिस

बनारस का पान कारोबार प्रभावित.

वाराणसी : बनारसी पान को यहां की शान कहा जाता है. यही वजह है कि देश-विदेश से जो भी काशी आता है, यहां के पान का स्वाद जरूर लेता है. बदलते परिवेश में अब पान के जायके पर ग्रहण लगने लगा है. इसका सबसे ज्यादा असर पान कारोबारियों पर नजर आ रहा है. कारोबारियों का कहना है कि बदलते परिवेश में पान-मसाले की दौड़ में पान का कारोबार पीछे होता जा रहा है. इससे कारोबार को करोड़ों का नुकसान हो रहा है.

वाराणसी के पान का जिक्र हर जगह होता है. सिर्फ वाराणसी और आस-पास के जिलों में ही नहीं बल्कि अन्य राज्यों के लोगों में भी इसका जिक्र हमेशा रहता है. आपने वो गाना तो सुना ही होगा 'खाइके पान बनारस वाला'. ये पान वाराणसी की शान रहा है. आज भी लोग जब वाराणसी आते हैं तो यहां का पान खाकर ही जाते हैं. मगर आज के माहौल में इनकी बिक्री उतनी नहीं रह गई है, जितनी की पहले रहा करती थी. इसकी वजह है गुटखा और सिगरेट की लत का बढ़ना.

वाराणसी में आते थे 20 से 25 ट्रक पान : पान कारोबारी घनश्याम चौरसिया ने बताया कि आज से लगभग 10 से 15 साल पहले पान की बिक्री वाराणसी में अधिक थी. उस वक्त सप्ताह में कम से कम 20 से 25 ट्रक पान गिरता था. गुटखा, सिगरेट की वजह से पान का कारोबार बहुत ज्यादा प्रभावित हो चुका है. आज के 70-80 साल पहले बैलगाड़ी से पान आता था. फिर रेलगाड़ियों से पान आने लगा. इसके बाद ट्रकों से पान आने लगा. सुविधाओं के बढ़ने के साथ ही कारोबार बढ़िया होता चला गया.

पान की बिक्री पर पड़ रहा असर.
पान की बिक्री पर पड़ रहा असर.

गुटखा-सिगरेट से पान के व्यापार पर पड़ा 80 फीसदी प्रभाव : पान कारोबारी ने बताया कि अब गुटखा और पान की वजह से जो पान बेचने वाले व्यापारी हैं, उनका व्यापार बुरी तरह से प्रभावित हो गया है. सिगरेट और गुटखा की वजह से लोग पान खाना बंद कर दिए हैं. इसकी वजह से वाराणसी में पान के कारोबार पर लगभग 80 फीसदी प्रभाव पड़ा है. पहले यहां से पान दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, लखनऊ, आगरा जाता था. अब यहां से पान का निर्यात न के बराबर रह गया है. 2 से 10 टोकरी पान ही बाहर जाता है. बंगाल में अब जहां से उत्पादन है वहीं से जाता है.

यूपी में 3.40 करोड़ पुरुष खा जाते हैं गुटखा : नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के मुताबिक 2022 में उत्तर प्रदेश में यहां के पुरुषों से सबसे अधिक गुटखा खाया था. सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक 28 फीसदी पुरुष गुटखा का सेवन करते हैं. इनको अगर संख्या में देखा जाए तो करीब 3.40 करोड़ पुरुष गुटखा खाने वाले हैं. गुटखा खाने में महिलाएं भी कम नहीं है. ग्रामीण क्षेत्रों में 4 फीसदी महिलाएं तो शहरी क्षेत्रों में तीन फीसदी महिलाएं गुटखा का सेवन करती हैं. इनकी संख्या देखी जाए तो लगभग 35 लाख महिलाएं गुटखा का सेवन करती हैं.

पान खाने से शरीर को कुछ फायदे भी होते हैं : पान का सेवन यूं ही नहीं किया जाता है. आपको अगर याद हो तो शादियों में खाना खाने के बाद पान दिया जाता है. दरअसल पान खाने के कुछ फायदे भी बताए गए हैं. इसे खाने से सर्दी-खांसी की जकड़न साफ होती है, पान के पत्तों से बदबू, कैविटी, प्लाक बिल्डअप जैसी दांत की समस्याओं से निजात मिलता है. पान के पत्तों में मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी यौगिक जोड़ों के दर्द में सहायक होता है. आयुर्वेद के अनुसार पान खाने से कब्ज की समस्या दूर होती है. अपच और डायरिया में भी इसे लोग खाते हैं.

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