वाराणसी : काशी हिन्दू विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा यूनिवर्सिटी में शिक्षकों और विद्यार्थियों द्वारा किये जा रहे नवीन शोध के पेटेंट और बौद्धिक संपदा (आईपीआर) के संरक्षण के लिए बड़ा निर्णय लिया गया है. विश्वविद्यलय में हो रहे शोध की महत्ता को देखते हुए, यूनिवर्सिटी प्रशासन ने शिक्षकों और विद्यार्थियों को बड़ी सौगात देने के लिए देशभर से आठ विषय-विशेषज्ञ पैनल की सूची जारी की है. जिनके माध्यम से विश्वविद्यालय के सभी शिक्षक और विद्यार्थी अपने नवीन शोध, आविष्कारों को पेटेंट कर रजिस्टर करा सकते हैं. जिसका पूरा खर्च विश्वविद्यालय प्रशासन उठाएगा.
विश्वविद्यालय के विधि प्रकोष्ठ द्वारा जारी एक नोटिफिकेशन के माध्यम से इस बारे में विस्तार से जानकारी उपलब्ध करायी गई है. इसके अंतर्गत फूड टेक्नोलॉजी के लिए नोएडा के डॉ. विशाल त्रिपाठी, मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल, इलेक्ट्रोनिक्स, कंप्यूटर साइंस, फार्मेसी, केमिस्ट्री और बायो टेक्नोलॉजी के लिए नई दिल्ली के सुदर्शन कुमार बंसल और कोलकाता से श्रीमती जोशिता दावर खेमानी, बायोकेमिस्ट्री के लिए मुंबई के अंशुल सुनील सौराष्ट्री, केमिस्ट्री एवं लाइफ साइंसेज के लिए नोएडा की प्रियंका दुबे, बायो टेक्नोलॉजी, बायोसाइंसेज एवं एनवायर्नमेंटल साइंसेज के लिए गुरुग्राम के अनुपम त्रिवेदी, इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी के लिए नई दिल्ली की मधुलता कुमारी और केमिस्ट्री के लिए गुरुग्राम के डॉ. रमेश कुमार मेहता को विषय वार पेटेंट और बौद्धिक संपदा रजिस्ट्रेशन के लिए अधिकृत किया है.
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विश्वविद्यालय के शिक्षकों और विद्यार्थियों के द्वारा किये जाने वाले सभी पेटेंट और आईपीआर का पूर्ण भुगतान विश्वविद्यालय आईपीआर सेल विधि प्रकोष्ठ द्वारा किया जाएगा. आईपीआर सेल टास्क फोर्स के संयोजक ने बताया कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने शोध और पेटेंट को गति देने के लिए यह निर्णय लिया गया है. इससे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग में भी गुणात्मक बदलाव अपेक्षित है.