वाराणसी: काशी हिंदू विश्वविद्यालय में छात्र-छात्राओं ने मिलकर 60 किलो कबाड़ से 40 तरह की सजावट की सामग्री तैयार की है. विजुअल आर्ट्स फैकल्टी स्थित 'अभिकल्प नवप्रवर्तन केंद्र' में वर्कशॉप में छात्र छत्राओं ने लोहे, लकड़ी और प्लास्टिक कचरा से खूबसूरत वस्तुएं बनाई हैं. इन वस्तुओं को 27 अप्रैल को इंटरनेशनल डिजाइन-डे के मौके पर संस्थान की गैलरी में एग्जीबिशन के लिए सजाया जाएगा. छात्रों का एकमात्र मकसद है की सॉलिड वेस्ट के नुकसान से नेचर को बचाया जाए.
वेस्ट लोहे की कटाई-छंटाई और वेल्डिंग: वर्कशॉप के दौरान छात्र एक-एक प्लास्टिक वेस्ट को सामने रखकर उसे यूज करने के बारे में सोचते हैं. पहले इसके बारे में प्लानिंग करते हैं. इसके बाद उसे अपनी रचना के अनुसार एक आकार देने में जुट जाते हैं. छात्र खुद से ही उस स्क्रैप की वेल्डिंग और बुनाई शुरू कर देते हैं. एक छात्रा ने बटन और पिन से पिकासो की पेंटिंग तैयार की है, तो वहीं दूसरी छात्रा ने लोहे के चेन और बर्तन से मल्टी परपज वाल लैंप बनाया है. इसके अलावा प्लास्टिक, लोहे और लकड़ियों की कटाई-छंटाई भी खुद छात्र ही कर रहे हैं. कार्यशाला के अंतिम दिन, इन कलाकृतियों की एक सामूहिक प्रदर्शनी भी लगाई जाएगी. इन कबाड़ की वस्तुओं से टेबल लैंप, वाल लैंप, स्टडी लैंप, सीटिंग स्कल्पचर्स, खिलौने, चाय केतली जैसे कई मटीरियल अभी तक बनाए जा रहे हैं.
स्क्रैप मैटेरियल से आर्ट वर्क: स्क्रैप शिल्पी आर्टिस्ट ग्रुप के संस्थापक और बीएचयू के शोध छात्र सौरभ सिंह की ओर से चलाए जा रहे इस वर्कशॉप में हर प्रतिभागी को एक-एक कलाकृति तैयार करनी है. सौरभ ने बताया हम लोग स्क्रैप मैटेरियल से कबाड़ आर्ट वर्क बनाते हैं. यह बहुत ही यूज में आते हैं जैसे टेबल लैंप, घर में लगाने वाले लैंप.
आर्किटेक्ट काम को पसंद कर रहे: सौरभ ने बताया कि हम लोगों ने हैदराबाद और दिल्ली में भी काम किया है. इस वर्कशॉप के माध्यम से नए-नए बच्चों को भी मोटिवेट कर रहे हैं और वह भी इसमें बहुत ही अच्छा कार्य कर रहे हैं. यहां के बच्चे भी बहुत क्रिएटिव हैं और अच्छी अच्छी चीजें बना रहे हैं.
प्लास्टिक की बोतल से बनाई गाय: छात्र ऋषभ ने बताया कि यहां जो वस्तुएं बनाई जा रही हैं उन्हें रोजमर्रा की जिंदगी में यूज की जा सकती हैं. बताया कि प्लास्टिक की खाली बोतल से उन्होंने गाय बनाई है. इसी तरह की अन्य वस्तुओं को बनाया जा रहा है.
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