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वाराणसी: विजयदशमी पर बजरंग दल ने किया शस्त्र पूजन

विजयदशमी के मौके पर वाराणसी में बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने मुहूर्त में मंत्रोच्चार के साथ पूरे विधि विधान से शस्त्रों का पूजन किया. इस दौरान संगीतमय सुंदरकांड का पाठ भी किया गया.

bajrang dal workers
बजरंग दल
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Published : Oct 25, 2020, 2:13 PM IST

वाराणसी: धर्म और अध्यात्म की नगरी काशी में रविवार विजया दशमी के दिन विभिन्न स्थानों पर शस्त्र पूजन किया गया. जिले के रामनाथ चौधरी शोध संस्थान नरिया में बजरंग दल काशी प्रांत की ओर से शारदीय नवरात्र के महानवमी पर संगीतमय सुंदरकांड का पाठ और शस्त्र पूजन किया गया.

बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने मुहूर्त में मंत्रोच्चार के साथ पूरे विधि विधान से शस्त्रों का पूजन किया. अर्जुन मौर्या ने बताया कि " विजयदशमी के दिन हम लोग शस्त्र पूजा करते हैं. हमारे पुराणों में शस्त्र पूजा का उल्लेख किया गया है. शस्त्र पूजा पहले से होती रही है और आगे भी होती रहेगी. हम लोग शस्त्र पूजा के माध्यम से हिंदुओं को जागरूक कर रहे हैं. कि प्रत्येक घर में शस्त्र रखना चाहिए और उनकी पूजा करनी चाहिए.

यह है मान्यता
दशमी तिथि के दौरान दिन में विजय मुहूर्त में श्री राम, विजय मुहूर्त में जिस भी कार्य को किया जाता है, उसमें विजयश्री अवश्य प्राप्त होता है. मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु राम ने अश्वनी शुक्ल दशमी को ही श्रवण नक्षत्र वाली रात्रि में लंका पर चढ़ाई की थी और विजय प्राप्त किया था. वनस्पति और शस्त्र पूजा करने के बाद मूर्ति विसर्जन और शाम को रावण दहन की परंपरा है.

वाराणसी: धर्म और अध्यात्म की नगरी काशी में रविवार विजया दशमी के दिन विभिन्न स्थानों पर शस्त्र पूजन किया गया. जिले के रामनाथ चौधरी शोध संस्थान नरिया में बजरंग दल काशी प्रांत की ओर से शारदीय नवरात्र के महानवमी पर संगीतमय सुंदरकांड का पाठ और शस्त्र पूजन किया गया.

बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने मुहूर्त में मंत्रोच्चार के साथ पूरे विधि विधान से शस्त्रों का पूजन किया. अर्जुन मौर्या ने बताया कि " विजयदशमी के दिन हम लोग शस्त्र पूजा करते हैं. हमारे पुराणों में शस्त्र पूजा का उल्लेख किया गया है. शस्त्र पूजा पहले से होती रही है और आगे भी होती रहेगी. हम लोग शस्त्र पूजा के माध्यम से हिंदुओं को जागरूक कर रहे हैं. कि प्रत्येक घर में शस्त्र रखना चाहिए और उनकी पूजा करनी चाहिए.

यह है मान्यता
दशमी तिथि के दौरान दिन में विजय मुहूर्त में श्री राम, विजय मुहूर्त में जिस भी कार्य को किया जाता है, उसमें विजयश्री अवश्य प्राप्त होता है. मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु राम ने अश्वनी शुक्ल दशमी को ही श्रवण नक्षत्र वाली रात्रि में लंका पर चढ़ाई की थी और विजय प्राप्त किया था. वनस्पति और शस्त्र पूजा करने के बाद मूर्ति विसर्जन और शाम को रावण दहन की परंपरा है.

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