वाराणसीः भारत रत्न पंडित मदन मोहन मालवीय ने 1916 में ब्रिटिश काल के दौरान काशी हिंदू विश्वविद्यालय की नींव रखी थी. विश्वविद्यालय में छोटे-बड़े बहुत से मंदिर हैं. इसमें श्रीकाशी विश्वनाथ विटी टेंपल महत्वपूर्ण है. बीएचयू कैंपस के राजपूताना हॉस्टल में एक गुरुद्वारा भी है. यह गुरुद्वारा काशी हिंदू विश्वविद्यालय के निर्माण के समय ही बनाया गया. वैशाखी प्रारंभ होने के साथ ही गुरुद्वारे में भी विभिन्न प्रकार के धार्मिक आयोजन किए गए. यह आयोजन 1927 से किए जा रहा है.
महामना की पावन बगिया में सिख समुदाय और अन्य धर्म जाति के लोगों ने मिलकर इस वर्ष भी वैशाखी के धार्मिक आयोजन को पूर्ण किया. IIT-BHU के राजपूताना छात्रावास स्थित गुरुद्वारा में श्री अखंड पाठ साहिब का आयोजन किया गया. इस दौरान अरदास और कीर्तन भी हुआ. इसकी शुरुआत बीएचयू संस्थापक भारतरत्न महामना पंडित मदनमोहन मालवीय ने की थी.
बीएचयू गुरुद्वारा के अध्यक्ष प्रो. एसएम सिंह ने कहा कि मालवीय जी ने इस हॉस्टल में गुरुद्वारा स्थापित कराया था. विश्वविद्यालय की स्थापना के समय संत अत्तर सिंह मस्तुआना ने भी ईट रखी थी. उन्होंने ही स्थापना की थी. इस गुरुद्वारे में उस समय से लेकर अब तक वैशखी का पर्व मनाया जाता है. इसी परंपरा के दौरान आज भी हम लोग इस पर्व को मना रहे हैं. यहां पर सभी जाति धर्म के लोग आते हैं.
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बीएचयू की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. उपिंदर कौर ने बताया कि वह 2005 से यहां पर लगातार आ रही हैं. उन्होंने बताया कि यह पर्व 1927 से चल रहा है. यहां पर 3 दिन का अखंड पाठ साहिब होता है. यह पहले दिन शुरू होता है दूसरे दिन चलता और तीसरे दिन समाप्ति होती है. पूरे दिन मिलजुल कर हम लोग पाठ करते हैं. कीर्तन होता है, अरदास पढ़े जाते हैं. आखिरी दिन लंगर करवाया जाता है.
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