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सात लाख से ज्यादा की चांदी जड़कर तैयार हुई बाबा विश्वनाथ की खास पालकी, कश्मीर से आई लकड़ी का हुआ प्रयोग - Baba Vishwanath Temple

वाराणसी में 358 साल बाद बाबा विश्वनाथ के लिए नई रजत पालकी तैयार की गई है. अमला एकादशी के दिन बाबा विश्वनाथ अपने परिवार के साथ भक्तों की कंधे पर सवार होकर नगर भ्रमण पर निकलेंगे. चिनार और अखरोट की लकड़ी से सिंहासन का निर्माण किया गया है.

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बाबा विश्वनाथ
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Published : Mar 12, 2022, 9:08 PM IST

वाराणसी. चौदह मार्च को रंगभरी (अमला) एकादशी पर बाबा विश्वनाथ, माता पार्वती संग प्रथमेश की चल प्रतिमा की पालकी यात्रा के लिए रजत का नया सिंहासन बनवाया गया है. टेढ़ीनीम स्थित महंत आवास पर सिंहासन शनिवार शाम ‘शिवांजलि’ की ओर से बाबा को अर्पित किया जाएगा.

सबसे बड़ी बात यह है कि 358 साल बाद बाबा विश्वनाथ के लिए नई रजत पालकी तैयार की गई है. इसके पहले महंत परिवार की तरफ से चांदी का सिंहासन तैयार करके इसका इस्तेमाल पालकी के रूप में भी किया जाता था लेकिन इस बार कश्मीर और दिल्ली के भक्तों की तरफ से बाबा विश्वनाथ को लगभग 11 किलो चांदी के साथ कश्मीर की खास लकड़ियां दान में दी गई हैं.

सात लाख से ज्यादा की चांदी जड़कर तैयार हुई बाबा विश्वनाथ की खास पालकी, कश्मीर से आई लकड़ी का हुआ प्रयोग

इससे इस पालकी को तैयार किया गया है जिसमें इस बार अमला एकादशी के मौके पर बाबा विश्वनाथ अपने परिवार के साथ भक्तों की कंधे पर सवार होकर नगर भ्रमण पर निकलेंगे.

महंत डॉ. कुलपति तिवारी ने बताया दो वर्ष पूर्व विश्वनाथ मंदिर स्थित महंत आवास का हिस्सा कॉरिडोर विस्तारीकरण के दौरान अचानक गिर जाने के कारण बाबा की रजत पालकी का सिंहासन एवं शिवाला क्षतिग्रस्त हो गया था.

रंगभरी एकादशी महोत्सव के लिए गठित शिवाजंलि के माध्यम से काश्मीर के बाबा भक्त मनीष पंडित ने चिनार और अखरोट की लकड़ी सिंहासन के लिए उपलबध कराई. काशी के जगतगंज निवासी काष्ठ शिल्पी शशिधर प्रसाद ‘पप्पू’ ने इसे आकार दिया है.

सिंहासन को दशाश्वमेध (भुतेश्वर गली) के कारीगर अशोक कसेरा ने अपने परिवार के सदस्यों के साथ मिल कर तैयार किया है. खास बात तो यह है कि शशिधर प्रसाद और अशोक कसेरा दोनों ने ही बाबा का सिंहासन तैयार करने के लिए कोई मेहनताना नहीं लिया है. इन दोनों का कहना है कि बाबा की सेवा का अवसर जीवन में पहली बार मिला है.

पढ़ेंः राधा रानी की नगरी बरसाने में खेली गई लड्डू की होली, देखें वीडियो

कार्यक्रम के संयोजक संजीव रत्न मिश्र ने बताया बाबा की वर्तमान पालकी का सिंहासन महंत आवास के अचानक गिरने से क्षतिग्रस्त हो गया था. बाबा की पालकी में लगाने के लिए नए सिंघासन के लिए लखनऊ के रहने वाले शिवम मिश्र के माध्यम से दिल्ली व कश्मीर के बाबा भक्तों ने सिंहासन के लिए काष्ठ व रजत की व्यवस्था की थी.

शिवाजंली के सदस्यों ने शनिवार को बाजे-गाजे के साथ नये सिंहासंन को टेढ़ीनीम महंत आवास में महंत डॉ. कुलपति तिवारी को सौप दिया. संजीव रत्नम ईश्वर का कहना है कि बाबा के भक्तों की तरफ से 8 किलो चांदी उपलब्ध करवाई गई थी और बाकी अपने स्तर पर उपलब्ध करवाने के साथ इसे बनवाया गया है.

भक्तों की तरफ से उपलब्ध चांदी के अलावा 4 किलो अध्यक्ष चांदी का इंतजाम अपने स्तर पर करने के बाद कुल 11 किलो चांदी जिसकी वर्तमान कीमत लगभग 7 लाख रुपये से ज्यादा है, इसे तैयार करवाया गया है. इतना ही नहीं 358 साल बाद पहली बार बाबा विश्वनाथ की रजत पालकी नई हुई है और बाबा कई सौ साल बाद इसी नई पालकी पर सवार होकर भक्तों को दर्शन देंगे.

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वाराणसी. चौदह मार्च को रंगभरी (अमला) एकादशी पर बाबा विश्वनाथ, माता पार्वती संग प्रथमेश की चल प्रतिमा की पालकी यात्रा के लिए रजत का नया सिंहासन बनवाया गया है. टेढ़ीनीम स्थित महंत आवास पर सिंहासन शनिवार शाम ‘शिवांजलि’ की ओर से बाबा को अर्पित किया जाएगा.

सबसे बड़ी बात यह है कि 358 साल बाद बाबा विश्वनाथ के लिए नई रजत पालकी तैयार की गई है. इसके पहले महंत परिवार की तरफ से चांदी का सिंहासन तैयार करके इसका इस्तेमाल पालकी के रूप में भी किया जाता था लेकिन इस बार कश्मीर और दिल्ली के भक्तों की तरफ से बाबा विश्वनाथ को लगभग 11 किलो चांदी के साथ कश्मीर की खास लकड़ियां दान में दी गई हैं.

सात लाख से ज्यादा की चांदी जड़कर तैयार हुई बाबा विश्वनाथ की खास पालकी, कश्मीर से आई लकड़ी का हुआ प्रयोग

इससे इस पालकी को तैयार किया गया है जिसमें इस बार अमला एकादशी के मौके पर बाबा विश्वनाथ अपने परिवार के साथ भक्तों की कंधे पर सवार होकर नगर भ्रमण पर निकलेंगे.

महंत डॉ. कुलपति तिवारी ने बताया दो वर्ष पूर्व विश्वनाथ मंदिर स्थित महंत आवास का हिस्सा कॉरिडोर विस्तारीकरण के दौरान अचानक गिर जाने के कारण बाबा की रजत पालकी का सिंहासन एवं शिवाला क्षतिग्रस्त हो गया था.

रंगभरी एकादशी महोत्सव के लिए गठित शिवाजंलि के माध्यम से काश्मीर के बाबा भक्त मनीष पंडित ने चिनार और अखरोट की लकड़ी सिंहासन के लिए उपलबध कराई. काशी के जगतगंज निवासी काष्ठ शिल्पी शशिधर प्रसाद ‘पप्पू’ ने इसे आकार दिया है.

सिंहासन को दशाश्वमेध (भुतेश्वर गली) के कारीगर अशोक कसेरा ने अपने परिवार के सदस्यों के साथ मिल कर तैयार किया है. खास बात तो यह है कि शशिधर प्रसाद और अशोक कसेरा दोनों ने ही बाबा का सिंहासन तैयार करने के लिए कोई मेहनताना नहीं लिया है. इन दोनों का कहना है कि बाबा की सेवा का अवसर जीवन में पहली बार मिला है.

पढ़ेंः राधा रानी की नगरी बरसाने में खेली गई लड्डू की होली, देखें वीडियो

कार्यक्रम के संयोजक संजीव रत्न मिश्र ने बताया बाबा की वर्तमान पालकी का सिंहासन महंत आवास के अचानक गिरने से क्षतिग्रस्त हो गया था. बाबा की पालकी में लगाने के लिए नए सिंघासन के लिए लखनऊ के रहने वाले शिवम मिश्र के माध्यम से दिल्ली व कश्मीर के बाबा भक्तों ने सिंहासन के लिए काष्ठ व रजत की व्यवस्था की थी.

शिवाजंली के सदस्यों ने शनिवार को बाजे-गाजे के साथ नये सिंहासंन को टेढ़ीनीम महंत आवास में महंत डॉ. कुलपति तिवारी को सौप दिया. संजीव रत्नम ईश्वर का कहना है कि बाबा के भक्तों की तरफ से 8 किलो चांदी उपलब्ध करवाई गई थी और बाकी अपने स्तर पर उपलब्ध करवाने के साथ इसे बनवाया गया है.

भक्तों की तरफ से उपलब्ध चांदी के अलावा 4 किलो अध्यक्ष चांदी का इंतजाम अपने स्तर पर करने के बाद कुल 11 किलो चांदी जिसकी वर्तमान कीमत लगभग 7 लाख रुपये से ज्यादा है, इसे तैयार करवाया गया है. इतना ही नहीं 358 साल बाद पहली बार बाबा विश्वनाथ की रजत पालकी नई हुई है और बाबा कई सौ साल बाद इसी नई पालकी पर सवार होकर भक्तों को दर्शन देंगे.

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