वाराणसी: धर्म नगरी काशी को नाथों के नाथ विश्वनाथ के शहर संग मोक्ष नगरी भी कहा जाता है. यह बातें पुराण और शास्त्र भी मानते हैं. कहा जाता है कि काशी में महादेव स्वयं तारक मंत्र दे कर लोगों को मोक्ष प्रदान करते हैं. अब काशी में मोक्ष की चाह रखने वाले लोगों को शशिशेखर के चरणों में स्थान मिलेगा. इस स्थान से काशी में मोक्ष का रास्ता ही आसान नहीं होगा, बल्कि अब लोग अंतिम समय में आशुतोष की उपासना कर अपने दूसरे लोक को भी सुधार सकेंगे.
काशी मरत मुक्ति करत एक राम नाम, महादेव सतत जपत दिव्य राम नाम.... यह भजन काशी नगरी में मोक्ष की चाह में आने वाले हर श्रद्धालुओं के मुख से सहज ही निकल पड़ता है. क्योंकि उनका अंतिम उद्देश्य ही महादेव के चरणों में परलोक जाने का होता है. खास बात यह है कि अब उन लोगों की यह चाह पूरी तरीके से सार्थक होगी. बाबा विश्वनाथ के चरणों में उनको मोक्ष का स्थान मिलेगा. इसके लिए बकायदा सरकार की ओर से नई व्यवस्था की शुरुआत की गई है. जिसके तहत अब लोग विश्वनाथ धाम में मां गंगा और बाबा विश्वनाथ के दर्शन-पूजन संग मोक्ष प्राप्ति के लिए कामना कर सकेंगे.
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65 वर्ष के लोग ले सकेंगे लाभ
मोक्ष के लिए विश्वनाथ धाम के परिसर में बकायदा मुमुक्षु भवन बनाया गया है, जिसे वैद्यनाथ भवन का नाम दिया गया है. इसमें जीवन का अंतिम सफर तय कर रहे लोगों को निशुल्क व्यवस्था दी जाएगी. वैद्यनाथ धाम के मैनेजर ने बताया कि 22 अगस्त तक मुमुक्षु भवन को संचालित कर दिया जाएगा. यह 3 तलों में संचालित होगा. ऊपर का तल पुरुषों के लिए होगा. इसमें अभी 40 बेड लगाए गए हैं. आगामी आने वाले दिनों में संख्या को और बढ़ाया जाएगा.
मैनेजर ने बताया कि यहां पर 65 वर्ष से अधिक लोगों को निःशुल्क सुविधा दी जायेगी. उनके लिए यहां पर भोजन से लेकर चिकित्सा की व्यवस्थाएं सब कुछ उपलब्ध कराई जाएंगी. यहां लोगों को सिर्फ बाबा का ध्यान करके जीवन के अंतिम सुख की अनुभूति करनी होगी. उन्होंने बताया कि एक बड़े किचन के साथ हर तल में अतिरिक्त किचन भी तैयार किया गया है. यहां पर यदि कोई बुजुर्ग खुद से बना कर कुछ खाना चाहे तो यह सुविधा भी यहां उपलब्ध है.
गौरतलब है कि सदियों से लोग काशी में मोक्ष प्राप्ति की कामना से आते हैं. काशी में पूर्व से ट्रस्टियों का दो मुमुक्षु भवन का संचालन किया जा रहा है. लेकिन अब विश्वनाथ परिसर में नया मुख्य भवन तैयार किया गया है. यहां पर निःशुल्क लोगों को सुविधाएं मिलेंगी और काशी आने वाले श्रद्धालु अपना अंतिम समय बाबा के धाम में बिता सकेंगे.
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