वाराणसीः धर्म और अध्यात्म की नगरी काशी के कोतवाल कहे जाने वाले बाबा काल भैरव के बाल स्वरूप बटुक भैरव का कमच्छा स्थित मंदिर में हरियाली और जल विहार श्रृंगार किया गया. प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी पूरे विधि विधान से बाबा का पूजा-पाठ मंगला आरती एवं महाआरती की गई. ऋतु फल से पूरे मंदिर प्रांगण को सजाया गया.
मान्यता है कि श्री काशी विश्वनाथ के दर्शन करने के बाद भैरव मंदिर का दर्शन नहीं करने पर काशी विश्वनाथ मंदिर के दर्शन का फल प्राप्त नहीं होता है. यही कारण है कि लोग काल भैरव मंदिर में दर्शन करते हैं, जिन्हें काशी का कोतवाल कहा जाता है. जिले में बटुक भैरव के रूप में भगवान विराजमान हैं और भक्तों को दर्शन देते हैं. मान्यता के अनुसार इनके इस स्वरूप का दर्शन करने से ग्रह बाधा दूर होती है. पुत्र प्राप्ति की मनोकामना पूरी होती है. लोगों का मानना है कि बटुक भैरव के दर्शन से भय से मुक्ति मिलती है और हर वक्त काशी में बिना कष्ट के निवास होता है.
दर्शन में सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान
कोरोना के चलते दर्शन करने में काफी सावधानी रखी गई. गेट पर ही लोगों को सैनिटाइज किया गया और थर्मल स्क्रीनिंग की गई. इसके बाद दर्शन की अनुमति मिली. लोगों ने दूर से ही बाबा को प्रणाम कर अपनी हाजिरी लगाई. बाबा के हरियाली श्रृंगार का इंतजार काशी सहित आसपास के जिलों के भक्तों को रहता है.
मंदिर के महंत राकेश पुरी ने बताया कि वैश्विक महामारी के दौर में बाबा का हरियाली श्रृंगार किया गया. इसमें सभी सांस्कृतिक कार्यक्रम निरस्त कर दिए गए. सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए भक्त बाबा का दर्शन कर रहे हैं. प्रत्येक वर्ष की भांति मंगला आरती और बाबा की विशेष आरती की गई. गर्भगृह में जल भरकर बाबा का श्रृंगार किया गया और वैदिक मंत्रों के साथ तांत्रिक विधि से पूजा की गई.