वाराणसी : शुक्रवार को देश भारत के पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न पंडित अटल बिहारी वाजपेयी की आज पहली पुण्यतिथि मना रहा है. 16 अगस्त 2018 को दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में देश के इस महान व्यक्तित्व ने अंतिम सांस ली थी. पूरे देश में उनकी स्मृतियां आज भी लोगों के दिलों में बसती हैं.
वाराणसी से रहा था बड़ा लगाव -
देश की सबसे प्राचीन नगरी बनारस से भी अटल बिहारी जी का काफी लगाव था. जनसंघ की स्थापना से लेकर भारतीय जनता पार्टी की स्थापना तक कई बार अटल बिहारी काशी आए . उन्होंने काशी में प्रवास किया ऐसे में काशी के साथ उनकी बहुत सी स्मृतियां जुड़ी हैं. काशी प्रवास के दौरान एक छोटे बालक का नाम अटल बिहारी वाजपेयी ने आपातकाल रखा था. वह बालक कोई और नहीं बल्कि पूर्व मंत्री स्व. डॉ हरिश्चंद्र श्रीवास्तव के पुत्र सौरभ श्रीवास्तव थे जो आज कैंट विधानसभा से विधायक हैं.
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अटल जी की स्मृति को याद कर नम हुई आंखे -
अटल जी की पुण्य तिथि पर उनको याद करते हुए भारतीय जनता पार्टी के कैंट विधायक ने ईटीवी से खास बातचीत में अटल जी से जुड़ी स्मृतियां बताई. उन्होंने बताया कि जनसंघ के समय से अटल बिहारी बाजपेयी और हमारे पिता हरीश श्रीवास्तव जी एक दूसरे के साथ काम करते थे. आपातकाल के समय उन्होंने कहा था कि एक दिन ऐसा आएगा जब कहीं अंधेरा नहीं रहेगा, जनसंघ जैसा दीप उस अंधेरे को भगा देगा. उन्होंने बताया कि आपातकाल के दौरान उनका जन्म हुआ था और कुछ महीने के बाद उनके घर में कुर्की कर दी गई थी. करीब ढाई वर्षों के बाद जब आपातकाल समाप्त हुआ और अटल जी ने मुझे अपनी गोद में लिया और हंसते हुए मेरा नाम आपातकाल रख दिया. वर्षों तक भारतीय जनता पार्टी के किसी भी कार्यक्रम में जब मेरी मुलाकात बड़े नेताओं से होती थी तो वे अटल जी के द्वारा दिए गए आपातकाल के नाम से ही मुझे बुलाते थे. उनका दिया हुआ नाम मेरे लिए आशीर्वाद था.