वाराणसी: कल यानी शुक्रवार से साल 2021 की शुरुआत होगी. नया साल शुरू होने से ज्यादा लोगों को 2020 के खत्म होने की खुशी है. कोरोना के प्रकोप के बीच इस साल के गुजरने का इंतजार हर किसी को है. नए साल को लेकर लोगों में काफी सकारात्मक आशाएं हैं. नई उम्मीदों व अरमानों के साथ जो कार्य इस साल नहीं कर पाए, उन्हें पूरा करने के लिए लोगों ने अभी से मन बना लिया है. इन सबके बीच ज्योतिषीय पक्ष क्या कहता है, कैसा रहने वाला है साल 2021 और देश, प्रकृति और लोगों के लिए क्या लेकर आ रहा है, जानिए काशी के ज्योतिषाचार्य से.
जनवरी से मार्च तक नहीं है अच्छे योग
काल गणना के अनुसार, आंग्ल पंचांग के मुताबिक जनवरी से नए वर्ष का प्रारंभ होता है, लेकिन सनातन धर्म में हिन्दू पंचांग के अनुसार नया साल अप्रैल से शुरू होता है. शास्त्रों में कहा गया है कि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि के दिन से नया साल आरंभ होता है.
इस बारे में ज्योतिषाचार्य पंडित पवन त्रिपाठी का कहना है कि जनवरी महीने से ग्रह का योग कैसा होगा और उसका पूरे वर्ष कैसा संयोग बनेगा, यह देखना बेहद जरूरी होता है. साल 2020 कोरोना के प्रकोप से गुजरा है. ये पहले से ही निर्धारित था. साल 2019 में लगे ग्रह और अन्य ग्रह की चाल ने 2020 की रूपरेखा तैयार कर दी गई थी.
ज्योतिषाचार्य के मुताबिक, ठीक उसी तरह का मिलता-जुलता संयोग साल 2021 के शुरुआती महीनों यानी जनवरी और फरवरी में दिखाई दे रहा है. जनवरी महीने में पंच ग्रही योग यानी 5 ग्रह एक राशि में और फरवरी महीने में खंडग्रही योग यानी छह ग्रह एक राशि पर होंगे.
जनवरी-फरवरी में कई ग्रह होंगे एक साथ
ज्योतिषाचार्य का कहना है कि इस साल अच्छी बात यह है कि इस दौरान ग्रहण नहीं लगा होगा. साल 2019 के दिसंबर में 6 ग्रहों के एक साथ होने के साथ ही ग्रहण भी लगा था, जो भयंकर उत्पातकारी योग लेकर आया था, लेकिन इस साल जनवरी माह में पंच ग्रही योग मकर राशि पर 5 ग्रहों का योग बन रहा है.
ज्योतिष शास्त्र में कहा गया है कि अगर एक राशि में 4 या 5 या उससे अधिक ग्रह होते हैं तो वह उत्पातकारी होते हैं, इसलिए अभी संकट टला नहीं है. मार्च महीने तक अभी स्थिति सुधरने की उम्मीद नहीं है. साल 2020 में शनि और बृहस्पति का एक साथ बार-बार आना काफी भयंकर था.
बृहस्पति और शनि एक साथ
ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, सूर्य और शनि की युति 1 महीने एक राशि पर होती है. इनकी युति का होना अच्छा नहीं माना जाता है. बृहस्पति और शनि की युति यानी इनका एक साथ रहना भी अच्छा नहीं माना जाता है. यह युति साल 2020 में 1 वर्ष तक बनी रही. जिसकी वजह से खतरनाक कोरोना वायरस का प्रकोप जारी रहा. हालांकि अब मार्च 2021 के बाद नवरात्र की शुरुआत होने के साथ ही यह उत्पात धीरे-धीरे कम होगा और नया साल बेहतर नतीजे लेकर आएगा.
मार्च के बाद सुधरेंगे हालात
मार्च के बाद जब बृहस्पति और शनि ग्रह अलग-अलग राशियों पर जाएंगे. बृहस्पति, मकर को छोड़कर कुंभ राशि पर और शनि अपनी मकर राशि पर होगा, तब जाकर संकट के बादल हटने शुरू होंगे. जब संकट के बादल हटने शुरू होंगे, उस समय वासंतिक नवरात्र हिंदू पंचांग का नव संवत्सर शुरू होगा. उस संवत्सर का नाम आनंद नाम संवत्सर होगा. अब तक इस संवत्सर का नाम प्रमादी है, जिसका मतलब है प्रमाद से भरा हुआ, लेकिन नवरात्र से आनंद नाम संवत्सर की शुरुआत होगी और देश में आनंद विश्व में आनंद होगी.
ग्रह नक्षत्रों की बात करें तो अभी 3 महीनों तक ग्रहों की चाल अच्छी नहीं है. 2021 में मार्च के बाद स्थिति सामान्य होने लगेगी, क्योंकि इस वर्ष हिंदू पंचांग के अनुसार, आनंद नाम संवत्सर के राजा मंगल और मंत्री भी मंगल होंगे, क्योंकि जब राजा और मंत्री एक ही ग्रहों होता है तो सामंजस्य बना रहता है और नतीजे बहुत ही अच्छे मिलते हैं.
देश होगा ताकतवर, सेना होगी मजबूत
ज्योतिषाचार्य पंडित पवन त्रिपाठी का कहना है कि यह योग काफी लंबे वक्त बाद मिल रहा है. मंत्रिमंडल में राजा-मंत्री का एक साथ होना, राष्ट्र को बल प्रदान करेगा. मंगल उत्साह और उमंग का कारक ग्रह है, यह भारतीय सेना का बल बढ़ाने वाला होगा. खिलाड़ियों में उर्जा का संचार होगा, समाज में पावर में रहने वाले लोगों की ताकत बढ़ेगी और वह पावरफुल होंगे.
प्राकृतिक आपदाओं की होगी अधिकता
ज्योतिषाचार्य के मुताबिक, संहिता शास्त्र के अनुसार इस वर्ष का प्राकृतिक स्वरूप अच्छा नहीं होगा. मंगल के राजा और मंत्री होने की वजह से आगजनी, भूकंप, दुर्घटना जैसी प्राकृतिक आपदाओं की अधिकता होगी, क्योंकि यह मंगल तेज ग्रह होता है और राजा व मंत्री उसी के होने की वजह से यह ग्रह प्राकृतिक आपदाओं को बढ़ाएगा.
सत्ता में बैठी पार्टियां होंगी और मजबूत
साल 2021, राजनैतिक दृष्टि से कितना महत्वपूर्ण होगा, यह भी जानना बेहद जरूरी है. इस बार जो भी राज्य के चुनाव होने वाले हैं, उसमें मंगल ग्रह की वजह से सत्ताधारी पार्टी और मजबूती से आगे बढ़ेगी, लेकिन इसका सबसे बड़ा फायदा देश के राजा को मिलेगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जन्म कुंडली वृश्चिक लग्न की है और इसका स्वामी भी मंगल है, जो नया संवत्सर है. साथ ही साल 2021 की अधिपति भी मंगल है, इसलिए मंगल का वर्चस्व इस पूरे नए साल में रहने वाला है.
यानी कि मोदी सरकार और अधिक ताकत के साथ आगे बढ़ेगी, इसलिए नए संवत्सर में मंगल की युति कहीं न कहीं से राजनीतिक दृष्टि से काफी उथल-पुथल करने वाली है. पहले से ही मजबूत हो रही भाजपा और मजबूत होगी और विपक्ष कमजोर होता दिखाई देगा. साल 2021 में राजनीतिक दृष्टि से भी विपक्ष की भूमिका और कमजोर होती दिखाई दे रही है.