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वाराणसी शहर दक्षिणी विधानसभा का हाल: 8 बार से बीजेपी का कब्जा फिर भी नर्क जैसी गलियों में रहने वालों की जिंदगी

विधानसभा चुनाव को लेकर अब सारी पार्टियां अपनी जमीन मजबूत करने में लगी हैं. पक्ष-विपक्ष एक-दूसरे पर हमला कर रहा है. वहीं योगी सरकार किए गए कार्यों को गिना रही है. आइए जानते हैं वाराणसी के शहर दक्षिणी विधानसभा क्षेत्र में इन वर्षों में क्या बदलाव हुआ...

शहर दक्षिणी विधानसभा
शहर दक्षिणी विधानसभा
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Published : Sep 24, 2021, 10:45 AM IST

वाराणसी: विधानसभा चुनावों से पहले अपने कामों के लेखा-जोखा को मजबूत करते हुए लोगों के सामने अपनी छवि को सुधारने के लिए हर नेता परेशान हैं. 5 साल के कार्यकाल के दौरान काम हुए या नहीं यह तो नेता जी को नहीं पता, लेकिन जनता अब अपने वोट का हिसाब-किताब लेने की तैयारी जरूर कर रही है और वोट देने से पहले ईटीवी भारत आपको अलग-अलग विधानसभा की ग्राउंड रिपोर्ट भी दिखा रहा है. आज हम आपको वाराणसी की शहर दक्षिणी विधानसभा की सकरी गलियों में लेकर चलते हैं. कहते हैं बनारस गलियों में बसता है, लेकिन गलियों के हालात सच में क्या सुधरे हैं और क्या इन 5 सालों में बनारस का यह पक्का माहौल शहर दक्षिणी विधानसभा में सुधार के साथ लोगों के सामने आया है या हालात अब भी पुराने वाले हैं तो आइए चलते हैं शहर दक्षिणी विधानसभा की सकरी गलियों में...

शहर दक्षिणी विधानसभा अपने आप में काफी महत्वपूर्ण विधानसभा क्षेत्र है. ऐसा इसलिए क्योंकि यह पूरा क्षेत्र बीजेपी का गढ़ माना जाता है. शहर दक्षिणी विधानसभा में 3,0,2000 से ज्यादा वोटर हैं. इन वोटर्स में अधिकतर बीजेपी के समर्थक माने जाते हैं, क्योंकि शहर दक्षिणी की विधानसभा सीट पर एक दो बार से नहीं, बल्कि 8 बार से भारतीय जनता पार्टी का ही कब्जा रहा है. श्यामदेव राय चौधरी इस सीट से लगातार 7 बार विधायक रहे हैं और आठवीं बार भी बीजेपी ने डॉ नीलकंठ तिवारी पर दांव खेला और उन्होंने भी जीत हासिल की. यानी 8 बार से यह विधानसभा सीट बीजेपी के ही कब्जे में रही है. डॉक्टर नीलकंठ तिवारी वर्तमान में यूपी सरकार में पर्यटन मंत्री भी हैं, फिर भी क्षेत्र की जनता की शिकायतें बहुत हैं.

शहर दक्षिणी विधानसभा का हाल.

गलियों में बसता है बनारस

दक्षिणी विधानसभा में ही असली बनारस माना जाता है, क्योंकि यह वह क्षेत्र है जहां पर सकरी गलियों में बाबा विश्वनाथ का मंदिर, अन्नपूर्णा मंदिर, बाबा काल भैरव मंदिर सहित अन्य कई महत्वपूर्ण मंदिर-मठ आते हैं. सकरी गलियों के साथ घाटों वाली इस विधानसभा सीट पर रहने वाले लोग असली बनारसी माने जाते हैं. यही वजह है कि समस्याओं के अंबार के साथ रहने वाले इन बनारसियों के अंदर अब धीरे-धीरे समस्याओं से लड़ते हुए बोलने की हिम्मत भी आती जा रही है. यही वजह है कि ईटीवी भारत की टीम जब अलग-अलग गलियों में लोगों की समस्याओं को जानने के लिए पहुंची तो लोगों ने जमकर अपनी समस्याएं गिनानी शुरू कर दीं. किसी ने कहा कि गलियां टूटी-फूटी हैं तो किसी ने सीवर की समस्या को सामने रखा. किसी ने बताया कि 40 सालों से पानी ही नहीं मिल रहा है तो पिए क्या. हालात ऐसे थे जैसे शहर दक्षिणी विधानसभा किसी वीआईपी विधानसभा में नहीं बल्कि समस्याओं से जूझ रही विधानसभा में आती है. टूटी-फूटी गलियों के साथ सीवर की पुरानी पाइप लाइन की वजह से हर तरफ सीवर की समस्या जनता को बेहाल कर रही है. स्ट्रीट लाइट से लेकर गंदगी तक लोगों के जीवन का हिस्सा बन चुकी है.

शहर दक्षिणी विधानसभा का हाल.
शहर दक्षिणी विधानसभा का हाल.

40 सालों से नहीं दूर हुई सीवर की दिक्कत

वाराणसी की शहर दक्षिणी विधानसभा में सबसे बड़ी समस्या सीवर की है. वहीं पीने के पानी की भी दिक्कत यहां है. पक्के महाल में पुरानी सीवर की पाइप लाइन को बदलने का काम तो अभी शुरु हुआ है, लेकिन अब तक इन पाइपलाइन को किसी बड़ी पाइपलाइन से कनेक्ट ही नहीं किया गया है और न ही इनकी शुरुआत हो सकती है. अभी अधिकतर पुराने इलाके में पुरानी सीवर की पाइप लाइन होने की वजह से गलियां सीवर के ओवरलोड की वजह से धंसती जा रही हैं. गलियों में अतिक्रमण का बोलबाला है और खस्ताहाल गलियों में नालियों का प्रबंध न होने की वजह से बारिश के दिनों में यह पूरा विधानसभा क्षेत्र नर्क में तब्दील हो जाता है.

इसे भी पढ़ें: Assembly Election 2022 : भाजपा के वर्चस्व वाली लखनऊ पूर्वी विधानसभा सीट पर क्या खुल सकेगा सपा-बसपा का खाता

हालात यह हैं कि सीवर की जटिल समस्या का निराकरण नहीं हो रहा है. वहीं, गलियों को सुधारने के लिए स्मार्ट वार्ड योजना के तहत कुछ इलाकों में काम तेजी से चल रहा है, लेकिन लंबे वक्त से गलियों को खोदकर छोड़ दिया गया है, जो क्षेत्र के लोगों के लिए बड़ी समस्या बनती जा रही है. ब्रह्मनाल, गढ़वासी टोला, गौमठ, शीतला गली, कुंज गली, घुंगरानी गली समेत शहर दक्षिणी में आने वाली तमाम सकरी गलियों के हालात बद से बदतर हैं, जो यह साबित करते हैं कि कितने सालों तक एक ही पार्टी का विधायक होने के बाद भी इस पूरे क्षेत्र की छवि अभी उस हिसाब से नहीं बदली जितनी इसको जरूरत थी.

शहर दक्षिणी विधानसभा का हाल.
शहर दक्षिणी विधानसभा का हाल.

वाराणसी: विधानसभा चुनावों से पहले अपने कामों के लेखा-जोखा को मजबूत करते हुए लोगों के सामने अपनी छवि को सुधारने के लिए हर नेता परेशान हैं. 5 साल के कार्यकाल के दौरान काम हुए या नहीं यह तो नेता जी को नहीं पता, लेकिन जनता अब अपने वोट का हिसाब-किताब लेने की तैयारी जरूर कर रही है और वोट देने से पहले ईटीवी भारत आपको अलग-अलग विधानसभा की ग्राउंड रिपोर्ट भी दिखा रहा है. आज हम आपको वाराणसी की शहर दक्षिणी विधानसभा की सकरी गलियों में लेकर चलते हैं. कहते हैं बनारस गलियों में बसता है, लेकिन गलियों के हालात सच में क्या सुधरे हैं और क्या इन 5 सालों में बनारस का यह पक्का माहौल शहर दक्षिणी विधानसभा में सुधार के साथ लोगों के सामने आया है या हालात अब भी पुराने वाले हैं तो आइए चलते हैं शहर दक्षिणी विधानसभा की सकरी गलियों में...

शहर दक्षिणी विधानसभा अपने आप में काफी महत्वपूर्ण विधानसभा क्षेत्र है. ऐसा इसलिए क्योंकि यह पूरा क्षेत्र बीजेपी का गढ़ माना जाता है. शहर दक्षिणी विधानसभा में 3,0,2000 से ज्यादा वोटर हैं. इन वोटर्स में अधिकतर बीजेपी के समर्थक माने जाते हैं, क्योंकि शहर दक्षिणी की विधानसभा सीट पर एक दो बार से नहीं, बल्कि 8 बार से भारतीय जनता पार्टी का ही कब्जा रहा है. श्यामदेव राय चौधरी इस सीट से लगातार 7 बार विधायक रहे हैं और आठवीं बार भी बीजेपी ने डॉ नीलकंठ तिवारी पर दांव खेला और उन्होंने भी जीत हासिल की. यानी 8 बार से यह विधानसभा सीट बीजेपी के ही कब्जे में रही है. डॉक्टर नीलकंठ तिवारी वर्तमान में यूपी सरकार में पर्यटन मंत्री भी हैं, फिर भी क्षेत्र की जनता की शिकायतें बहुत हैं.

शहर दक्षिणी विधानसभा का हाल.

गलियों में बसता है बनारस

दक्षिणी विधानसभा में ही असली बनारस माना जाता है, क्योंकि यह वह क्षेत्र है जहां पर सकरी गलियों में बाबा विश्वनाथ का मंदिर, अन्नपूर्णा मंदिर, बाबा काल भैरव मंदिर सहित अन्य कई महत्वपूर्ण मंदिर-मठ आते हैं. सकरी गलियों के साथ घाटों वाली इस विधानसभा सीट पर रहने वाले लोग असली बनारसी माने जाते हैं. यही वजह है कि समस्याओं के अंबार के साथ रहने वाले इन बनारसियों के अंदर अब धीरे-धीरे समस्याओं से लड़ते हुए बोलने की हिम्मत भी आती जा रही है. यही वजह है कि ईटीवी भारत की टीम जब अलग-अलग गलियों में लोगों की समस्याओं को जानने के लिए पहुंची तो लोगों ने जमकर अपनी समस्याएं गिनानी शुरू कर दीं. किसी ने कहा कि गलियां टूटी-फूटी हैं तो किसी ने सीवर की समस्या को सामने रखा. किसी ने बताया कि 40 सालों से पानी ही नहीं मिल रहा है तो पिए क्या. हालात ऐसे थे जैसे शहर दक्षिणी विधानसभा किसी वीआईपी विधानसभा में नहीं बल्कि समस्याओं से जूझ रही विधानसभा में आती है. टूटी-फूटी गलियों के साथ सीवर की पुरानी पाइप लाइन की वजह से हर तरफ सीवर की समस्या जनता को बेहाल कर रही है. स्ट्रीट लाइट से लेकर गंदगी तक लोगों के जीवन का हिस्सा बन चुकी है.

शहर दक्षिणी विधानसभा का हाल.
शहर दक्षिणी विधानसभा का हाल.

40 सालों से नहीं दूर हुई सीवर की दिक्कत

वाराणसी की शहर दक्षिणी विधानसभा में सबसे बड़ी समस्या सीवर की है. वहीं पीने के पानी की भी दिक्कत यहां है. पक्के महाल में पुरानी सीवर की पाइप लाइन को बदलने का काम तो अभी शुरु हुआ है, लेकिन अब तक इन पाइपलाइन को किसी बड़ी पाइपलाइन से कनेक्ट ही नहीं किया गया है और न ही इनकी शुरुआत हो सकती है. अभी अधिकतर पुराने इलाके में पुरानी सीवर की पाइप लाइन होने की वजह से गलियां सीवर के ओवरलोड की वजह से धंसती जा रही हैं. गलियों में अतिक्रमण का बोलबाला है और खस्ताहाल गलियों में नालियों का प्रबंध न होने की वजह से बारिश के दिनों में यह पूरा विधानसभा क्षेत्र नर्क में तब्दील हो जाता है.

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हालात यह हैं कि सीवर की जटिल समस्या का निराकरण नहीं हो रहा है. वहीं, गलियों को सुधारने के लिए स्मार्ट वार्ड योजना के तहत कुछ इलाकों में काम तेजी से चल रहा है, लेकिन लंबे वक्त से गलियों को खोदकर छोड़ दिया गया है, जो क्षेत्र के लोगों के लिए बड़ी समस्या बनती जा रही है. ब्रह्मनाल, गढ़वासी टोला, गौमठ, शीतला गली, कुंज गली, घुंगरानी गली समेत शहर दक्षिणी में आने वाली तमाम सकरी गलियों के हालात बद से बदतर हैं, जो यह साबित करते हैं कि कितने सालों तक एक ही पार्टी का विधायक होने के बाद भी इस पूरे क्षेत्र की छवि अभी उस हिसाब से नहीं बदली जितनी इसको जरूरत थी.

शहर दक्षिणी विधानसभा का हाल.
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