वाराणसी: मोक्षदायिनी काशी में मौजूद अपने आप में अनोखे और बेहद खास संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में मौजूद पुरातत्व संग्रहालय के दिन अब बदलने वाले हैं. जर्जर हो चुके इस संग्रहालय में मौजूद सैकड़ों हजारों साल पुरानी चीजों को अब संरक्षित और सुरक्षित रखने के लिए नए सिरे से शुरूआत की जा रही है. जिसके तहत इस संग्रहालय को संपूर्णानंद संस्कृत यूनिवर्सिटी की ही एक अंग्रेजों के शासनकाल में बनाई गई. बिल्डिंग में शिफ्ट किए जाने की तैयारी चल रही है. इस बिल्डिंग का नवीनीकरण करवाकर नए रूप में तैयार किया जा रहा है.
पुरातत्व संग्रहालय में होगा परंपरा और आधुनिकता का समन्वय
- 1791 में बना यह विश्वविद्यालय मूलतः शासकीय संस्कृत महाविद्यालय था.
- 22 मार्च 1958 में उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. संपूर्णानंद के विशेष प्रयास से इसे विश्वविद्यालय का दर्जा प्रदान किया गया.
- उस समय इसका नाम 'वाराणसेय संस्कृत विश्वविद्यालय' था जिसे सन् 1974 में बदलकर 'सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय' कर दिया गया.
- संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के साथ १२०० से अधिक संस्कृत विद्यालय एवं महाविद्यालय संबद्ध हैं.
- इस विश्वविद्यालय में संस्कृत की शिक्षा-दीक्षा देने के साथ ही पुरातन समय की चीजों को संरक्षित और सुरक्षित रखने के लिए एक पुरातत्व संग्रहालय भी बनाया गया था.
- विश्वविद्यालय में 1950 के बाद बनाए गए इस संग्रहालय की स्थिति काफी खराब हो चुकी है.
- लेकिन अब इसको नई बिल्डिंग में शिफ्ट कराये जाने की प्लानिंग तैयार कर विश्वविद्यालय प्रशासन को दी जा चुकी है.
डॉ. विमल त्रिपाठी ने बताया कि 1948 में संपूर्णानंद संस्कृत यूनिवर्सिटी के जिस पुरातन प्रशासनिक भवन की नींव रखी गई थी और वह 1952 में बनकर तैयार हुआ था. उस भवन के नवीनीकरण का काम चल रहा है. अंग्रेजों ने इस भवन को बनाने के लिए पूर्वी भारत में सबसे ज्यादा पैसे खर्च किए थे. अपने आप में यह भवन बेहद खास है. इस भवन के तैयार हो जाने के बाद पुरातत्व संग्रहालय को इसी में शिफ्ट किया जाएगा.
वर्ष 1958 में हुई थी स्थापना
- विश्वविद्यालय में संग्रहालय की स्थापना तत्कालीन कुलपति आदित्य नाथ झा के कार्यकाल में हुई थी.
- इसका उद्घाटन छह अक्टूबर 1958 को तत्कालीन राज्यपाल वीवी गिरी ने किया था.
- इस संग्रहालय में प्रागैतिहसिक काल से लेकर आधुनिक काल तक के सभी कालखंडों की कलाकृतियां संग्रहित हैं.
हिंदू वैदिक दर्शन की भी मिलेगी जानकारी
- डॉ. विमल त्रिपाठी ने बताया कि इस पुरातन भवन में संग्रहालय के शिफ्ट होने के बाद इसे बेहद ही खास तरीके से तैयार कराया जाएगा.
- इस संग्रहालय में लोगों को 16 संस्कारों के बारे में बताए जाने के लिए संस्कार वीथिका की मदद से चीजों को बताया जाएगा.
- इसमें वैदिक दर्शन के साथ-साथ ज्योतिष दर्शन की जानकारी देने के लिए अलग-अलग वीथिकाएं भी बनाई जाएंगी.
- लाइट एंड साउंड शो के जरिए चीजों को उसकी महत्ता के अनुसार बताए जाने के लिए इस संग्रहालय में हाईटेक तकनीकों का भी प्रयोग किया जाएगा.
- इसके अलावा नक्षत्र वाटिका और कृषि वाटिका भी बनाए जाने की तैयारी है.
'पुरातात्विक संग्रहालय को ऐतिहासिक मुख्य भवन में स्थानांतरित करने के लिए प्रस्ताव बनाया गया है ताकि आधुनिक के साथ परंपरागत संग्रहालय स्थापित किया जा सके. इसके लिए इंटेक भी सहयोग करने के लिए तैयार है.
डॉ विमल त्रिपाठी, अध्य्क्ष, पुरातत्व संग्रहालय