वाराणसी : ज्ञानवापी परिसर में चल रहे एएसआई सर्वे की कार्रवाई चार सप्ताह और बढ़ाने की एप्लीकेशन एक बार फिर एएसआई स्टैंडिंग काउंसिल की तरफ से वाराणसी जिला जज की कोर्ट में दाखिल की गई. इस एप्लीकेशन पर कोर्ट कल सुनवाई करेगी. इसके अतिरिक्त व्यास जी के तहखाने को डीएम वाराणसी के सुपुर्द करने को लेकर दी गई याचिका पर आज सुनवाई नहीं हो सकी, जिस पर बृहस्पतिवार को न्यायालय फैसला दे सकता है.
कोर्ट ने 6 अक्टूबर तक सर्वे रिपोर्ट दाखिल करने को कहा : दरअसल 21 जुलाई को वाराणसी जिला जज ने ज्ञानवापी परिसर का सर्वे कराए जाने का आदेश दिया था. जिस पर 24 जुलाई को सर्वे कुछ देर होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी थी और हाईकोर्ट से इस पर सुनवाई करने के लिए कहा था. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए 4 अगस्त को सर्वे पुनः शुरू करने का आदेश दिया था. जिसके बाद से सर्वे लगातार जारी है. इस बीच पिछले दिनों कोर्ट में एएसआई ने 8 सप्ताह का समय मांगते हुए सर्वे आगे बढ़ाने की अपील की थी. जिस पर कोर्ट ने चार सप्ताह का समय देते हुए 6 अक्टूबर तक सर्वे रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल करने के लिए कहा है. इस मामले में आज एएसआई ने कोर्ट में एक एप्लीकेशन देते हुए यह अपील की है कि सर्वे की कार्रवाई अभी कई हिस्सों में बाकी है. इसलिए सर्वे रिपोर्ट दाखिल करने की तिथि को आगे बढ़ते हुए टीम को चार सप्ताह का अतिरिक्त समय दिया जाए. जिस पर कोर्ट ने बुधवार को कोई सुनवाई नहीं की है, बल्कि प्रतिवादी और वादी पक्ष को इस पर आपत्ति दाखिल करने के लिए एक दिन का समय दिया. कल बृहस्पतिवार को कोर्ट इस मामले पर सुनवाई करेगा.
व्यासजी के तहखाने मामले में आज आ सकता है फैसला : वहीं ज्ञानवापी परिसर स्थित व्यासजी का तहखाना डीएम की निगरानी में सौंपने संबंधी दाखिल वाद के संबंध में ट्रांसफर करने के लिए आज जिला जज को अपना फैसला सुनाना था लेकिन सुनवाई नहीं हो सकी. इस पर बृहस्पतिवार को फैसला आ सकता है. शैलेन्द्र कुमार व्यास ने 25 सितंबर को वाद दाखिल किया था. कहा गया कि व्यासजी का तहखाना वर्षों से व्यासजी के परिवार के कब्जे में रहा है. वर्ष 1993 के पूर्व पूजा-पाठ, राग-भोग होता रहा. इसके बाद इस तहखाने को प्रदेश सरकार के आदेश से घेर दिया गया. उन लोगों को पूजा-पाठ से वंचित कर दिया गया. वर्तमान में नंदीजी के सामने स्थित इस तहखाने का दरवाजा खुला है. उस जगह वादी और उनके परिवार को जाने से रोका जाता रहा है. कहा कि अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की ओर से तहखाने पर कब्जा किया जा रहा है, जिसके संबंध में वादी की ओर से एक वाद लोअर कोर्ट में लंबित है. जिसे जिला जज अपने स्वयं के कोर्ट में ट्रांसफर कर सुनवाई करें. जिस पर प्रतिवादी मुस्लिम पक्ष के अधिवक्ता मुमताज अहमद ने विरोध किया था. उन्होंने कहा था कि वादी की ओर से ट्रांसफर अर्जी सुनवाई योग्य नहीं है. जो मुकदमा लोअर कोर्ट में दाखिल किया गया है, उसी कोर्ट से सबंधित ट्रांसफर की मांग की जा सकती है, न कि अपीलीय न्यायालय की कोर्ट में सुनवाई के लिए मांग की जा सकती है. ऐसे उन्होंने वादी की ट्रांसफर अर्जी खारिज करने की गुहार लगाई.