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बिना कट ऑफ मार्क्स जारी किए सभी को पास करने पर जवाब तलब...पढ़िए पूरी खबर - कोर्ट के ताजे आदेश

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने महिला स्वास्थ्य कर्मियों की नियुक्ति प्रारंभिक परीक्षा में बिना कट ऑफ मार्क्स जारी किए शामिल सभी अभ्यर्थियों को सफल घोषित करने के खिलाफ याचिका पर राज्य सरकार व आयोग से जवाब मांगा है.

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Published : Jan 6, 2022, 10:28 PM IST

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने महिला स्वास्थ्य कर्मियों की नियुक्ति प्रारंभिक परीक्षा में बिना कट ऑफ मार्क्स जारी किए शामिल सभी अभ्यर्थियों को सफल घोषित करने के खिलाफ याचिका पर राज्य सरकार व आयोग से जवाब मांगा है.

एकता यादव व नौ अन्य की याचिका पर न्यायमूर्ति अजीत कुमार ने यह आदेश दिया है. याचीगण का कहना है कि वह लोग प्रारंभिक योग्यता परीक्षा 2021 में शामिल हुए हैं.

ये भी पढ़ेंः IIT Kanpur: फरवरी में पीक पर होगी कोरोना की तीसरी लहर, अप्रैल में तेजी से घटेंगे केस...पढ़िए पूरी खबर

परीक्षा न्यूनतम अर्हता अंक कट ऑफ मार्क्स के जरिए अभ्यर्थियों को शार्ट लिस्ट करने के लिए आयोजित की गई है. ऐसा न करके परीक्षा में शामिल सभी लोगों को मुख्य परीक्षा में शामिल होने की अनुमति दे दी गई.

यह पूरी तरह से मनमाना और भेदभाव पूर्ण है. सिर्फ प्रारंभिक परीक्षा में शामिल होना ही मुख्य परीक्षा के अर्ह होने का आधार नहीं हो सकता है. ऐसे में प्रारंभिक परीक्षा का कोई औचित्य नहीं रह जाएगा. याचिका की अगली सुनवाई एक सप्ताह के बाद होगी.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने महिला स्वास्थ्य कर्मियों की नियुक्ति प्रारंभिक परीक्षा में बिना कट ऑफ मार्क्स जारी किए शामिल सभी अभ्यर्थियों को सफल घोषित करने के खिलाफ याचिका पर राज्य सरकार व आयोग से जवाब मांगा है.

एकता यादव व नौ अन्य की याचिका पर न्यायमूर्ति अजीत कुमार ने यह आदेश दिया है. याचीगण का कहना है कि वह लोग प्रारंभिक योग्यता परीक्षा 2021 में शामिल हुए हैं.

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परीक्षा न्यूनतम अर्हता अंक कट ऑफ मार्क्स के जरिए अभ्यर्थियों को शार्ट लिस्ट करने के लिए आयोजित की गई है. ऐसा न करके परीक्षा में शामिल सभी लोगों को मुख्य परीक्षा में शामिल होने की अनुमति दे दी गई.

यह पूरी तरह से मनमाना और भेदभाव पूर्ण है. सिर्फ प्रारंभिक परीक्षा में शामिल होना ही मुख्य परीक्षा के अर्ह होने का आधार नहीं हो सकता है. ऐसे में प्रारंभिक परीक्षा का कोई औचित्य नहीं रह जाएगा. याचिका की अगली सुनवाई एक सप्ताह के बाद होगी.

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