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इस बार दीपावली के अगले दिन नहीं मनाया जाएगा अन्नकूट और गोवर्धन पूजा का पर्व, जानिए कब मनेगा - गोवर्धन पूजन का मुहूर्त

इस बार दीपावली के अगले दिन अन्नकूट और गोवर्धन पूजा का पर्व (Annakoot and Govardhan Puja festival) नहीं मनाया जाएगा, बल्कि एक दिन बाद यानी 26 अक्टूबर को मनाया जाएगा. आइए जानते है कि आखिर क्यों दोनों पर्वों को एक दिन बाद मनाया जाएगा...

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Published : Oct 20, 2022, 10:50 PM IST

Updated : Oct 20, 2022, 11:05 PM IST

वाराणसी: आमतौर पर दीपावली के अगले दिन अन्नकूट और गोवर्धन पूजा का पर्व (Annakoot and Govardhan Puja festival) मनाए जाने की परंपरा है लेकिन इस बार यह परंपरा टूटेगी. इसकी बड़ी वजह है 25 अक्टूबर यानी दीपावली के अगले दिन पड़ रहा सूर्य ग्रहण. सूर्य ग्रहण की वजह से सूतक काल के कारण भगवान को अन्नकूट का भोग नहीं लगेगा और न ही इस दिन गोवर्धन पूजा का पर्व मनाया जाएगा. दरअसल, शाम लगभग 4:00 बजे ग्रहण लगना है और सूतक काल 12 घंटे पूर्व ही शुरू हो जाएगा. इसलिए यह दोनों त्यौहार एक दिन बाद यानी 26 अक्टूबर को मनाए जाएंगे.

इस बारे में ज्योतिषाचार्य दैवज्ञ कृष्ण शास्त्रीय ने बताया कि तिथि के हिसाब से दीपावली के अगले दिन गोवर्धन पूजा और अन्नकूट मनाते हैं. इस दिन भगवान को विभिन्न व्यंजनों का भोग लगाते हैं. इस साल यह परंपरा टूटने वाली है. दीपावली के अगले दिन गोवर्धन पूजा नहीं होगी क्योंकि खंडग्रास सूर्यग्रहण है. कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी युक्त प्रदोष व्यापिनी अमावस्या पर अन्नकूट व गोवर्धन पूजा 26 अक्टूबर को मनाएंगे.

25 अक्टूबर : सूर्यग्रहण होने से कोई त्योहार नहीं मनाया जाएगा.

26 अक्टूबर : गोवर्धन पूजा

26 अक्टूबर को दोपहर 3.35 मिनट बाद द्वितीया तिथि लगेगी. इस वजह से गोवर्धन पूजा, अन्नकूट और भाई दूज मनाए जाएंगे. इससे पूर्व दिवाली पर 24 अक्टूबर 1995 को सूर्यग्रहण था. असर कुछ हिस्सों में पड़ा था. जिसके कारण गोवर्धन पूजा एवं अन्नकूट बाधित हुआ था. यह 1 दिन बाद मनाया गया था.

अन्नकूट और गोवर्धन पूजा का पर्व

आखिर क्यों मनाया जाता है अन्नकूट और गोवर्धन पूजा

आचार्य दैवज्ञ कृष्ण शास्त्री ने बताया कि श्रीमद् भागवत के अनुसार जब कृष्ण ने ब्रजवासियों को मूसलाधार वर्षा से बचाने के लिए 7 दिन तक गोवर्धन पर्वत को अपनी सबसे छोटी उंगली पर उठाकर इन्द्र का मान-मर्दन किया और उनके सुदर्शन चक्र के प्रभाव से ब्रजवासियों पर जल की एक बूंद भी नहीं पड़ी, सभी गोप-गोपिकाएं उसकी छाया में सुखपूर्वक रहे, तब ब्रह्माजी ने इन्द्र को बताया कि पृथ्वी पर श्रीकृष्ण ने जन्म ले लिया है. उनसे बैर लेना उचित नहीं है. तब श्रीकृष्ण अवतार की बात जानकर इन्द्रदेव अपने इस कार्य पर बहुत लज्जित हुए और भगवान श्रीकृष्ण से क्षमा-याचना की. भगवान श्रीकृष्ण ने 7वें दिन गोवर्धन पर्वत को नीचे रखा और हर वर्ष गोवर्धन पूजा करके अन्नकूट उत्सव मनाने की आज्ञा दी. तभी से यह उत्सव 'अन्नकूट' के नाम से मनाया जाने लगा.

कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा के दिन भगवान के निमित्त भोग और नैवेद्य बनाया जाता है, जिन्हें 'छप्पन भोग' कहते हैं. अन्नकूट पर्व मनाने से मनुष्य को लंबी आयु और आरोग्य की प्राप्ति होती है. साथ ही दारिद्र्य का नाश होकर मनुष्य जीवनपर्यंत सुखी और समृद्ध रहता है. ऐसा माना जाता है कि यदि इस दिन कोई मनुष्य दुखी रहता है तो वह वर्षभर दुखी ही रहेगा. इसलिए हर मनुष्य को इस दिन प्रसन्न रहकर अन्नकूट उत्सव को भक्तिपूर्वक और आनंदपूर्वक मनाना चाहिए.

गोवर्धन पूजन और अन्नकूट मुहूर्त

गोवर्धन पूजा प्रातः काल मुहूर्त – 06:36 से 08:02 सुबह

तुला लग्न है इसमें तुला लग्न का स्वामी शुक्र है और तुला लग्न में सूर्य हैं इसलिए तुला लग्न का प्रातः काल का है सर्वोत्तम मुहूर्त है.

अवधि – 01 घण्टे 28 मिनट

गोवर्धन पूजा सायंकाल मुहूर्त – 03:43 से 05:11

अवधि – 01 घण्टे 28 मिनट शाम.

यह मीन लग्न में मनाया जाएगा क्योंकि मीन का स्वामी गुरु है और गुरु स्वराशि मीन राशि पर ही स्थित हैं.

यह भी पढ़ें: वाराणसी में होने वाली हर गंगा आरती का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य, सरकारी आदेश के बाद उठने लगे विरोध के स्वर

वाराणसी: आमतौर पर दीपावली के अगले दिन अन्नकूट और गोवर्धन पूजा का पर्व (Annakoot and Govardhan Puja festival) मनाए जाने की परंपरा है लेकिन इस बार यह परंपरा टूटेगी. इसकी बड़ी वजह है 25 अक्टूबर यानी दीपावली के अगले दिन पड़ रहा सूर्य ग्रहण. सूर्य ग्रहण की वजह से सूतक काल के कारण भगवान को अन्नकूट का भोग नहीं लगेगा और न ही इस दिन गोवर्धन पूजा का पर्व मनाया जाएगा. दरअसल, शाम लगभग 4:00 बजे ग्रहण लगना है और सूतक काल 12 घंटे पूर्व ही शुरू हो जाएगा. इसलिए यह दोनों त्यौहार एक दिन बाद यानी 26 अक्टूबर को मनाए जाएंगे.

इस बारे में ज्योतिषाचार्य दैवज्ञ कृष्ण शास्त्रीय ने बताया कि तिथि के हिसाब से दीपावली के अगले दिन गोवर्धन पूजा और अन्नकूट मनाते हैं. इस दिन भगवान को विभिन्न व्यंजनों का भोग लगाते हैं. इस साल यह परंपरा टूटने वाली है. दीपावली के अगले दिन गोवर्धन पूजा नहीं होगी क्योंकि खंडग्रास सूर्यग्रहण है. कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी युक्त प्रदोष व्यापिनी अमावस्या पर अन्नकूट व गोवर्धन पूजा 26 अक्टूबर को मनाएंगे.

25 अक्टूबर : सूर्यग्रहण होने से कोई त्योहार नहीं मनाया जाएगा.

26 अक्टूबर : गोवर्धन पूजा

26 अक्टूबर को दोपहर 3.35 मिनट बाद द्वितीया तिथि लगेगी. इस वजह से गोवर्धन पूजा, अन्नकूट और भाई दूज मनाए जाएंगे. इससे पूर्व दिवाली पर 24 अक्टूबर 1995 को सूर्यग्रहण था. असर कुछ हिस्सों में पड़ा था. जिसके कारण गोवर्धन पूजा एवं अन्नकूट बाधित हुआ था. यह 1 दिन बाद मनाया गया था.

अन्नकूट और गोवर्धन पूजा का पर्व

आखिर क्यों मनाया जाता है अन्नकूट और गोवर्धन पूजा

आचार्य दैवज्ञ कृष्ण शास्त्री ने बताया कि श्रीमद् भागवत के अनुसार जब कृष्ण ने ब्रजवासियों को मूसलाधार वर्षा से बचाने के लिए 7 दिन तक गोवर्धन पर्वत को अपनी सबसे छोटी उंगली पर उठाकर इन्द्र का मान-मर्दन किया और उनके सुदर्शन चक्र के प्रभाव से ब्रजवासियों पर जल की एक बूंद भी नहीं पड़ी, सभी गोप-गोपिकाएं उसकी छाया में सुखपूर्वक रहे, तब ब्रह्माजी ने इन्द्र को बताया कि पृथ्वी पर श्रीकृष्ण ने जन्म ले लिया है. उनसे बैर लेना उचित नहीं है. तब श्रीकृष्ण अवतार की बात जानकर इन्द्रदेव अपने इस कार्य पर बहुत लज्जित हुए और भगवान श्रीकृष्ण से क्षमा-याचना की. भगवान श्रीकृष्ण ने 7वें दिन गोवर्धन पर्वत को नीचे रखा और हर वर्ष गोवर्धन पूजा करके अन्नकूट उत्सव मनाने की आज्ञा दी. तभी से यह उत्सव 'अन्नकूट' के नाम से मनाया जाने लगा.

कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा के दिन भगवान के निमित्त भोग और नैवेद्य बनाया जाता है, जिन्हें 'छप्पन भोग' कहते हैं. अन्नकूट पर्व मनाने से मनुष्य को लंबी आयु और आरोग्य की प्राप्ति होती है. साथ ही दारिद्र्य का नाश होकर मनुष्य जीवनपर्यंत सुखी और समृद्ध रहता है. ऐसा माना जाता है कि यदि इस दिन कोई मनुष्य दुखी रहता है तो वह वर्षभर दुखी ही रहेगा. इसलिए हर मनुष्य को इस दिन प्रसन्न रहकर अन्नकूट उत्सव को भक्तिपूर्वक और आनंदपूर्वक मनाना चाहिए.

गोवर्धन पूजन और अन्नकूट मुहूर्त

गोवर्धन पूजा प्रातः काल मुहूर्त – 06:36 से 08:02 सुबह

तुला लग्न है इसमें तुला लग्न का स्वामी शुक्र है और तुला लग्न में सूर्य हैं इसलिए तुला लग्न का प्रातः काल का है सर्वोत्तम मुहूर्त है.

अवधि – 01 घण्टे 28 मिनट

गोवर्धन पूजा सायंकाल मुहूर्त – 03:43 से 05:11

अवधि – 01 घण्टे 28 मिनट शाम.

यह मीन लग्न में मनाया जाएगा क्योंकि मीन का स्वामी गुरु है और गुरु स्वराशि मीन राशि पर ही स्थित हैं.

यह भी पढ़ें: वाराणसी में होने वाली हर गंगा आरती का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य, सरकारी आदेश के बाद उठने लगे विरोध के स्वर

Last Updated : Oct 20, 2022, 11:05 PM IST
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