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वाराणसी में पीएम मोदी को जिताने के लिए अरुण जेटली ने बनाई थी कुछ ऐसी रणनीति - बनारस

बीजेपी के संकटमोचक कहे जाने वाले पूर्व वित्त और रक्षा मंत्री अरुण जेटली का लंबी बीमारी के बाद शनिवार को निधन हो गया. साल 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को वाराणसी से चुनाव जिताने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी, जिसे साझा किया ईटीवी भारत के साथ राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रविंद्र जायसवाल ने...

ईटीवी भारत के साथ बातचीत करते राज्यमंत्री रविंद्र जायसवाल.
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Published : Aug 24, 2019, 5:03 PM IST

वाराणसी: भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व वित्त और रक्षा मंत्री अरुण जेटली का शनिवार को निधन हो गया. उनकी यादें अब सभी के जेहन में है. हर कोई अरुण जेटली के साथ बिताए पल को याद कर उन्हें अपने तरीके से श्रद्धांजलि दे रहा है.

ईटीवी भारत के साथ बातचीत करते राज्यमंत्री रविंद्र जायसवाल.

वाराणसी में अरुण जेटली की मौजूदगी काफी लंबे वक्त तक रही. साल 2014 में जब पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी से लोकसभा चुनाव लड़ा तो उस वक्त पंजाब में अपना चुनाव प्रचार खत्म कर अरुण जेटली ने लगातार महीनों तक बनारस में ही कैंपेन किया. उस वक्त जिला प्रशासन समाजवादी पार्टी की प्रदेश सरकार के इशारे पर किस तरह से काम कर रहा था और अरुण जेटली किस तरह जिला प्रशासन के इन कार्रवाई पर उन्हें जवाब दे रहे थे. इन सभी यादों को साझा किया प्रदेश सरकार में राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार रविंद्र जायसवाल ने.

ईटीवी भारत से साझा की यादें
राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रविंद्र जायसवाल 2014 और उससे पहले लगातार अरुण जेटली के साथ सक्रिय राजनीति में काफी आत्मीयता से लगे रहे. उन्होंने उनके न रहने पर उनके स्मृतियों को ईटीवी भारत के साथ साझा किया. रविंद्र जायसवाल ने बताया कि 2014 के चुनाव में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लंका पर एक रैली को संबोधित करना था, उस वक्त समाजवादी पार्टी की अखिलेश सरकार की वजह से जिला प्रशासन ने प्रधानमंत्री मोदी को प्रत्याशी होने के बाद भी रैली की अनुमति नहीं दी.

ये भी पढ़ें: अरुण जेटली नहीं रहे, लंबे समय से बीमार थे

... जब पीएम मोदी की रैली में जुटी लाखों की भीड़

अरुण जेटली जो यहां कैंपेन कर पूरा दारोमदार संभाल रहे थे, उन्होंने उस वक्त रणनीति तैयार की और बिना रैली के ही प्रधानमंत्री मोदी के आगमन पर इतना बड़ा जनसमूह इकट्ठा करवा दिया कि लोग देखते रह गए. अनुमति न मिलने के बाद भी लोगों तक यह संदेश पहुंचाया गया कि जिला प्रशासन किस तरह बीजेपी के खिलाफ कार्रवाई कर रहा है.

अरुण जेटली की रणनीति का नतीजा था कि लोग घरों से निकले और प्रधानमंत्री मोदी के रोड शो की शक्ल में लाखों की भीड़ के साथ महज 5 किलोमीटर का सफर 6 घंटे में पूरा कर सकें. इसके अलावा उस वक्त अधिवक्ताओं, व्यापारियों व अन्य समाज के लोगों के साथ किस तरह से वोट बैंक पर अपनी पकड़ बनाई जाए लगातार अरुण जेटली बनारस में रहकर इस पर काम करते रहे.

ये भी पढ़ें: वित्त मंत्री के रूप में अरुण जेटली के कार्यकाल की हाइलाइट्स

...जब जेटली के आगे झुका जिला प्रशासन
रविंद्र जायसवाल ने एक और याद ताजा करते हुए अरुण जेटली की उस बात का भी जिक्र किया जब चुनाव प्रचार खत्म होने के बाद 2014 में जिला प्रशासन ने सपा सरकार के निर्देश पर बीजेपी के जिला कार्यालय और विधायक रविंद्र जायसवाल के कार्यालय पर छापेमारी कर कुछ बिना सिंबल की टीशर्ट बरामद कर शराब मिलने का हल्ला मचाया.

काफी हो हल्ले के बीच अरुण जेटली ने बड़े ही मजबूत तरीके से पूरे मामले को चुनाव आयोग के सामने रखा और दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर वाराणसी में रविंद्र जायसवाल को मीडिया के सामने आने के लिए कहा. पूरी रणनीति बनाकर अरुण जेटली ने वाराणसी प्रशासन को आइना दिखाया और पूरा प्रशासन बैकफुट पर आ गया. इसके साथ खुद ही सारा बरामद किया माल वापस किया.

भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए मुख्य संकटमोचक थे जेटली

वाराणसी को दी बड़ी सौगात
इतना ही नहीं, अरुण जेटली ने 2015 में एक बड़ी सौगात वाराणसी की जनता को दी. सड़कों के रास्ते जो शव मणिकर्णिका घाट तक पहुंचाए जाते थे, उनकी जगह जल शव वाहिनी का उद्घाटन कर उन्होंने एक नई शुरुआत की. यानी कुल मिलाकर अरुण जेटली की यादें वाराणसी से बखूबी जुड़ी हुई हैं.

वाराणसी: भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व वित्त और रक्षा मंत्री अरुण जेटली का शनिवार को निधन हो गया. उनकी यादें अब सभी के जेहन में है. हर कोई अरुण जेटली के साथ बिताए पल को याद कर उन्हें अपने तरीके से श्रद्धांजलि दे रहा है.

ईटीवी भारत के साथ बातचीत करते राज्यमंत्री रविंद्र जायसवाल.

वाराणसी में अरुण जेटली की मौजूदगी काफी लंबे वक्त तक रही. साल 2014 में जब पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी से लोकसभा चुनाव लड़ा तो उस वक्त पंजाब में अपना चुनाव प्रचार खत्म कर अरुण जेटली ने लगातार महीनों तक बनारस में ही कैंपेन किया. उस वक्त जिला प्रशासन समाजवादी पार्टी की प्रदेश सरकार के इशारे पर किस तरह से काम कर रहा था और अरुण जेटली किस तरह जिला प्रशासन के इन कार्रवाई पर उन्हें जवाब दे रहे थे. इन सभी यादों को साझा किया प्रदेश सरकार में राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार रविंद्र जायसवाल ने.

ईटीवी भारत से साझा की यादें
राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रविंद्र जायसवाल 2014 और उससे पहले लगातार अरुण जेटली के साथ सक्रिय राजनीति में काफी आत्मीयता से लगे रहे. उन्होंने उनके न रहने पर उनके स्मृतियों को ईटीवी भारत के साथ साझा किया. रविंद्र जायसवाल ने बताया कि 2014 के चुनाव में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लंका पर एक रैली को संबोधित करना था, उस वक्त समाजवादी पार्टी की अखिलेश सरकार की वजह से जिला प्रशासन ने प्रधानमंत्री मोदी को प्रत्याशी होने के बाद भी रैली की अनुमति नहीं दी.

ये भी पढ़ें: अरुण जेटली नहीं रहे, लंबे समय से बीमार थे

... जब पीएम मोदी की रैली में जुटी लाखों की भीड़

अरुण जेटली जो यहां कैंपेन कर पूरा दारोमदार संभाल रहे थे, उन्होंने उस वक्त रणनीति तैयार की और बिना रैली के ही प्रधानमंत्री मोदी के आगमन पर इतना बड़ा जनसमूह इकट्ठा करवा दिया कि लोग देखते रह गए. अनुमति न मिलने के बाद भी लोगों तक यह संदेश पहुंचाया गया कि जिला प्रशासन किस तरह बीजेपी के खिलाफ कार्रवाई कर रहा है.

अरुण जेटली की रणनीति का नतीजा था कि लोग घरों से निकले और प्रधानमंत्री मोदी के रोड शो की शक्ल में लाखों की भीड़ के साथ महज 5 किलोमीटर का सफर 6 घंटे में पूरा कर सकें. इसके अलावा उस वक्त अधिवक्ताओं, व्यापारियों व अन्य समाज के लोगों के साथ किस तरह से वोट बैंक पर अपनी पकड़ बनाई जाए लगातार अरुण जेटली बनारस में रहकर इस पर काम करते रहे.

ये भी पढ़ें: वित्त मंत्री के रूप में अरुण जेटली के कार्यकाल की हाइलाइट्स

...जब जेटली के आगे झुका जिला प्रशासन
रविंद्र जायसवाल ने एक और याद ताजा करते हुए अरुण जेटली की उस बात का भी जिक्र किया जब चुनाव प्रचार खत्म होने के बाद 2014 में जिला प्रशासन ने सपा सरकार के निर्देश पर बीजेपी के जिला कार्यालय और विधायक रविंद्र जायसवाल के कार्यालय पर छापेमारी कर कुछ बिना सिंबल की टीशर्ट बरामद कर शराब मिलने का हल्ला मचाया.

काफी हो हल्ले के बीच अरुण जेटली ने बड़े ही मजबूत तरीके से पूरे मामले को चुनाव आयोग के सामने रखा और दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर वाराणसी में रविंद्र जायसवाल को मीडिया के सामने आने के लिए कहा. पूरी रणनीति बनाकर अरुण जेटली ने वाराणसी प्रशासन को आइना दिखाया और पूरा प्रशासन बैकफुट पर आ गया. इसके साथ खुद ही सारा बरामद किया माल वापस किया.

भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए मुख्य संकटमोचक थे जेटली

वाराणसी को दी बड़ी सौगात
इतना ही नहीं, अरुण जेटली ने 2015 में एक बड़ी सौगात वाराणसी की जनता को दी. सड़कों के रास्ते जो शव मणिकर्णिका घाट तक पहुंचाए जाते थे, उनकी जगह जल शव वाहिनी का उद्घाटन कर उन्होंने एक नई शुरुआत की. यानी कुल मिलाकर अरुण जेटली की यादें वाराणसी से बखूबी जुड़ी हुई हैं.

Intro:स्पेशल: exclusive

वाराणसी: भारतीय जनता पार्टी के सीनियर लीडर और पूर्व वित्त मंत्री के साथ पूर्व रक्षा मंत्री रहे अरुण जेटली आज हमारे बीच नहीं रहे उनकी यादें अब सबके जेहन में हैं और हर कोई अरुण जेटली के साथ बिताए पल को याद कर उन्हें अपने तरीके से श्रद्धांजलि दे रहा है इस क्रम में वाराणसी में अरुण जेटली की मौजूदगी काफी लंबे वक्त तक रही 2014 में जब पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बनारस से लोकसभा चुनाव लड़ा तो उस वक्त पंजाब में अपना चुनाव प्रचार खत्म कर लगातार महीनों तक अरुण जेटली ने बनारस में ही कैंपेन किया उस वक्त जिला प्रशासन समाजवादी पार्टी की प्रदेश सरकार के इशारे पर किस तरह से काम कर रहा था और अरुण जेटली किस तरह जिला प्रशासन के इन कार्यवाही पर उन्हें जवाब दे रहे थे. उस वक्त की सभी यादों को साझा किया प्रदेश सरकार में राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार रविंद्र जयसवाल रविंद्र जयसवाल 2014 और उससे पहले लगातार अरुण जेटली के साथ सक्रिय राजनीति में काफी आत्मीयता से लगे रहे उन्होंने उनके ना रहने पर उनके स्मृतियों को ईटीवी भारत के साथ साझा किया.


Body:वीओ-01 राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार रविंद्र जयसवाल ने बताया कि 2014 के चुनाव में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लंका पर एक रैली को संबोधित करना था उस वक्त समाजवादी पार्टी की अखिलेश सरकार की वजह से जिला प्रशासन ने प्रधानमंत्री मोदी को प्रत्याशी होने के बाद भी रैली की अनुमति नहीं दी जिसके बाद अरुण जेटली जो यहां कैंपेन कर पूरा दारोमदार संभाल रहे थे उन्होंने उस वक्त रणनीति तैयार की और बिना रैली के ही प्रधानमंत्री मोदी के आगमन पर इतना बड़ा जनसमूह इकट्ठा करवा दिया कि लोग देखते रह गए अनुमति ना मिलने के बाद भी लोगों तक यह संदेश पहुंचाया गया कि जिला प्रशासन किस तरह बीजेपी के खिलाफ कार्रवाई कर रहा है अरुण जेटली की रणनीति का नतीजा था कि लोग घरों से निकले और प्रधानमंत्री मोदी रोड शो की शक्ल में लाखों की भीड़ के साथ महज 5 किलोमीटर का सफर 6 घंटे में पूरा कर सकें. इसके अलावा उस वक्त अधिवक्ताओं व्यापारियों व अन्य समाज के लोगों के साथ किस तरह से वोट बैंक पर अपनी पकड़ बनाई जाए लगातार अरुण जेटली बनारस में रहकर इस पर काम करते रहे.


Conclusion:वीओ-02 रविंद्र जयसवाल ने एक और याद ताजा करते हुए अरुण जेटली की उस बात का भी जिक्र किया जब चुनाव प्रचार खत्म होने के बाद 2014 में जिला प्रशासन ने सपा सरकार के निर्देश पर बीजेपी के जिला कार्यालय और विधायक रविंद्र जयसवाल के कार्यालय पर छापेमारी कर कुछ बिना सिंबल की टीशर्ट बरामद कर शराब मिलने का हल्ला मचाया काफी हो हल्ले के बीच अरुण जेटली ने बड़े ही मजबूत तरीके से पूरे मामले को चुनाव आयोग के सामने रखा और दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बनारस में रविंद्र जायसवाल को मीडिया के सामने आने के लिए कहा पूरी रणनीति बनाकर अरुण जेटली ने बनारस के प्रशासन को आईना दिखाया और पूरा प्रशासन बैकफुट पर आ कर सारा बरामद किया माल खुद वापस गया इतना ही नहीं अरुण जेटली ने 2015 में एक बड़ी सौगात विधि सड़कों के रास्ते जो शव मणिकर्णिका घाट पहुंचाए जाते थे. उसकी जगह जल शव वाहिनी का उद्घाटन कर अरुण जेटली एक नई शुरुआत की यानी कुल मिलाकर अरुण जेटली की यादें बनारस से जुड़ी हैं 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बनारस से चुनाव जिताने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी जिसे साझा किया ईटीवी भारत के साथ राज्य मंत्री रविंद्र जयसवाल ने.
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