ETV Bharat / state

पुतुल उत्सवः सुबह-ए-बनारस के मंच पर कठपुतली डांस देख याद आए आजादी के दीवाने

वाराणसी के अस्सी घाट में सुबह-ए-बनारस के मंच पर पुतुल उत्सव मनाया गया . वाराणसी का अस्सी घाट भारत माता की जय और जय हिंद के नारों से गूंज उठा. पद्मश्री राजेश्वर आचार्य ने कहा कि अपनी उंगलियों से कठपुतलियों में जीवन डाल देना अद्भुत कला है.

etv bharat
पुतुल उत्सव
author img

By

Published : Mar 22, 2022, 11:53 AM IST

Updated : Mar 22, 2022, 11:59 AM IST

वाराणसीः आजादी के अमृत महोत्सव के तहत वाराणसी के प्रसिद्ध अस्सी घाट के सुबह-ए-बनारस मंच पर तीन दिवसीय पुतुल उत्सव मनाया गया. उत्सव में राजस्थान, दिल्ली और यूपी के कठपुतली कलाकारों ने हिस्सा लिया. सबसे पहले राजस्थान के पारंपरिक गीतों और विजय गीतों को कठपुतली के माध्यम से दिखाया गया.

वाराणसी का अस्सी घाट भारत माता की जय और जय हिंद के नारों से गूंज उठा. यूपी के कलाकारों ने काकोरी कांड को कठपुतली के माध्यम से प्रदर्शित किया. कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर यूपी संगीत नाट्य अकादमी के अध्यक्ष व पद्मश्री राजेश्वर आचार्य मौजूद रहे.

पुतुल उत्सव

यह भी पढ़ें- 125 वर्ष के पद्मश्री शिवानंद बाबा का अनोखा खान-पान, वीडियो देख बोल उठेंगे 'वाह'


राजेश्वर आचार्य ने बताया कि यह बहुत पुरानी विधा है. इसमें कठिन से कठिन चीज को कठपुतली के माध्यम से आसान भाषाओं में लोगों तक पहुंचाया जाता है. दरअसल अपनी उंगलियों से कठपुतलियों में जीवन डाल देना अद्भुत कला है. कठपुतली का खेल बच्चों को बहुत ही पसंद आता है और बच्चे देश के भविष्य हैं, इसीलिए आजादी के 75 वर्ष के अवसर पर कठपुतली के माध्यम से देश की आजादी और विभिन्न प्रदेशों की कला को प्रदर्शित किया जा रहा है.

राजस्थानी कलाकार पूरन भाठ ने बताया कि कठपुतली राजस्थान की लोक संस्कृति का महत्वपूर्ण अंग है. आज हम लोगों ने जो प्रस्तुत किया उसमें हमारे दादा परदादा जब युद्ध जीतकर आते थे तो उनके विजय पर यह कार्यक्रम होता था. कठपुतली सैकड़ों वर्षो से चली आ रही है. आज अस्सी घाट पर कार्यक्रम करके बहुत अच्छा लगा. देश के अमृत महोत्सव में हम लोगों ने यह कार्यक्रम किया.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

वाराणसीः आजादी के अमृत महोत्सव के तहत वाराणसी के प्रसिद्ध अस्सी घाट के सुबह-ए-बनारस मंच पर तीन दिवसीय पुतुल उत्सव मनाया गया. उत्सव में राजस्थान, दिल्ली और यूपी के कठपुतली कलाकारों ने हिस्सा लिया. सबसे पहले राजस्थान के पारंपरिक गीतों और विजय गीतों को कठपुतली के माध्यम से दिखाया गया.

वाराणसी का अस्सी घाट भारत माता की जय और जय हिंद के नारों से गूंज उठा. यूपी के कलाकारों ने काकोरी कांड को कठपुतली के माध्यम से प्रदर्शित किया. कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर यूपी संगीत नाट्य अकादमी के अध्यक्ष व पद्मश्री राजेश्वर आचार्य मौजूद रहे.

पुतुल उत्सव

यह भी पढ़ें- 125 वर्ष के पद्मश्री शिवानंद बाबा का अनोखा खान-पान, वीडियो देख बोल उठेंगे 'वाह'


राजेश्वर आचार्य ने बताया कि यह बहुत पुरानी विधा है. इसमें कठिन से कठिन चीज को कठपुतली के माध्यम से आसान भाषाओं में लोगों तक पहुंचाया जाता है. दरअसल अपनी उंगलियों से कठपुतलियों में जीवन डाल देना अद्भुत कला है. कठपुतली का खेल बच्चों को बहुत ही पसंद आता है और बच्चे देश के भविष्य हैं, इसीलिए आजादी के 75 वर्ष के अवसर पर कठपुतली के माध्यम से देश की आजादी और विभिन्न प्रदेशों की कला को प्रदर्शित किया जा रहा है.

राजस्थानी कलाकार पूरन भाठ ने बताया कि कठपुतली राजस्थान की लोक संस्कृति का महत्वपूर्ण अंग है. आज हम लोगों ने जो प्रस्तुत किया उसमें हमारे दादा परदादा जब युद्ध जीतकर आते थे तो उनके विजय पर यह कार्यक्रम होता था. कठपुतली सैकड़ों वर्षो से चली आ रही है. आज अस्सी घाट पर कार्यक्रम करके बहुत अच्छा लगा. देश के अमृत महोत्सव में हम लोगों ने यह कार्यक्रम किया.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

Last Updated : Mar 22, 2022, 11:59 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.