वाराणसी: ज्ञानवापी मामले में सुनवाई के बीच शनिवार को अखिल भारतीय संत समिति के द्वारा मा श्रृंगार गौरी की विधि विधान पूर्वक पूजा अर्चना की गई. जिसमें 151 संतो के द्वारा श्रृंगार गौरी विग्रह के बाहर परिसर में विशेष अनुष्ठान किया जा रहा है. इस दौरान अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री स्वामी जितेन्द्रानंद सरस्वती ने विशेष अनुष्ठान के पूर्व पश्चिमी दीवार पर मौजूद मा श्रृंगार गौरी के विग्रहों की पूजा के साथ ही नन्दी महाराज और बाबा विश्वनाथ का जलाभिषेक भी किया. वहीं, लगभग 15 मिनट की विधि विधान पूर्वक पूजा अर्चना के बाद संतो के द्वारा प्राचीन पत्थरों पर कुमकुम, सिंदूर, चंदन इत्यादि लगाकर के कपूर के जरिए मां की आरती उतारी गई. बकायदा मंत्र पढ़ करके मा की आराधना की गई.
सैकड़ों वर्ष पुरानी है परम्परा
इस बारे में स्वामी जितेन्द्रानंद सरस्वती ने बताया, शनिवार को मां श्रृंगार गौरी के दर्शन पूजन के साथ ज्ञानवापी परिसर में रामकथा की शुरुआत की गई है. यह कथा सैकड़ों वर्ष पुरानी परंपरा का निर्वहन करने के साथ चल रही है. उन्होने कहा कि, ज्ञानवापी को औरंगजेब के तोड़े जाने के बाद से ही काशी के संत और कथा व्यास भगवान विश्वनाथ को राम कथा सुनाकर के मंदिर के विध्वंस के कलंक को मिटाने की बात करते रहते हैं. इसी क्रम में सैकड़ों वर्ष यह अनुष्ठान संचालित किया जा रहा है. सरकारी रिकॉर्ड में पिछले 65 वर्षों से यह दर्ज है. उन्होंने बताया कि इस वर्ष भी यह कथा संचालित हो रही है. जिसमे सबसे सबसे पहले मां श्रृंगार गौरी की पूजा, उसके बाद प्रतीक्षारत नन्दी का पूजन और उसके बाद बाबा विश्वनाथ का पूजन करके राम कथा की शरुआत की जाती है.
कोर्ट में चल रही सुनवाई
गौरतलब हो कि, बीते 1 वर्ष से श्रृंगार गौरी और ज्ञानवापी परिसर को लेकर के कोर्ट में सुनवाई चल रही है. जिसमें शिवलिंग पूजने के अधिकार, श्रृंगार गौरी की पूजा, परिसर को हिंदुओं को लेकर के सौंपने लगायत तमाम मामले शामिल हैं. इन सभी विवादों के कोर्ट में चलने के बावजूद आज अखिल भारतीय संत समिति के द्वारा बकायदा परिसर में रामकथा की शुरुआत की गई और श्रृंगार गौरी के ग्रहों की पूजा की गई है.