वाराणसी : हर वर्ष की भांति इस बार भी नवरात्र के चौथे दिन अखिल भारतीय ज्ञानवापी मुक्ति महापरिषद के लोगों ने काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर स्थित श्रृंगार गौरी का दर्शन-पूजन किया. इस मौके पर पुलिस प्रशासन के द्वारा लोगों को कोविड के नियमों का पालन कराया गया. परिषद के लोगों ने श्रृंगार गौरी के दर्शन के साथ ही मंदिर परिसर को मुक्त कराने की बात कही. वहीं, परिषद के लोगों द्वारा माता श्रृंगार गौरी के नियमित पूजन की मांग भी की गयी. इस मौके पर सभी ने कोरोना महामारी से निजात दिलाने के लिए प्रार्थना की.
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नियमित पूजन की उठी मांग
अखिल भारतीय ज्ञानवापी मुक्ति महापरिषद के महामंत्री डॉ. सोहनलाल ने बताया कि परिषद के लोगों द्वारा पिछले 38 साल से नवरात्र के चौथे दिन श्रृंगार गौरी के दर्शन के लिए यात्रा निकली जाती रही है. उन्होंने बताया कि इस यात्रा का उद्देश्य यह है कि इस परिसर को मस्जिद से मुक्त कराया जाए. उन्होंने कहा कि साथ ही बताया कि औरंगजेब द्वारा 16 अगस्त सन 1669 को इस मंदिर का विध्वंस किया गया था. अब यह देशवासियों को दिखाना है कि हम इस मंदिर के उद्धार के लिए तत्पर है. उन्होंने बताया कि इस मंदिर में स्थापित विशाल नंदी जो नेपाल नरेश के द्वारा यहां भेजी गयी थी, वो इस बात का गवाह है कि ये ज्ञानवापी परिसर काशी विश्वनाथ मंदिर का हिस्सा है.
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न्यायालय में लंबित है वाद
डॉ. सोहनलाल ने बताया कि इस मंदिर के विध्वंस को लेकर माननीय हाईकोर्ट में पिछले 38 साल से मामला लंबित है. जिला प्रशासन के द्वारा हम लोगों को नवरात्र के चौथे दिवस पर मात्र एक दिन के दर्शन की अनुमति देता है, जबकि वाराणसी जिला प्रशासन के द्वारा न्यायालय में ये कहा गया है कि समय समय पर माता श्रृंगार गौरी का दर्शन पूजन किया जाता है. उन्होंने कहा कि हम न्यायालय से ये पूछना चाहते है कि हमारे देवी-देवताओं की पूजा सुबह शाम की जाती है. इसी को लेकर हम एक वाद सुप्रीम कोर्ट ने दायर करने जा रहे है.