वाराणसी: विश्व का सबसे प्राचीनतम शहर कहे जाने वाले वाराणसी की आबोहवा अब पहले से स्वच्छ और साफ हो गई है. उत्तर प्रदेश सरकार के प्रयासों से वाराणसी पिछले महीने में लगभग 20 दिनों तक ग्रीन जोन में रहा है. दीपावली से पहले शहरवासियों के लिए यह अच्छी खबर है. शायद यही वजह है कि सरकार और जिला प्रशासन द्वारा वाराणसी में ग्रीन पटाखे छोड़ने की अनुमति भी दी जा रही है.
वायु प्रदूषण पूरे विश्व में एक गंभीर समस्या है. भारत में भी बहुत से शहर सबसे ज्यादा प्रदूषित माने गए हैं, लेकिन इन सभी से अलग काशी की हवा अब स्वस्थ है. यही वजह है कि लोग अब खुले में सांस ले सकते हैं. एयर क्वालिटी इंडेक्स के अनुसार 20 दिनों तक वाराणसी का एयर क्वालिटी इंडेक्स 100 से नीचे रहा है. उसमें भी 4 दिनों तक 50 से नीचे एयर क्वालिटी इंडेक्स देखा गया है. ज्ञात हो कि 150 क्वालिटी इंडेक्स खतरनाक माना जाता है. 150 से ऊपर जिस भी शहर के एयर क्वालिटी इंडेक्स रहती है उसे ज्यादा प्रदूषित शहर माना जाता है.
पिछले साल की भांति हुआ है सुधार
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की क्षेत्रीय अधिकारी कालिका सिंह ने कहा कि वाराणसी का एयर क्वालिटी इंडेक्स बात करें तो पूरे बनारस में हम लोग 4 स्थानों से एयर क्वालिटी इंडेक्स देखते हैं. चारों एयर क्वालिटी स्टेशन का एवरेज निकालते हैं. विगत वर्षों की भांति इस वर्ष वायु की गुणवत्ता में बेहद ही सुधार हुआ है. 3-4 महीने तो बनारस ज्यादा समय तक ग्रीन जोन में रहा है. अक्टूबर महीने में हमारा एयर क्वालिटी इंडेक्स सबसे नीचे था और अभी वाराणसी का एयर क्वालिटी इंडेक्स 85 से 80 बीच चल रहा है.
ये है एयर क्वालिटी इंडेक्स सुधरने का मुख्य कारण
कालिका सिंह ने बताया एयर क्वालिटी इंडेक्स सुधरने का मुख्य कारण है कि ट्रैफिक व्यवस्था ठीक हुई है. शहर में जो बड़े कंस्ट्रक्शन के कार्य चल रहे थे वह पूर्णं हो चुके हैं. शहर में लोग पहले से जागरूक हुए हैं अब रात्रि में भी सफाई हो रही है. शहर में समय-समय पर पानी का छिड़काव हो रहा है. यही वजह है कि शहर की हवा पहले से स्वच्छ हो गई है.