वाराणसी: भदोही में रविवार को दुर्गा पूजा पंडाल में आगजनी की घटना ने प्रशासन की तैयारियों पर सवाल खड़े कर दिए (fire fighting arrangements in pandals) . भदोही अग्निकांड में 5 लोगों की मौत और बड़ी संख्या में लोग झुलस गए थे. इसके बाद एक बार फिर सांप के चले जाने के बाद लाठी पीटने जैसी चीजें सामने आ रही हैं. घटना से पहले शायद प्रशासनिक अधिकारियों ने समय रहते चीजों को मैनेज कर लिया होता तो शायद कई निर्दोषों को अपनी जिंदगी नहीं गंवानी पड़ती.
लेकिन ये सिस्टम ऐसा ही है. जब यहां सब बिगड़ जाता है तब हम उसे सुधारने की कोशिश करते हैं. सोमवार को ऐसा ही कुछ नजारा वाराणसी में भी देखने को मिला. बनारस में हर साल रजिस्टर्ड दुर्गा पूजा के तौर पर 280 से ज्यादा पूजा पंडाल स्थापित किए जाते हैं. जिनमें 3 दिनों तक दुर्गा प्रतिमाएं बैठती हैं. सप्तमी, अष्टमी द नवमी के दिन इन पंडालों में लोगों की भारी भीड़ उमड़ती है. ऐसे में भदौही अग्निकांड के बाद इन पूजा पंडालों में अग्निशमन व्यवस्था को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं.
हालांकि सोमवार को अधिकारी पूजा पंडाल का निरीक्षण करने पहुंचे. लेकिन, कुछ गिने-चुने पूजा पंडालों की व्यवस्था पर अपनी जिम्मेदारियों की इतिश्री कर ली. लेकिन जब ईटीवी भारत की टीम पूजा पंडालों की सच्चाई जानने पहुंची. तो कुछ और ही हक्कीत सामने आई. सकरी गलियों में बने पंडालों में ना अग्निशमन की प्रॉपर व्यवस्था है और ना ही पूजा पंडालों को सुरक्षित रखने के लिए बिजली के तारों को सिक्योर तरीके से लगाने का प्रबंध.
जांच की खुली पोलः पुलिस कमिश्नर ए सतीश गणेश और मुख्य अग्निशमन अधिकारी अनिमेष सिंह सोमवार को शहर के कुछ पूजा पंडालों का निरीक्षण करने पहुंचे. सबसे पहले अधिकारियों ने शहर के सबसे बड़े हथुआ मार्केट का हाल जाना और यहां पर एक मॉक ड्रिल भी की. जो अधिकारियों के हिसाब से सफल साबित हुई. 6 मिनट के अंदर फायर ब्रिगेड की गाड़ी का पहुंचना और अग्निशमन यंत्र को ओपन करके आग पर काबू पाने का प्रयास करना. इसमें सब सफल हो गये. इसकी बड़ी वजह यह थी कि जिस जगह पर पूजा पंडाल लगा है. उसके ठीक सामने अग्निशमन का ही ऑफिस है.
हालांकि इस बारे में जो पुलिस कमिश्नर ए सतीश गणेश से बातचीत की गई तो उनका कहना था कि इस घटना के बाद हम शहर के पूजा पंडालों की प्रॉपर जांच कर रहे हैं. जहां कमी है उसको दुरुस्त करने के लिए कहा जा रहा है. जिन समितियों ने बिना एनओसी के पंडाल बनाए हैं. उनकी जांच करके फौरी तौर पर उन्हें चीजें उपलब्ध करवाई जाएंगी और उनको चेतावनी भी दी जाएगी.
इसके बाद अधिकारियों की टीम बंगाली टोला इलाके में पहुंची. यहां पूजा समिति से बातचीत करके अधिकारी रवाना हो गए. लेकिन बाद में जब ईटीवी भारत ने पड़ताल की तो पता चला अधिकारियों को यहां पर अग्निशमन यंत्र के साथ पानी के टैंकर आदि की व्यवस्था थी. हालांकि अधिकारी ऐसे ही पंडाल पर क्यों पहुंचे जहां व्यवस्था दुरुस्त थी. यह भी बड़ा सवाल है.
पंडालो में सुरक्षा की हक्कीतः पंडालों की हकीकत जानने के बाद ईटीवी भारत की टीम ने शहर के कुछ और पंडालों को देखा. शहर के सोनारपुरा, पांडेय हवेली, महमूरगंज, केदार घाट स्थित उन पूजा पंडालों में पहुंचे जो सड़क से अलग अंदर इलाके में लगते हैं. हमने इन पंडालों में जाकर अपने स्तर पर जब पड़ताल की तो पता चला किसी पंडाल में अग्निशमन को लेकर व्यवस्था थी ही नहीं. न ही फायर इंस्टिगेटर थे और ना ही बालू और पानी का इंतजाम. ऐसे में अष्टमी और नवमी पर होने वाली भारी भीड़ के दौरान किसी छोटी बड़ी घटना के होने पर पूजा पंडालों में इस पर कैसे काबू पाया जाएगा, ये अब भी बड़ा सवाल है.
वहीं, जब दुर्गा पूजा पंडाल में सुरक्षा की तैयारियों को लेकर पूजा समिति के लोगों से बातचीत करनी चाही तो अधिकांश ने कैमरे पर बातचीत करने से इंकार कर दिया. कुछ ने दावा किया कि सुरक्षा के सारे इंतजाम है. लेकिन कैमरे पर सुरक्षा तैयारियों को दिखाने से इंकार कर दिया. फिलहाल भदौही अग्निकांड के बाद अधिकारियों का सचेत होना बेहद जरूरी है. इसके साथ ही पूजा समितियों को भी ऐसे बड़े आयोजन के दौरान सुरक्षा की पहली प्राथमिकता होनी चाहिए. इसलिए जरूरी है कि प्रशासनिक स्तर पर बिना एनओसी के पूजा पंडालों को सजाने की अनुमति ही ना दी जाए और जो संचालित को भी रहे हैं. प्रशासन उनकी जांच करे कि सारी तैयारी है या नहीं, ताकि भदोही की घटना की पुनरावृत्ति न हो सके.
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