वाराणसी: गंगा किनारे बसी मोक्षदायिनी काशी आने वाले दिनों में पानी के लिए तरस सकती है. देश के सबसे पुराने शहर में अप्रैल से लेकर जून-जुलाई तक पानी के लिए हाहाकार मचा रहा. गंगा के जलस्तर में लगातार कमी और तेजी से नीचे खिसकता ग्राउंड वाटर लेवल गंभीर समस्या है. पिछले 5 वर्षों में काशी का जलस्तर 4 से 5 मीटर नीचे खिसक चुका है. वाराणसी शहर की आबादी तकरीबन 20 लाख है. शहर में प्रति व्यक्ति औसतन 135 लीटर पानी की जरुरत पड़ती है जबकि शहर में प्रति व्यक्ति 92 लीटर पानी की सप्लाई ही हो पाती है. 20 लाख वाले शहर काशी को 27 करोड़ लीटर पानी चाहिए और शहर में 22 करोड़ लीटर पानी की ही आपूर्ति हो पाती है.
अब एक नजर डालते हैं कि शहर में कितना पानी बर्बाद हो जाता है.
रोकनी होगी पानी की बर्बादी-
- पेयजल पाइपलाइन में लीकेज से करीब 11 करोड़ लीटर पानी की बर्बादी
- सिटी के 90 वार्ड में से 40 में जरुरत के हिसाब से पानी नहीं
- 90 वार्डों की करीब 45 फीसदी आबादी पानी के लिए तरसती है.
- बनारस में 3200 कुएं और 470 तालाब सूखे
- शहर में 6700 हैंडपंपों से पानी नहीं
गहराता जल संकट आने वाली पीढ़ी की बात छोड़िए, हमारे खुद के लिये भी एक गंभीर समस्या हो चुकी है. हम कई तरीकों को अपनाकर पानी बचा सकते हैं.
इन तरीकों से बचा सकते हैं जल-
- नहाने के लिए शावर की जगह बाल्टी का इस्तेमाल करें
- सेविंग करते समय नल बंद रखें
- बर्तन धुलने के लिए नल की जगह टब का इस्तेमाल करें
- जल संरक्षण के लिए अधिक से अधिक तालाब खोदे जाएं
- सिंचाई के लिए पेयजल की बजाय गंदे पानी का इस्तेमाल करें
- वर्षा का जल छतों पर भी संरक्षित करें
- नदियों में फैक्ट्रियों का पानी नहीं बहाया जाए
- जल संरक्षण के लिए रेनवाटर हार्वेस्टिंग अपनाएं
बारिश के पानी के संरक्षण के साथ ही घरों, बगीचों, कारखानों और दुकानों में भी पानी की बर्बादी रोकनी होगी. अगर हम आज नहीं जागे तो आने वाला वक्त हमें माफ नहीं करेगा. क्योंकि जल है तो कल है.