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वाराणसी: IRIS कॉन्फ्रेंस के लिये बीएचयू की छात्रा को जर्मनी से मिला निमंत्रण

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Published : Jun 10, 2019, 3:03 PM IST

काशी हिंदू विश्वविद्यालय के कंप्यूटर साइंस विभाग की शोध छात्रा प्रशस्ति सिंह को आईआरआईएस कॉन्फ्रेंस के लिए जर्मनी आमंत्रित किया गया है. इस कॉन्फ्रेंस का आयोजन 11 से 13 जून तक जर्मनी के इंडो जर्मन साइंस एंड टेक्नोलॉजी सेंटर किया जाएगा.

बीएचयू की छात्रा को आरआईएस कॉन्फ्रेंस के लिए जर्मनी किया गया

वाराणसी: काशी हिंदू विश्वविद्यालय के कंप्यूटर साइंस विभाग की शोध छात्रा प्रशस्ति सिंह को आईआरआईएस कॉन्फ्रेंस के लिए आमंत्रित किया गया है. ये कॉन्फ्रेंस 11 से 13 जून तक जर्मनी के इंडो जर्मन साइंस एंड टेक्नोलॉजी सेंटर द्वारा आयोजित किया गया है प्रशस्ति सिंह वहां पर अपना शोध पत्र पढे़ंगी.

बीएचयू की छात्रा को आईआरआईएस कॉन्फ्रेंस के लिए जर्मनी बुलाया गया.

ईटीवी भारत के साथ बातचीत में प्रशस्ति ने बताया ...

  • भारत से तीन लोग जर्मनी जा रहे हैं जिसमें उसके प्रोफेसर और एक जूनियर छात्रा भी शामिल है.
  • लगभग 13 से 14 साल पहले उसके दादा ने भी जर्मनी में कबीर और हिंदी साहित्य पर अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया था.
  • दादा जी ने जिस देश में व्याख्यान प्रस्तुत किया था वहां जाना मेरा सौभाग्य है.

बहुत गर्व महसूस हो रहा है कि हम भारत के हैं और हम जर्मनी में जाकर भारत और अपने विश्वविद्यालय का नाम रोशन करेंगे. आज से लगभग 13 से 14 साल पहले मेरे दादा जी सुखदेव सुखदेव सिंह ने भी जर्मनी में कबीर और हिंदी साहित्य पर अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया था. मुझे गर्व महसूस हो रहा है कि मेरे दादा जी ने जिस देश में व्याख्यान प्रस्तुत किया था वहां मुझे जाने का मौका मिला है.

प्रशस्ति सिंह, शोध छात्रा, कंप्यूटर साइंस विभाग

वाराणसी: काशी हिंदू विश्वविद्यालय के कंप्यूटर साइंस विभाग की शोध छात्रा प्रशस्ति सिंह को आईआरआईएस कॉन्फ्रेंस के लिए आमंत्रित किया गया है. ये कॉन्फ्रेंस 11 से 13 जून तक जर्मनी के इंडो जर्मन साइंस एंड टेक्नोलॉजी सेंटर द्वारा आयोजित किया गया है प्रशस्ति सिंह वहां पर अपना शोध पत्र पढे़ंगी.

बीएचयू की छात्रा को आईआरआईएस कॉन्फ्रेंस के लिए जर्मनी बुलाया गया.

ईटीवी भारत के साथ बातचीत में प्रशस्ति ने बताया ...

  • भारत से तीन लोग जर्मनी जा रहे हैं जिसमें उसके प्रोफेसर और एक जूनियर छात्रा भी शामिल है.
  • लगभग 13 से 14 साल पहले उसके दादा ने भी जर्मनी में कबीर और हिंदी साहित्य पर अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया था.
  • दादा जी ने जिस देश में व्याख्यान प्रस्तुत किया था वहां जाना मेरा सौभाग्य है.

बहुत गर्व महसूस हो रहा है कि हम भारत के हैं और हम जर्मनी में जाकर भारत और अपने विश्वविद्यालय का नाम रोशन करेंगे. आज से लगभग 13 से 14 साल पहले मेरे दादा जी सुखदेव सुखदेव सिंह ने भी जर्मनी में कबीर और हिंदी साहित्य पर अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया था. मुझे गर्व महसूस हो रहा है कि मेरे दादा जी ने जिस देश में व्याख्यान प्रस्तुत किया था वहां मुझे जाने का मौका मिला है.

प्रशस्ति सिंह, शोध छात्रा, कंप्यूटर साइंस विभाग

Intro:वाराणसी के काशी हिंदू विश्वविद्यालय के कंप्यूटर साइंस विभाग की सोच छात्रा प्रशस्ति सिंह को आई आर आई एस कॉन्फ्रेंस के लिए आमंत्रित किया गया है यह कॉन्फ्रेंसिंग 11 से 13 जून तक जर्मनी के इंडो जर्मन साइंस एंड टेक्नोलॉजी सेंटर द्वारा आयोजित किया गया है कश्ती वहां पर अपना शोध पत्र पड़ेगी।


दे चुके और डॉक्टर विवेक सिंह और मौसमी कर्मकार इस सेमिनार में शिरकत कर रहे हैं आन जून को नई दिल्ली से जर्मनी के लिए रवाना होंगे इसे लेकर विश्वविद्यालय में हर्ष का माहौल है।


Body:हम आपको बताते चलें कि ग्रेजुएशन में प्रशस्ति ने 7 गोल्ड मेडल प्राप्त कर नया कीर्तिमान स्थापित कर चुकी है बीएचयू के शताब्दी समारोह में तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रशस्ति को सम्मानित किया था पिछले दिनों आयोजित प्रवासी भारतीय सम्मेलन में डिजिटल इंडिया पर आयोजित सभा में भी इस छात्रा ने विदेशी मेहमानों के सामने भारत के डिजिटल इंडिया प्रोग्राम को विस्तृत प्रस्तुत किया था।


Conclusion:एक बात हम और आपको बता दें कि हिंदी विभाग बीएचयू के विख्यात प्रोफेसर सुखदेव सिंह की पुत्री है सॉफ्टवेयर इंजीनियर प्रणय रंजन सिंह की पुत्री है प्रशस्ति।

ईटीवी भारत से बात करते हुए प्रशस्ति सिंह ने बताया कि भारत से तीन लोग जर्मनी जा रहे हैं जिसमें हमारे प्रोफेसर और एक हमारी जूनियर छात्रा है हमें बहुत गर्व महसूस हो रहा है कि हम भारत के हैं और हम जर्मनी में जाकर भारत और विश्व विद्यालय का नाम रोशन करेंगे उसके साथ ही हमें और अच्छा लग रहा है क्योंकि आज से लगभग 13 से 14 साल पहले मेरे दादा जी सुखदेव सुखदेव सिंह ने जर्मनी में कबीर और हिंदी साहित्य पर अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया था मुझे गर्व महसूस हो रहा है कि मेरे दादा जी ने जिस देश में व्याख्यान प्रस्तुत किया था वहां मुझे जाने का मौका मिला है मेरा यह सौभाग्य है।

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