वाराणसी: जिले के महामना पंडित मदन मोहन मालवीय कैंसर केंद्र एवं होमी भाभा कैंसर अस्पताल के चौथे स्थापना दिवस के मौके पर अस्पताल प्रशासन द्वारा पंजीकृत मरीजों का आंकाड़ा जारी किया गया. दोनों अस्पतालों में आंकड़ों के अनुसार अब तक 74277 मरीजों का पंजीकरण हुआ है. अब तक पंजीकृत कुल मरीजों में से 20851 हजार मरीज केवल पिछले साल यानि 2022 में पंजीकृत हुए हैं.
19 फरवरी 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ने एमपीएमएमसीसी एवं एचबीसीएच का अधिकारिक उद्घाटन किया था. अस्पतालों द्वारा स्थापना दिवस पर जारी किए गए आंकड़ों में पता चलता है कि अस्पताल में पंजीकृत पुरुष मरीजों में मुंह का कैंसर और महिलाओं में स्तन का कैंसर पहले नंबर है. वहीं, महिलाओं और पुरुष दोनों में गॉल ब्लैडर(पित्त की थैली) का कैंसर दूसरे नबंर पर है.
साल दर साल बढ़ रहा पंजीकरण: अस्पताल के स्थापना दिवस पर मरीजों का आंकड़ा जारी करते हुए डॉ. आए बड़वे ने कहा कि हर साल मरीजों की संख्या बढ़ रही है. होमी भाभा कैंसर अस्पताल में 2018 में 6250 मरीजों ने पंजीकरण कराया था. वहीं, 2022 में इन दोनों अस्पतालों में मरीजों की संख्या 20851 हो गए. कैंसर इलाज को लेकर कैंसर के मरीजों में बीमारी के प्रति बढ़ती जागरुकता की देन है कि नए पंजीकरण लगातार बढ़ रहे हैं.
70 हजार महिलाओं की जांच: डॉ. बडवे ने कहा कि किसी भी बीमारी की समय से पहचान होने पर बीमारी को बढ़ने से रोकने के साथ बीमारी के प्रबंधन में भी लाभ मिलेगा. इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए एमपीएमएमसीसी और एचबीसीएच ने महिलाओं के लिए एक व्यापक कैंसर जांच अभियान की शुरुआत की है. कैंसर जांच अभियान की शुरुआत के बाद अब अस्पतालों में महिलाओं में होने वाले ज्यादातर कैंसर जैसे स्तन, गर्भाशय ग्रीवा एवं मुख के कैंसर की जांच हो रही है. इस अभियान में अब तक वाराणसी के सेवापुरी, हरहुआ, अराजीलाइन, काशी विद्यापीठ इत्यादि ब्लॉक में 70 हजार महिलाओं की बिना पैसे के फ्री में जांच हुई है. जांच में कैंसर होने की संभावन पता चलने पर मरीज को स्पष्टीकरण के लिए अस्पताल भेजा जाता है. कैंसर की पुष्टि होने के बाद मरीज का इलाज शुरु किया जाता है.
9798 मरीजों को निःशुल्क इलाज: दोनों अस्पतालों के निदेशक डाक्टर सत्यजीत प्रधान ने कहा कि इलाज के लिए अस्पताल आने वाले अधिकतर मरीज आर्थिक रूप से कमजोर होते हैं. कई मरीजों के पास इलाज के लिए बिल्कुल भी पैसे भी नहीं होते हैं. इस तरह के मरीजों के इलाज के लिए अस्पताल का मेडिकल सोशल विभाग मदद करता है. गरीब मरीजों के इलाज के लिए कुछ राशि अस्पताल के द्व्रारा दी जाती है, जबकि कुछ राशि एनजीओं के द्वारा दी जाती है. ये एनजीओ अस्पतालों के साथ मिलकर काम करते हैं. जारी हुए आंकड़ों के अनुसार जनवरी 2022 से लेकर नवंबर 2022 तक अपने इलाज का खर्च न उठा पाने वाले 9798 मरीजों की सहायता सोशल वर्क विभाग ने की है. जिसमें मरीजों के इलाज में 61 करोड़ रुपये का खर्च हुआ है.
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