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लॉकडाउन के बाद पोषण पुनर्वास केंद्र बना पालनहार, 38 बच्चे हुए सुपोषित

वाराणसी के पोषण पुनर्वास केंद्र में लॉकडाउन के बाद से अब तक 38 बच्चों को सुपोषित किया गया है. इस समय समाज में कुपोषण सबसे बड़ी समस्या है. बच्चों को पौष्टिक आहार न मिलने के कारण वे कुपोषण का शिकार हो जाते हैं.

बच्चे हुए सुपोषित
बच्चे हुए सुपोषित
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Published : Nov 7, 2021, 12:49 PM IST

वाराणसी: कुपोषण वर्तमान समय में समाज की सबसे बड़ी समस्या है. ज़्यादातर ग्रामीण अंचलों में गर्भवती माताओं की उचित देख-रेख न करने साथ ही जन्म के पश्चात बच्चों को पौष्टिक आहार न मिलने से कुपोषण का शिकार हो जाते हैं, जिससे उनका भविष्य काफी प्रभावित होता है. ऐसे बच्चों के लिए वरदान साबित हो रहा है वाराणसी का पोषण पुनर्वास केंद्र. जहां लॉकडाउन के बाद से अब तक 38 बच्चों को सुपोषित किया गया है.

सीएमएस डॉ. आरके सिंह ने बताया कि वाराणसी जनपद में पोषण पुनर्वास केंद्र का संचालन इस समय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र शिवपुर से हो रहा है. यह पोषण पुनर्वास केंद्र कुपोषित बच्चों के लिए वरदान साबित हो रहा है. यहां पर कुपोषित बच्चों को पहचान कर आरबीएसके की टीम, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एनआरसी में भर्ती कराते हैं. उन्होंने बताया कि लॉकडाउन के बाद पोषण पुनर्वास केंद्र ने 48 कुपोषित बच्चों को भर्ती किया है. इसमें से 38 को नई जिंदगी दी जा चुकी है. एक बच्चे को बीएचयू रेफर किया गया है और 8 बच्चे डिफाल्टर हैं.

शिवपुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में स्थित एनआरसी वार्ड में नोडल, मेडिकल ऑफिसर, 3 स्टॉफ नर्स, डाइटिशियन हैं. चिकित्सा अधीक्षक ने बताया कि पोषण पुनर्वास केंद्र एक ऐसी सुविधा है, जहां छह माह से 5 वर्ष तक के गंभीर रूप से कुपोषित बच्चे जिनमें चिकित्सकीय जटिलताएं होती हैं, को चिकित्सकीय सुविधाएं मुफ्त में प्रदान की जाती हैं. इसके अलावा बच्चों की माताओं को बच्चों के समग्र विकास के लिए आवश्यक देखभाल तथा खान-पान संबंधित कौशल का प्रशिक्षण दिया जाता है.

इस केंद्र में आरबीएसके टीम, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के माध्यम से कुपोषित एवं अति-कुपोषित बच्चों को लाया जाता है. साथ ही कुछ बच्चे ओपीडी के माध्यम से भी भर्ती होते हैं. इस केंद्र में वर्तमान में 8 बच्चे भर्ती हैं. एनआरसी वार्ड में पर्याप्त सुविधाएं हैं. बच्चों के खेलने के लिए खिलौने भी हैं. गर्मियों में पंखे और सर्दियों में रूम हीटर चलते हैं.

यह भी पढ़ें: शिक्षा संस्‍कारहीन हो तो व्यक्ति राष्ट्रनायक और राष्ट्रद्रोही के बीच अंतर महसूस नहीं करता : CM योगी

सेवापुरी ब्लाक के अंतर्गत ठठरा गांव की रहने वाली सरिता ने बताया कि जन्म के आठ महीने बाद उनकी बेटी बेबी कुपोषण की चपेट में आ जाने से अति-कुपोषित हो गई थी. इसके बाद उसकी माता सरिता ने बच्ची को एनआरसी वार्ड में भर्ती कराया, जहां उसे बेहतर इलाज और पौष्टिक भोजन दोनों निशुल्क दिया जा रहा है. भर्ती होने के समय उसका वजन 2.860 किलोग्राम था. अब उसका वजन 3.080 हो गया है.

वाराणसी: कुपोषण वर्तमान समय में समाज की सबसे बड़ी समस्या है. ज़्यादातर ग्रामीण अंचलों में गर्भवती माताओं की उचित देख-रेख न करने साथ ही जन्म के पश्चात बच्चों को पौष्टिक आहार न मिलने से कुपोषण का शिकार हो जाते हैं, जिससे उनका भविष्य काफी प्रभावित होता है. ऐसे बच्चों के लिए वरदान साबित हो रहा है वाराणसी का पोषण पुनर्वास केंद्र. जहां लॉकडाउन के बाद से अब तक 38 बच्चों को सुपोषित किया गया है.

सीएमएस डॉ. आरके सिंह ने बताया कि वाराणसी जनपद में पोषण पुनर्वास केंद्र का संचालन इस समय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र शिवपुर से हो रहा है. यह पोषण पुनर्वास केंद्र कुपोषित बच्चों के लिए वरदान साबित हो रहा है. यहां पर कुपोषित बच्चों को पहचान कर आरबीएसके की टीम, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एनआरसी में भर्ती कराते हैं. उन्होंने बताया कि लॉकडाउन के बाद पोषण पुनर्वास केंद्र ने 48 कुपोषित बच्चों को भर्ती किया है. इसमें से 38 को नई जिंदगी दी जा चुकी है. एक बच्चे को बीएचयू रेफर किया गया है और 8 बच्चे डिफाल्टर हैं.

शिवपुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में स्थित एनआरसी वार्ड में नोडल, मेडिकल ऑफिसर, 3 स्टॉफ नर्स, डाइटिशियन हैं. चिकित्सा अधीक्षक ने बताया कि पोषण पुनर्वास केंद्र एक ऐसी सुविधा है, जहां छह माह से 5 वर्ष तक के गंभीर रूप से कुपोषित बच्चे जिनमें चिकित्सकीय जटिलताएं होती हैं, को चिकित्सकीय सुविधाएं मुफ्त में प्रदान की जाती हैं. इसके अलावा बच्चों की माताओं को बच्चों के समग्र विकास के लिए आवश्यक देखभाल तथा खान-पान संबंधित कौशल का प्रशिक्षण दिया जाता है.

इस केंद्र में आरबीएसके टीम, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के माध्यम से कुपोषित एवं अति-कुपोषित बच्चों को लाया जाता है. साथ ही कुछ बच्चे ओपीडी के माध्यम से भी भर्ती होते हैं. इस केंद्र में वर्तमान में 8 बच्चे भर्ती हैं. एनआरसी वार्ड में पर्याप्त सुविधाएं हैं. बच्चों के खेलने के लिए खिलौने भी हैं. गर्मियों में पंखे और सर्दियों में रूम हीटर चलते हैं.

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सेवापुरी ब्लाक के अंतर्गत ठठरा गांव की रहने वाली सरिता ने बताया कि जन्म के आठ महीने बाद उनकी बेटी बेबी कुपोषण की चपेट में आ जाने से अति-कुपोषित हो गई थी. इसके बाद उसकी माता सरिता ने बच्ची को एनआरसी वार्ड में भर्ती कराया, जहां उसे बेहतर इलाज और पौष्टिक भोजन दोनों निशुल्क दिया जा रहा है. भर्ती होने के समय उसका वजन 2.860 किलोग्राम था. अब उसका वजन 3.080 हो गया है.

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