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वाराणसी में 15 दिन में 23 बच्चे पॉजिटिव, क्या तीसरी लहर ने दी दस्तक!

कोरोना महामारी के खिलाफ देश लगातार जंग लड़ रहा है. दूसरी लहर की भयावहता को देखकर केंद्र और राज्य सरकार तीसरी लहर को लेकर बेदद सजग है. जिसको लेकर प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में लगातार बच्चों की सैंपलिंग की जा रही है. इस सैंपलिंग में अब तक 10,831 बच्चों की जांच हुई हैं जिसमें से 23 बच्चों में कोरोना संक्रमण की पुष्टि हुई है. रिपोर्ट आने के बाद जिम्मेदारों के माथे पर बल साफ देखे जा रहे हैं.

क्या तीसरी लहर ने दी दस्तक!
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Published : Jun 17, 2021, 3:45 PM IST

वाराणसी: कोरोना महामारी की तीसरी लहर की संभावना को लेकर के वाराणसी जिले में लगातार बच्चों की सैंपलिंग की जा रही है. एक जून से शुरू हुई बच्चों की सैंपलिंग में अब तक 10,831 बच्चों की जांच हुई हैं जिसमें से 23 बच्चों की कोरोना संक्रमण की पुष्टि हुई है. स्वास्थ्य विभाग के द्वारा गठित की गई निगरानी समिति के द्वारा बच्चों की स्वास्थ्य की निगरानी की जा रही है, जिससे उन्हें जल्द से जल्द रिकवर किया जा सके. बहरहाल बच्चों में संक्रमण के बढ़ने से तीसरी लहर का खतरा भी बढ़ रहा है.


15 दिन में 23 बच्चे मिले पॉजिटिव

अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ एसएस कनौजिया ने बताया कि एक जून से अब तक जिले में 10831 बच्चों की जांच की गई है. जिनमें 15 दिन में 23 बच्चे संक्रमित पाए गए हैं. उन्होंने बताया है कि इसमें जन्म से पांच वर्ष तक के 4 बच्चे, 6 से 12 वर्ष तक के 8 बच्चे, 13 से 18 वर्ष तक के 11 बच्चे शामिल हैं. निगरानी समिति द्वारा सभी बच्चों का नियमित फॉलोअप किया जा रहा है. बच्चों के परिजनों को भी इस महामारी के प्रोटोकॉल के प्रति जागरूक किया जा रहा है, साथ ही उन्हें जरूरी परामर्श भी दिए जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि इसके साथ ही धात्री माताओं को कोविड के दौरान स्तनपान जारी रखने के लिए परामर्श दिया जा रहा है. जिससे बच्चे जल्दी स्वस्थ हो सकें.

इसे भी पढ़े- कोरोना की तीसरी लहर के लिए तैयार है होम्योपैथी!


3 वर्गों में हो रही जांच

बता दें कि स्वास्थ्य विभाग में बच्चों की सैंपलिंग के लिए तीन वर्ग बनाए हैं. जिसमें से पहले वर्ग में 5 वर्ष तक के, दूसरे वर्ग में 6 से 12 वर्ष और तीसरे वर्ग में 13 से 18 वर्ष तक के बच्चों की जांच कराई जा रही है. रोजाना लगभग 50 फीसदी सैंपलिंग बच्चों की कराए जाने पर विभाग जोर दे रहा है. जिससे जल्द से जल्द सभी बच्चों की कोविड जांच संपन्न हो जाए.



पीकू-नीकू फॉर्मूले पर होगा उपचार

कोरोना की तीसरे लहर की भयावहता की संभावना को देखते हुए विभाग के द्वारा अस्पतालों को दुरुस्त बनाने की कवायद शुरू की गई है. बता दें कि इस बार विभाग पीकू-नीकू के फॉर्मूले पर उपचार करने की योजना बना रहा है. जिसके तहत अस्पतालों में पीडियाट्रिक इंटेंसिव केयर यूनिट व न्यूनेटल इंसेटिव यूनिट, ऑक्सीजन युक्त बेडों की संख्या बढ़ाने के साथ ही खास उपकरण जिसमें वेंटिलेटर, एचएफएनसी, सी पैप जैसे महत्वपूर्ण उपकरण को उपलब्ध कराए जा रहे हैं. इसके साथ ही सरकारी अस्पतालों के साथ निजी अस्पतालों को भी सम्बद्ध किया जा रहा है. जिसमें 20 निजी अस्पतालों ने संबद्धता के लिए शासन को प्रस्ताव भी भेजा है.

वाराणसी: कोरोना महामारी की तीसरी लहर की संभावना को लेकर के वाराणसी जिले में लगातार बच्चों की सैंपलिंग की जा रही है. एक जून से शुरू हुई बच्चों की सैंपलिंग में अब तक 10,831 बच्चों की जांच हुई हैं जिसमें से 23 बच्चों की कोरोना संक्रमण की पुष्टि हुई है. स्वास्थ्य विभाग के द्वारा गठित की गई निगरानी समिति के द्वारा बच्चों की स्वास्थ्य की निगरानी की जा रही है, जिससे उन्हें जल्द से जल्द रिकवर किया जा सके. बहरहाल बच्चों में संक्रमण के बढ़ने से तीसरी लहर का खतरा भी बढ़ रहा है.


15 दिन में 23 बच्चे मिले पॉजिटिव

अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ एसएस कनौजिया ने बताया कि एक जून से अब तक जिले में 10831 बच्चों की जांच की गई है. जिनमें 15 दिन में 23 बच्चे संक्रमित पाए गए हैं. उन्होंने बताया है कि इसमें जन्म से पांच वर्ष तक के 4 बच्चे, 6 से 12 वर्ष तक के 8 बच्चे, 13 से 18 वर्ष तक के 11 बच्चे शामिल हैं. निगरानी समिति द्वारा सभी बच्चों का नियमित फॉलोअप किया जा रहा है. बच्चों के परिजनों को भी इस महामारी के प्रोटोकॉल के प्रति जागरूक किया जा रहा है, साथ ही उन्हें जरूरी परामर्श भी दिए जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि इसके साथ ही धात्री माताओं को कोविड के दौरान स्तनपान जारी रखने के लिए परामर्श दिया जा रहा है. जिससे बच्चे जल्दी स्वस्थ हो सकें.

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3 वर्गों में हो रही जांच

बता दें कि स्वास्थ्य विभाग में बच्चों की सैंपलिंग के लिए तीन वर्ग बनाए हैं. जिसमें से पहले वर्ग में 5 वर्ष तक के, दूसरे वर्ग में 6 से 12 वर्ष और तीसरे वर्ग में 13 से 18 वर्ष तक के बच्चों की जांच कराई जा रही है. रोजाना लगभग 50 फीसदी सैंपलिंग बच्चों की कराए जाने पर विभाग जोर दे रहा है. जिससे जल्द से जल्द सभी बच्चों की कोविड जांच संपन्न हो जाए.



पीकू-नीकू फॉर्मूले पर होगा उपचार

कोरोना की तीसरे लहर की भयावहता की संभावना को देखते हुए विभाग के द्वारा अस्पतालों को दुरुस्त बनाने की कवायद शुरू की गई है. बता दें कि इस बार विभाग पीकू-नीकू के फॉर्मूले पर उपचार करने की योजना बना रहा है. जिसके तहत अस्पतालों में पीडियाट्रिक इंटेंसिव केयर यूनिट व न्यूनेटल इंसेटिव यूनिट, ऑक्सीजन युक्त बेडों की संख्या बढ़ाने के साथ ही खास उपकरण जिसमें वेंटिलेटर, एचएफएनसी, सी पैप जैसे महत्वपूर्ण उपकरण को उपलब्ध कराए जा रहे हैं. इसके साथ ही सरकारी अस्पतालों के साथ निजी अस्पतालों को भी सम्बद्ध किया जा रहा है. जिसमें 20 निजी अस्पतालों ने संबद्धता के लिए शासन को प्रस्ताव भी भेजा है.

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